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स्लम फ्री महाराष्ट्र योजना को गति देने के लिए अधिनियम में संशोधन

स्लम फ्री महाराष्ट्र योजना को गति देने के लिए अधिनियम में संशोधन

स्लम फ्री महाराष्ट्र योजना को गति देने के लिए अधिनियम में संशोधन

स्लम फ्री महाराष्ट्र योजना को गति देने के लिए अधिनियम में संशोधन

झोपड़पट्टी घोषित होने के 60 दिनों के भीतर पुनर्वसन प्रस्ताव देना अनिवार्य

मुंबई, अप्रैल (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में आज हुई मंत्रिमंडल की बैठक में महाराष्ट्र को स्लम-मुक्त बनाने और झोपड़पट्टियों के पुनर्वसन को गति देने के लिए महाराष्ट्र झोपड़पट्टी क्षेत्र सुधार, निर्मूलन और पुनर्वसन अधिनियम, 1971 में संशोधन को मंजूरी दी गई।

इस निर्णय के तहत अधिनियम की तीन धाराओं में संशोधन किया जाएगा :

पहले, जब कोई भूमि झोपड़पट्टी क्षेत्र घोषित की जाती थी, तो उस भूमि के मालिक, विकासक या सहकारी संस्था को 120 दिनों के भीतर पुनर्वसन प्रस्ताव प्रस्तुत करना होता था। अब यह अवधि 60 दिनों की की जा रही है।

यदि 60 दिनों में प्रस्ताव नहीं दिया गया, तो उस झोपड़पट्टी क्षेत्र को अन्य सक्षम प्राधिकरण को पुनर्विकास के लिए सौंपा जा सकता है। यह संशोधन धारा 15(1) में किया जाएगा।

मुंबई महानगर क्षेत्र में यदि झोपड़पट्टी पुनर्वसन योजना सरकारी, अर्ध-सरकारी संस्था, प्राधिकरण या स्थानीय स्वराज संस्था द्वारा संयुक्त भागीदारी में चलाई जा रही है, तो योजना को आशय पत्र (LOI) जारी होने के 30 दिनों के भीतर 30 वर्षों की लीज पर भूमि उपलब्ध कराई जाएगी।

इससे योजना की वित्तीय सहायता/बैंक ऋण प्राप्त करने में सुविधा होगी। यह संशोधन धारा 15-A में किया जाएगा।

जो झोपड़पट्टीवासी पुनर्वसन योजना में स्वेच्छा से भाग नहीं लेते, उनके लिए कार्यप्रणाली अब धारा 33-A में विस्तार से शामिल की जाएगी।

वर्तमान में झोपड़पट्टी धारकों को संक्रमण शिविर में न भेजकर किराया दिया जाता है, लेकिन विकासक अक्सर किराया समय पर नहीं देते, जिससे बकाया बढ़ता है।

अब धारा 33-B के तहत एक नई कानूनी व्यवस्था की जाएगी, जिससे विकासक से बकाया किराया या अन्य देनदारियां राजस्व कानून के अनुसार वसूली जा सकेंगी।

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