भारत की पहचान है ‘हिंदी’

भारत की पहचान है ‘हिंदी’

भारत की पहचान है ‘हिंदी’
14 सितंबर ‘हिंदी दिवस’ पर विशेष

भारत देश अनेक भाषाओं का संगम है। इन सभी भाषाओं में हिंदी को देश की राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया। स्वतंत्रता के पश्चात 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें हिंदी भाषा को अधिकृत भाषा के रूप में स्वीकृति दी गयी। हिंदी भाषा के सम्मानार्थ हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रस्तुत है हिंदी दिवस पर यह लेख….
भारत में विविध प्रांत एवं प्रदेश के अनुसार स्थानीय भाषा भी बोली जाती है, जिसे बोली भाषा भी कहा जाता है। भाषा, पहनावा, आचार-विचार, शिष्टाचार, संस्कृति हर बारह कोस पर बदल जाती है। यदि महाराष्ट्र के खान्देश प्रांत की बात की जाये तो यहां अहिराणी, लेवागण इन मूल भाषाओं के साथ ही हिंदी भाषा का भी उपयोग होते हुए दिखाई देता है। इस प्रांत के लोग लड़खड़ाते हुए ही सही लेकिन हिंदी भाषा को अपनी स्थानीय भाषा के साथ मिलाकर बोलने का प्रयास करते हैं। भाषा के इस मिश्रण से ही एक नयी भाषा का उदय अनुभवित होता है।

भारतीय फिल्मों की समूचे विश्व में लोकप्रियता है। पिछले सौ वर्षों में लगभग एक लाख से अधिक हिंदी फिल्मों का निर्माण किया गया, जिसमें हिंदी फिल्मों की संख्या अधिक है। फिल्म के डायलॉग एवं गीत हिंदी भाषा में ही उत्कृष्ट रूप से प्रस्तुत किये जाते हैं। संचार माध्यम के रूप में फिल्में समाज में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। समाज में घटित होने वाली अच्छी-बुरी घटनाओं का विस्तृत चित्रण फिल्मों के माध्यम से होता है। इन सब में हिंदी भाषा मुख्य रूप से अपना योगदान देती है। फिल्मों के अलावा विज्ञापन, टीवी शो, आकाशवाणी आदि सभी प्रसार माध्यमों में भी हिंदी अग्र स्थान पर है। एफ.एम. रेडिओ और हिंदी समाचार पत्र तथा हिंदी न्यूज चैनल्स, न्यूज वेबपोर्टल की संख्या में भी दिन पर दिन बढ़त हो रही है।

वहीं दूसरी ओर हिंदी भाषा का सोशल मीडिया में अलग चित्र दिखाई देता है। वर्तमान स्थिति में भले ही ग्लोबल लैंग्वेज का बोलबाला हो, लेकिन फिर भी सोशल मीडिया में हिंदी भाषा का बोलबाला है। पहले हिंदी भाषिक लोगों को सोशल मीडिया में काम करते समय बहुत दिक्कतें होती थीं, मात्र अब सोशल मीडिया पर लोग हिंदी भाषा का प्रयोग खुले रूप से करने लगे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक पाँच व्यक्ति में से एक व्यक्ति इंटरनेट पर हिंदी का उपयोग करता है। हिंग्लिश भी बहुत खूब चल रही है। अंग्रेजी और हिंदी के कुछ शब्दों का मिश्रण करके वाक्य उपयोग में लाये जा रहे हैं। व्हॉट्सएप, फेसबुक, एक्स या ब्लॉगर्स पर सभी हिंदी भाषा का उपयोग अधिक रूप से करते हुए दिखाई देेते हैं।

हर साल 14 सितंबर को हम हिंदी दिवस मनाते हैं, जो न केवल हमारी मातृभाषा के प्रति सम्मान और गर्व का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति, साहित्य, और विचारधारा की गहरी जड़ों को भी दर्शाता है। यह दिन उन लोगों को समर्पित है, जिन्होंने हिंदी भाषा के विकास, प्रचार-प्रसार और इसके संवैधानिक महत्व को पहचानने का प्रयास किया। हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और भारतीयता का अभिन्न हिस्सा है।

