×

भारत ने देश भर की विभिन्न जेलों में महिला कैदियों और उनके बच्चों सहित सभी कैदियों की कठिनाइयों का स्वतः संज्ञान लिया

भारत ने देश भर की विभिन्न जेलों में महिला कैदियों और उनके बच्चों सहित सभी कैदियों की कठिनाइयों का स्वतः संज्ञान लिया

भारत ने देश भर की विभिन्न जेलों में महिला कैदियों और उनके बच्चों सहित सभी कैदियों की कठिनाइयों का स्वतः संज्ञान लिया

भारत ने देश भर की विभिन्न जेलों में महिला कैदियों और उनके बच्चों सहित सभी कैदियों की कठिनाइयों का स्वतः संज्ञान लिया


सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी गई

रिपोर्ट में महिला कैदियों और शिशुओं के साथ रहने वाली महिलाओं, दोषी और विचाराधीन महिला कैदियों, साथ ही एक वर्ष से अधिक समय से जेलों में बंद विचाराधीन महिला और पुरुष कैदियों की संख्या शामिल होनी चाहिए

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने देश भर की जेलों में महिला कैदियों और उनके बच्चों सहित सभी कैदियों की विभिन्न कठिनाइयों का स्वतः संज्ञान लिया है। इनमें जेलों में क्षमता से अधिक कैदी होना, आधारभूत सुविधाओं और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव शामिल है। देश भर की विभिन्न जेलों का दौरा करने के बाद अपनी रिपोर्ट के साथ-साथ शिकायतों के माध्यम से इसके विशेष मॉनिटर और रिपोर्टर द्वारा इन मुद्दों को आयोग के संज्ञान में लाया गया है।

महिला कैदियों की गरिमा और सुरक्षा के अधिकारों का उल्लंघन, उनके खिलाफ बढ़ती हिंसा के कारण मानसिक कष्ट, पर्याप्त शौचालय, सैनिटरी नैपकिन, स्वच्छ पेयजल सुविधाओं के बिना अस्वास्थ्यकर स्थिति, खराब गुणवत्ता वाला भोजन जिसके कारण विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण, जेलों में उनके साथ रहने वाली महिला कैदियों के बच्चों के लिए शिक्षा के अवसरों की कमी, कानूनी सहायता, व्यावसायिक प्रशिक्षण और पुनर्वास सहित उनके कल्याण कार्यक्रमों का कार्यान्वयन न होना अन्य चिंताओं में शामिल हैं।

इसलिए, आयोग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को निम्नलिखित पर चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किया है:

i.) अपने राज्य की जेलों में बंद महिला कैदियों की संख्या,

ii.) उन महिला कैदियों की संख्या जिनके बच्चे माताओं के जेल में रहने के कारण जेलों में बंद हैं;

iii.) महिला कैदियों की संख्या, जो दोषी करार दी गई हैं और जो विचाराधीन कैदी हैं;

iv.) जेल में एक वर्ष से अधिक समय से बंद विचाराधीन महिला कैदियों की संख्या;

v.) विचाराधीन पुरुष कैदियों की संख्या तथा एक वर्ष से अधिक समय से जेल में बंद कैदियों की संख्या।

Spread the love
Previous post

‘आपले सरकार’ पोर्टल की सेवाएं पाँच दिन बंद रहेंगी

Next post

ग्रामीण महिलाओं की वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए आईईपीएफए और आईपीपीबी ने “निवेशक दीदी” के दूसरे चरण को शुरू करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

Post Comment