स्मार्ट परियोजना के माध्यम से प्रमुख वित्तीय संस्थाओं के साथ राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन

स्मार्ट परियोजना के माध्यम से प्रमुख वित्तीय संस्थाओं के साथ राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन

पुणे, जून (जिमाका)
राज्य में कृषक उत्पादक कंपनियों को ऋण प्रावधान की सुविधा के साथ-साथ समुदाय आधारित संगठनों (सीबीओ) और बैंकों के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए हाल ही में प्रमुख वित्तीय संस्थानों की एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई थी।

स्मार्ट परियोजना के निदेशक डॉ. हेमंत वसेकर की अध्यक्षता में आयोजित कार्यशाला में स्मार्ट परियोजना समन्वयक जीवन बुंदे, स्मार्ट के अतिरिक्त परियोजना निदेशक ज्ञानेश्वर बोटे, स्मार्ट वित्त विशेषज्ञ अश्विनी मुसले, मेघराज कांबले और विभिन्न बैंकों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

इस समय डॉ. वासेकर ने कहा कि स्मार्ट परियोजना महाराष्ट्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। किसान उत्पादक कंपनियों को 60 प्रतिशत अनुदान प्रदान करनेवाली यह भारत की पहली परियोजना है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में गोदाम, प्याज, कोल्ड स्टोरेज, प्राथमिक और मूल्य वर्धित परियोजनाएं आदि फसल कटाई के बाद की बुनियादी सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा और इससे कृषि उपज के लिए अच्छी कीमतें प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

आरबीआई के नियमों के मुताबिक, बैंकों को कृषि क्षेत्र को 18 प्रतिशत ऋण की आपूर्ति की जानी चाहिए। स्मार्ट परियोजना में किसान उत्पादक कंपनियों को ऋण प्रदान करने से बैंकों का कृषि क्षेत्र में ऋण प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित होगा और किसान उत्पादक कंपनियों को समय पर ऋण प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इसके लिए सभी बैंकों को स्मार्ट परियोजना के साथ सहयोग समझौता किया जाए और किसान उत्पादक कंपनियों को ऋण उपलब्ध कराना चाहिए।

श्री बुंदे ने स्मार्ट परियोजनाओं के तहत समुदाय आधारित संगठनों के लिए विशेष रूप से रचना की गई उत्पादक साझेदारी उप-परियोजना और बाजारपेठ संपर्क वृद्धि उप-परियोजना के बारे में विस्तृत जानकारी देकर बैंकों से आगे आने और समुदाय आधारित संगठनों को ऋण प्रदान करने की अपील की।
श्रीमती मुसले ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से स्मार्ट परियोजनाओं के तहत निधि के प्रवाह की जानकारी दी। श्री बोटे ने सभी बैंकों से स्मार्ट परियोजना के साथ आपसी समझौते से समुदाय आधारित संगठनों को आवश्यक ऋण सुविधाएं प्रदान करने के लिए सहयोग करने का अनुरोध किया।

श्री कांबले ने कृषि आधारभूत संरचना निधि के संबंध में विस्तृत जानकारी दी और कहा कि स्मार्ट परियोजना की सभी उप-परियोजनाएं राष्ट्रीय कृषि अवसंरचना वित्तपोषण योजना के लाभार्थी हैं और इसके लिए एक अलग कक्ष स्थापित किया गया है।

कार्यशाला सत्र के दौरान बैंकों के प्रतिनिधियों द्वारा उठाये गये प्रश्नों पर चर्चा एवं मार्गदर्शन दिया गया। बैंकों ने स्मार्ट परियोजनाओं में समुदाय आधारित संगठनों को ऋण स्वीकृत करने में सकारात्मकता दिखाई है।

इस अवसर पर बताया गया कि परियोजना के तहत 370 किसान उत्पादक कंपनियों को विभिन्न बैंकों के माध्यम से ऋण स्वीकृत किया गया है, जिनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र, एचडीएफसी बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे बैंकों की बड़ी हिस्सेदारी है।

कार्यशाला में बैंक ऑफ महाराष्ट्र, एचडीएफसी, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक, आईडीबीआई, एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक, विदर्भ कोंकण ग्रामीण बैंक, यूसीओ, ग्रामीण स्वयंरोजगार प्रशिक्षण संस्था, रत्नाकर बैंक, आईसीआईसीआई, महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, सीएसबी, आईडीएफसी और एक्सिस बैंक जैसे प्रमुख वित्तीय संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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