हिंदी का सामाजिक महत्व
हिंदी भाषा सिर्फ संवाद का साधन नहीं है, यह हमारे इतिहास, संस्कृति और परंपराओं को जीवंत बनाए रखने का माध्यम है। हिंदी साहित्य, कविता और फिल्में विश्वभर में प्रसिद्ध हैं और इनकी मदद से भारतीय संस्कृति को न केवल देश के भीतर बल्कि विश्व के मंच पर भी प्रसारित किया गया है। महात्मा गांधी ने भी हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था, क्योंकि यह देश के कोने-कोने में लोगों के दिलों को जोड़ने का काम करती है।

हिंदी केवल भारत तक सीमित नहीं है। विश्व के कई देशों में यह भाषा बोलने वाले लोग बसे हुए हैं, जिससे हिंदी का वैश्विक प्रभाव भी देखा जा सकता है। मॉरीशस, फिजी, नेपाल, गुयाना जैसे देशों में भी हिंदी भाषा की गहरी पैठ है। इसके अलावा, हिंदी सिनेमा और भारतीय टीवी सीरियलों ने भी हिंदी को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है।

हिंदी के समक्ष चुनौतियां
हालांकि हिंदी दिवस हमें गर्व करने का अवसर देता है, लेकिन इसके साथ ही हमें उन चुनौतियों का भी सामना करना होगा जो हिंदी भाषा के सामने हैं। अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में, ने हिंदी के महत्व को कई बार पीछे छोड़ दिया है। युवा पीढ़ी में अंग्रेजी के प्रति बढ़ती रुचि और हिंदी को लेकर उदासीनता भी एक बड़ी चिंता का विषय है।

इसके अलावा, हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में भी कई चुनौतियां हैं। डिजिटल युग में जहां अंग्रेजी का दबदबा है, हिंदी को तकनीकी माध्यमों में और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है। सोशल मीडिया, इंटरनेट और मोबाइल एप्लिकेशनों में हिंदी को और अधिक समाहित किया जाना चाहिए ताकि यह समय के साथ आगे बढ़ सकें।

इन देशों में भी बोली जाती है हिंदी
भारत के अलावा, यूनाइटेड किंगडम, यूनाइटेड स्टेट्स, मॉरीशस, त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे देशों ने विश्व हिंदी सम्मेलन की मेजबानी की है। इसके अलावा, भारतीय मूल के लोग और कई देशों में गैर-आवासीय भारतीय भाषा की महानता को फैलाने के लिए दिन मनाने की घटनाओं का आयोजन करते हैं।

हिंदी का वैश्विक विस्तार
आज हिंदी केवल भारत तक सीमित नहीं है। विश्व के कई देशों में हिंदी भाषी लोग रहते हैं और यह प्रवासी भारतीयों के लिए अपनी जड़ों से जुड़े रहने का महत्वपूर्ण माध्यम है। दुनिया भर में लाखों लोग हिंदी फिल्मों, साहित्य और संगीत के माध्यम से इस भाषा से जुड़ते हैं। बॉलीवुड के वैश्विक आकर्षण ने हिंदी को एक अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है, जिससे यह दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में शुमार है। संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक संस्थाओं में हिंदी को शामिल करने के प्रयास भी हो रहे हैं, जिससे हिंदी का अंतरराष्ट्रीय मंच पर अधिक प्रभावी और सम्मानजनक स्थान सुनिश्चित किया जा सके।

डिजिटल युग में हिंदी का विकास
वर्तमान में तकनीकी क्रांति के दौर में, हिंदी ने डिजिटल स्पेस में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। सोशल मीडिया, ब्लॉगिंग, यूट्यूब और अन्य डिजिटल माध्यमों पर हिंदी में सामग्री का निर्माण और प्रसार तेजी से बढ़ा है। अब गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अन्य प्रमुख तकनीकी कंपनियाँ हिंदी में सेवाएँ प्रदान कर रही हैं, जिससे हिंदी भाषी उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़ रही है। डिजिटल युग में हिंदी का यह विकास यह दर्शाता है कि यह भाषा सिर्फ पारंपरिक सीमाओं में बंधी नहीं, बल्कि बदलते समय के साथ खुद को नई तकनीकों और माध्यमों के अनुसार ढाल रही है।

