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शिक्षा की प्रतिस्पर्धा का द्वार खोलनेवाली सावित्रीबाई फुले “विश्व की चट्टान” : डॉ. शरद कांदे

शिक्षा की प्रतिस्पर्धा का द्वार खोलनेवाली सावित्रीबाई फुले "विश्व की चट्टान" : डॉ. शरद कांदे

शिक्षा की प्रतिस्पर्धा का द्वार खोलनेवाली सावित्रीबाई फुले “विश्व की चट्टान” : डॉ. शरद कांदे

शिक्षा की प्रतिस्पर्धा का द्वार खोलनेवाली सावित्रीबाई फुले “विश्व की चट्टान” : डॉ. शरद कांदे

हड़पसर, जनवरी (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
भारत की पहली महिला शिक्षिका व अग्रणी समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की जयंती के.जे. शिक्षा संस्था में ट्रिनिटी पॉलिटेक्निक में वास्तुकला विभाग प्रा. साद सवाल के मार्गदर्शन में मनाई गई।

इस साल सावित्रीबाई फुले की 186वीं जयंती पर उनकी विरासत का सम्मान करने के लिए देश भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। विशेषकर महाराष्ट्र में इस दिन को बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
इसी उद्देश्य से आयोजित कार्यक्रम में कॉलेज के प्राचार्य डॉ. शरद कांदे ने प्रेरक संदेश देते हुए कहा कि हम सावित्रीबाई फुले जयंती मना रहे हैं, उनके साहस की भावना, सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और शिक्षा जगत में उनकी स्थायी विरासत का सभी महिलाओं को अनुकरण करना चाहिए। शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं। स्वाभिमान से जीने की शिक्षा प्राप्त करें। शिक्षा की प्रतिस्पर्धा का द्वार खोलनेवाली सावित्रीबाई फुले आज विश्व की चट्टान हैं।

विभाग प्रमुख प्रा. प्रतीक्षा सणस ने अपना मनोगत व्यक्त किया। साथ ही इस अवसर पर शिक्षकों के लिए प्रखर बुद्धि प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसके तहत उन्हें सावित्रीबाई की प्रेरणा, बुद्धि, कार्य, जीवन यात्रा जैसे मुद्दों पर एक मिनट का विचार व्यक्त करना था। इसमें प्रथम पुरस्कार प्रो.योगिता जाधव और प्रो. सारिका कोरडे को पुरस्कृत किया गया। प्रकृति संरक्षण के अंतर्गत प्राचार्य डॉ.शरद कांदे द्वारा पौधारोपण किया गया।

इस अवसर पर कॉलेज के सभी विभाग प्रमुख व अध्यापकगण उपस्थित थे। संस्था के अध्यक्ष श्री कल्याणराव जाधव व संकुल संचालक समीर कल्ला ने भी उपस्थितों को मार्गदर्शन किया।

सूत्र-संचालन प्रा. साद सवाल यने और आभार प्रदर्शन ग्रंथपाल स्वाति मते ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रा.वैभव पोमण व प्रा.वाय. आर. भामरे का बहुमूल्य योगदान था।

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