पत्रकारिता सत्ता को अर्पण ना हो, बल्कि समाज का दर्पण हो

पत्रकारिता सत्ता को अर्पण ना हो, बल्कि समाज का दर्पण हो

पत्रकारिता सत्ता को अर्पण ना हो, बल्कि समाज का दर्पण हो

पत्रकारिता सत्ता को अर्पण ना हो, बल्कि समाज का दर्पण हो
आचार्य बालशास्त्री जांभेकर : 6 जनवरी, मराठी पत्रकार दिवस पर विशेष

बालशास्त्री जांभेकर ने 6 जनवरी 1832 को भारत में पहली बार दर्पण नामक मराठी समाचारपत्र की स्थापना करके पत्रकारिता के क्षेत्र में एक नए मराठी युग का सूत्रपात किया। यह दिन मात्र एक समाचारपत्र की स्थापना का नहीं, बल्कि भारतीय पत्रकारिता में मराठी भाषा के माध्यम से सामाजिक जागरूकता का प्रतीक है। इस ऐतिहासिक घटना की स्मृति में महाराष्ट्र में 6 जनवरी को पत्रकार दिवस के रूप में मनाया जाता है।

दर्पण के माध्यम से बालशास्त्री ने उस समय के समाज में व्याप्त समस्याओं, अन्याय और शोषण को उजागर किया। उन्होंने समाज को सत्य का दर्पण दिखाकर जागरूकता फैलाने का कार्य किया। तब से पत्रकारिता केवल सूचना देने का माध्यम नहीं रही, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का एक प्रमुख स्तंभ बन गई। पत्रकारिता का यह उद्देश्य कि सत्य को निर्भीकता से प्रस्तुत किया जाए, बालशास्त्री के कार्यों से स्पष्ट होता है।

आज के डिजिटल युग में पत्रकारिता का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। तकनीक ने सूचना का प्रवाह तेज कर दिया है, लेकिन इसके साथ ही फेक न्यूज और अफवाहों का प्रसार भी बढ़ गया है। ऐसे में पत्रकारिता का मूल उद्देश्य- सत्य की खोज करना और उसे निर्भीकता से प्रस्तुत करना – और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। समाज कल्याण, लोकतंत्र की रक्षा और वंचितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने का दायित्व पत्रकारिता पर है।

बालशास्त्री जांभेकर जैसे पत्रकारों ने पत्रकारिता को सामाजिक परिवर्तन का साधन बनाया। आज भी कई पत्रकार कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए समाज के लिए कार्य कर रहे हैं। कोई युद्धक्षेत्र में जाकर सत्य उजागर कर रहा है, तो कोई गांवों और कस्बों में पीड़ितों के लिए आवाज उठा रहा है। ऐसे समर्पित पत्रकारों का सम्मान करना समाज का कर्तव्य है।

हालांकि, आज पत्रकारिता के क्षेत्र में अनेक चुनौतियां मौजूद हैं। व्यावसायिक दबाव, राजनीतिक हस्तक्षेप और सीमित संसाधनों के बीच सत्य खोजने का प्रयास करने वाले पत्रकार अक्सर संकटों का सामना करते हैं। इन चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए पत्रकारों को आर्थिक स्वतंत्रता, प्रशिक्षण और सुरक्षा प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है।

पत्रकार दिवस केवल उत्सव का दिन नहीं, बल्कि पत्रकारिता के मूल्यों को पुनर्जीवित करने और बालशास्त्री जांभेकर के विचारों को सम्मानित करने का अवसर है। समाज को सत्य से परिचित कराने वाले, अन्याय के खिलाफ लड़ने वाले और लोकतंत्र की मजबूती के लिए कार्य करने वाले हर पत्रकार को आज के दिन नमन किया जाना चाहिए।

पत्रकारिता समाज का दर्पण है; यह सत्य की खोज करती है और समाज को प्रगति की राह दिखाती है। बालशास्त्री जांभेकर द्वारा आरंभ की गई इस प्रकाश यात्रा से प्रेरणा लेकर आज के पत्रकारों को भी सत्यनिष्ठा और निर्भीकता को अपना आदर्श बनाना चाहिए। 6 जनवरी पत्रकार दिवस के अवसर पर समर्पित पत्रकारों के कार्य, उनकी निडरता और समाजसेवा की भावना को प्रणाम करते हुए, यह प्रार्थना है कि सत्य की यह मशाल सदैव प्रज्ज्वलित रहे।

-श्री चाँद शेख
पुणे (अकलूज)

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