पुख्ता सबूतों के अभाव में हत्या का आरोपी बरी

पुख्ता सबूतों के अभाव में हत्या का आरोपी बरी

पुख्ता सबूतों के अभाव में हत्या का आरोपी बरी

पुख्ता सबूतों के अभाव में हत्या का आरोपी बरी

पुणे, अक्टूबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
पुणे में मोक्का कोर्ट के विशेष न्यायाधीश और अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री प्रभाकर पी. जाधव ने हत्या के आरोपी महेंद्र कालूराम मेमाणे उम्र-26, दत्तवाड़ी पारगांव मेमाणे, ता. पुरंदर, जिला-पुणे को पुख्ता सबूतों के अभाव में हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया है।

18/06/2018 को शाम करीब 5.30 बजे गांव मौजे सिंगापुर, पुरंदर में वाघापुर चौक पर ज्ञानदेव फेब्रिकेशन वर्कशॉप के सामने आरोपी महेंद्र मेमाणे ने बिना किसी कारण मृतक दत्तात्रय लावंड को लात-घूसों से पीटा था। दत्तात्रय की पत्नी सुनीता लावंड ने सासवड पुलिस स्टेशन में आरोपी के खिलाफ हत्या के प्रयास की शिकायत दर्ज कराई। उनकी शिकायत पर सासवड पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया और आरोपी महेंद्र मेमाणे को 27/06/2018 को गिरफ्तार कर लिया गया।

पेट पर पिटाई की घटना के बाद दत्तात्रय लावंड को उनकी पत्नी ने पुणे के सरकारी ससून अस्पताल में भर्ती कराया था। वहां उन्हें पेट की बड़ी सर्जरी करानी पड़ी। पिटाई से उसकी आंतें टूट गईं, इसलिए उनका ऑपरेशन किया गया। यह बात सुनीता लावंड ने अपनी शिकायत में कही है। वहीं दिनांक 30/06/2018 को ससून हॉस्पिटल में दत्तात्रय लावंड की मृत्यु के कारण आरोपी महेंद्र मेमाणे पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या का आरोप लगाया गया था।

सरकारी पक्ष की ओर से कोर्ट में 6 गवाहों की गवाही दर्ज करायी गयी। अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता मिलिंद डी. पवार ने दलील दी। मृतक दत्तात्रय की ससून अस्पताल में पेट की बड़ी सर्जरी हुई थी। उस सर्जरी के बाद उनके पेट में बड़ी मात्रा में मवाद हो गया था।

मेडिकल सर्टिफिकेट से यह साबित नहीं हुआ है कि पिटाई में आंत टूट गयी थी। मृतक लावंड को पहले से ही पेट की बीमारी थी। उनकी पत्नी के वकील यह साबित नहीं कर पाए कि मृतक दत्तात्रय लावंड की मौत उनके पेट पर पिटाई के कारण हुई थी, जैसा कि वकील पवार ने जिरह में स्वीकार किया था। पिटाई की घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है, इसलिए घटना वाले दिन आरोपी महेंद्र मेमाणे ने खुद ही दत्तात्रय लावंड को बुलाया, यहां तक कि सरकारी पक्ष ने भी यह साबित नहीं किया है कि उन्हें पीटा गया था, सिर्फ संदेह और गांव की राजनीति के चलते महेंद्र मेमाणे को हत्या के जुर्म में झूठा फंसाया गया है। इस तर्क को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने आरोपी महेंद मेमाणे को पुख्ता सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इस मामले में वकील अक्षय वायकर और वकील सुयोग गायकवाड़ ने मदद की।
यह जानकारी अधिवक्ता मिलिंद डी. पवार द्वारा एक विज्ञप्ति द्वारा दी है।

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