नई शिक्षा नीति से अद्यतन पाठ्यक्रम निर्मिति का अवसर : प्राचार्य ए.जी. राव

नई शिक्षा नीति से अद्यतन पाठ्यक्रम निर्मिति का अवसर : प्राचार्य ए.जी. राव

हड़पसर, अप्रैल (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क)
पुराने पाठ्यक्रम के कारण उच्च शिक्षा में ठहराव आ गया है। नई शिक्षा नीति ने अद्यतन पाठ्यक्रम बनाने का अवसर निर्माण किया है। व्यापार और उद्योग क्षेत्र के लिए आवश्यक जनशक्ति को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम को अद्यतन करने पर काम चल रहा है। छात्र कक्षाओं में तभी आएंगे जब उन्हें अद्यतन ज्ञान मिलेगा अन्यथा वे निजी विश्वविद्यालयों का रुख करेंगे। यह प्रतिपादन राष्ट्रीय शिक्षा नीति महाराष्ट्र राज्य सुकाणू समिति सदस्य प्राचार्य ए.जी. राव ने व्यक्त किया।

पुणे जिला शिक्षण मंडल के अण्णासाहेब मगर महाविद्यालय में सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम के तहत वाणिज्य विभाग एवं अनुसंधान केन्द्र की ओर से अध्यापकों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्देशन और कार्यान्वयन विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था, जिसका उद्घाटन सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के उप कुलगुरु डॉ.पराग कालकर के शुभ हाथों किया गया। इस अवसर पर यहां बीज वक्ता के रूप में प्राचार्य ए जी. राव बोल रहे थे। यहां राष्ट्रीय शिक्षा नीति महाराष्ट्र राज्य सुकाणू समिति के सदस्य प्रा. डॉ. प्रशांत मगर, पुणे जिला शिक्षण मंडल के कोषाध्यक्ष मोहनराव देशमुख, महाविद्यालय के प्राचार्य व सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय प्रबंधन परिषद के सदस्य डॉ. नितिन घोरपडे, डॉ. रवि वैद्य, प्राचार्य डॉ. संजीव लाटे, प्राचार्य डॉ. महेंद्र अवघडे आदि उपस्थित थे।

सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के उप कुलगुरु डॉ. पराग कालकर ने कहा कि नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा के माध्यम से कुशल जनशक्ति निर्माण को बढ़ावा देकर राज्य में मध्यम और छोटे उद्योगों के साथ पाठ्यक्रम जोड़कर युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने पर जोर दिया जा रहा है।
अध्यक्षस्थान से बोलते हुए पुणे जिला शिक्षण मंडल के कोषाध्यक्ष मोहनराव देशमुख ने कहा कि हालांकि नई शिक्षा नीति के लागू होने में देरी हो रही है, लेकिन कहा जा रहा है कि नई शिक्षा नीति के कारण शिक्षा क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन हो रहे हैं।

इस कार्यशाला में सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के वाणिज्यिक और प्रबंधन शाखा के अधिष्ठता डॉ. यशोधन मिटारे, डॉ. तनुजा देवी, डॉ. प्रशांत साठे, डॉ. एम. के. सानप, डॉ. के.एस. निकम और डॉ. एस.पी. डाकले ने मार्गदर्शन किया।
समापन सत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति महाराष्ट्र राज्य सुकाणू समिति सदस्य प्रो. डॉ. प्रशांत मगर ने कहा कि नई शिक्षा नीति को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए शिक्षण संस्थानों को अगले पांच वर्षों के लिए शैक्षिक एवं बुनियादी ढांचा योजना तैयार कर कार्रवाई करनी चाहिए। नई शिक्षा नीति में शिक्षकों के कार्य, शिक्षकों की भर्ती के संबंध में मार्गदर्शन दिया गया।

इस कार्यशाला में 130 शिक्षकों ने भाग लिया। डॉ. रानी शितोले और डॉ. नरसिंह गिरी ने ऐसी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
महाविद्यालय की उपप्राचार्य डॉ. शुभांगी औटी, प्रा. डॉ. गंगाधर सातव, प्रा.नीता कांबले, प्रा.विशाल झेंडे, प्रा. प्रतीक कामठे, प्रा. नेहा सालुंखे, प्रा. अजिनाथ डोके, डॉ. विवेकानंद टाकलीकर, प्रा. गौरव शेलार, प्रीति पाटिल, प्रा. मधुमंजिरी ओक, प्रा. ऋषिकेश मोरे व प्रा.गणेश औटे द्वारा सफलतापूर्वक कार्यशाला का संयोजन किया गया था।

कार्यशाला का प्रास्ताविक महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. नितिन घोरपडे ने किया। सूत्र-संचालन प्रा. माहेश्वरी जाधव व तृप्ति पवार और आभार प्रदर्शन डॉ. शुभांगी औटी ने किया।

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