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घरकुल लाभार्थियों को 5 ब्रास तक मुफ्त रेत; नई रेत-खनन नीति घोषित, डिपो पद्धति की जगह नीलामी प्रणाली लागू

घरकुल लाभार्थियों को 5 ब्रास तक मुफ्त रेत; नई रेत-खनन नीति घोषित, डिपो पद्धति की जगह नीलामी प्रणाली लागू

घरकुल लाभार्थियों को 5 ब्रास तक मुफ्त रेत; नई रेत-खनन नीति घोषित, डिपो पद्धति की जगह नीलामी प्रणाली लागू

घरकुल लाभार्थियों को 5 ब्रास तक मुफ्त रेत; नई रेत-खनन नीति घोषित, डिपो पद्धति की जगह नीलामी प्रणाली लागू

मुंबई, अप्रैल (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)

राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में आज यह निर्णय लिया गया कि राज्य की विभिन्न योजनाओं के तहत घरकुल (आवास) लाभार्थियों को 5 ब्रास तक मुफ्त रेत उपलब्ध कराई जाएगी। इसके साथ ही नई रेत-खनन नीति 2025 को भी बैठक में मंजूरी दी गई। बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने की।

अब से नदी व खाड़ी क्षेत्रों में रेत का उत्खनन, भंडारण और बिक्री डिपो पद्धति की बजाय ई-नीलामी प्रणाली से की जाएगी।

प्रमुख बिंदु :

  • कृत्रिम रेत को बढ़ावा :
    प्राकृतिक रेत की सीमितता और पर्यावरणीय महत्व को ध्यान में रखते हुए कृत्रिम रेत को प्रोत्साहित किया जाएगा।
    • शुरुआत में सभी शासकीय/अर्धशासकीय निर्माण कार्यों में कम से कम 20% कृत्रिम रेत का उपयोग अनिवार्य होगा।
    • अगले 3 वर्षों में यह पूरी तरह से अनिवार्य किया जाएगा।
  • ई-नीलामी प्रणाली :
    • नदी क्षेत्र की रेत खदानों के लिए संबंधित जिले के सभी रेत समूहों का एकत्रित ई-नीलामी उपविभागीय अधिकारी के कार्यक्षेत्र के अनुसार की जाएगी। इसकी अवधि 2 वर्ष होगी।
    • खाड़ी क्षेत्रों की रेत खदानों के लिए महाराष्ट्र सागरी मंडल द्वारा निर्धारित ई-नीलामी प्रक्रिया 3 वर्षों के लिए लागू होगी।
  • घरकुल लाभार्थियों के लिए आरक्षित रेत :
    नीलामी से प्राप्त हर रेत समूह की 10% रेत घरकुल लाभार्थियों को अधिकतम 5 ब्रास तक मुफ्त दी जाएगी।
  • जिन खनिज समूहों को पर्यावरण विभाग की मंजूरी नहीं मिली या जो नीलामी में नहीं गए, उन समूहों से भी रेत:
    • घरकुल लाभार्थियों,
    • गांववासियों (व्यक्तिगत/सामूहिक कार्यों हेतु),
    • और किसानों (स्वतः की कुएं के लिए) को उपलब्ध कराई जाएगी।
  • पारंपरिक उत्खनन (हातपाटी-डुबी) के लिए खनिज समूह आरक्षित रहेंगे, जिन्हें बिना निविदा, लाइसेंस पद्धति से अनुमति दी जाएगी।
  • बाढ़ या अन्य प्राकृतिक कारणों से खेतों में जमा रेत को हटाकर भूमि को फिर से उपजाऊ बनाने की अनुमति दी जाएगी।
  • ओवरबर्डन रेत (Wash Sand) की दरें :
    • रेत के लिए: 200 प्रति ब्रास
    • अन्य गौण खनिजों के लिए: 25 प्रति ब्रास
      इसके अनुसार स्वामित्व शुल्क वसूला जाएगा।
  • अन्य राज्यों से आने वाली रेत की निगरानी भी सख्त की जाएगी।
    • यदि ट्रैक्टर द्वारा अवैध गौण खनिज का परिवहन किया गया तो ₹1 लाख का जुर्माना लगाया जाएगा।

पृष्ठभूमि :

राज्य में 19 अप्रैल 2023 और 16 फरवरी 2024 के शासन निर्णयों के अनुसार रेत डिपो नीति लागू थी, जिसके अंतर्गत राज्य सरकार रेत का उत्खनन, परिवहन, डिपो निर्माण और बिक्री करती थी। इस नीति की समीक्षा नाशिक के विभागीय आयुक्त की समिति ने की और उसी आधार पर रेत-निर्गती धोरण 2025 का प्रारूप तैयार किया गया। प्राप्त 191 सुझावों और आपत्तियों को समाहित कर अंतिम नीति तैयार की गई, जिसे आज मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दी गई।

यदि आप चाहें तो मैं इसका संक्षिप्त सारांशइन्फोग्राफिक, या हिंदी-अंग्रेजी द्विभाषिक संस्करण भी बना सकता हूँ।

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