हिंदी भाषा को अब विश्वभर में भी स्वीकार किया जा रहा है। हिंदी यह विश्व की एक प्रमुख भाषा और भारत देश की राजभाषा है। हमारे भारत देश में केंद्रीय स्तर पर दूसरी अधिकारिक भाषा के रूप में अंग्रेजी भाषा है। सभी ओर हिंदी भाषा का बोलबाला है। विगत वर्ष फरवरी 2019 में आबूधाबी ने हिंदी को कोर्ट की तीसरी अधिकृत भाषा का दर्जा दिया। अरबी और अंग्रेजी के पश्चात हिंदी भाषा को अपनी न्यायालयीन कामकाज में तीसरी अधिकारिक भाषा के स्वरूप में सम्मिलित किया। इसके तहत अरेबिक और अंग्रेजी सहित हिंदी भाषा यह अबू धाबी के कोर्ट की तीसरी भाषा होगी। अबूधाबी की कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट में लोगों को उनकी समस्याओं को लेकर न्याय देने के लिए अरबी और अंग्रेजी भाषा के पश्चात हिंदी भाषा को अधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी। विदेश में हिंदी का स्वीकार होना यह एक तरह से भारत देश का गौरव ही है।

इससे पहले दूसरी ओर वर्ष 2018 में गुजरात हाईकोर्ट ने जुनागढ़, भावनगर के किसानों की याचिका स्वीकृत करते हुए उनके बच्चों को हिंदी माध्यम से शिक्षित करने पर रोक लगाई और कहा कि किसानों की मातृभाषा गुजराती है, इसलिए उन्हें हिंदी सीखने में दिक्कतें आती हैं। अत: उनके लिए हिंदी भाषा को परकीय भाषा समझी जाये।

इसी तरह भारत के चार राज्यों ने भी हिंदी को राष्ट्रभाषा मानने से इन्कार कर दिया। वैश्विकरण के इस युग में अंग्रेजी भाषा का महत्त्व देना ही होगा किंतु इसका यह मतलब नहीं कि अपनी देश की मातृभाषा को ही पीछे छोड़ दिया जाये। ‘फूट डालो और राज करो’ अंग्रेजों की इस नीति से आज भी हिंदी भाषा सामना कर रही है। अंग्रेजी भाषा ने अपना वर्चस्व इस तरह से बनाया है कि हिंदी को हर जगह से धकेल दिया जाता है। हिंदी भाषा के संदर्भ में देश के क्षेत्र, प्रदेश एवं प्रांत के अनुसार हिंदी के दो चित्र दिखाई देते हैं। एक तरफ हिंदी को स्वीकार किया जाता है तो दूसरी ओर हिंदी को तिरस्कृत-अस्वीकृत किया जाता है। अंग्रेजों की जो रणनीति थी वह आज भी कायम है। फर्क इतना है कि तब अंग्रेज नेतृत्व करते थे और आज देशभक्ति के मुखवटे लगाये हुए बहुतांश सामाजिक एवं राजनीतिज्ञ!

जहां कहीं पर भी भारतीयों का वास्तव्य बढ़ रहा है उन जगहों पर हिंदी की स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है। इससे हिंदी भाषा की ताकद, शुद्धता, सहजता दिखाई देती है। अबूधाबी में दिवानी एवं वाणिज्यिक न्यायालयीन प्रकरण में अंग्रेजी के साथ ही अब हिंदी अनुवाद भी उपलब्ध होगा। इसमें से अबूधाबी के न्यायिक प्रकरण में पारदर्शकता आएगी। हमारे भारत देश की राजभाषा हिंदी है। हिंदी भाषा में एक तरह की लय एवं मधुरता होती है। उसमें प्रचंड शक्ति होती है। बोलने एवं समझने में सहज भाषा के रूप में हिंदी का सभी ओर उपयोग होता है। अरब अमिरात (यूएई) में कुल जनसंख्या में से बहुतांश विदेशी नागरिकों की संख्या है। उसमें हिंदी भाषा का उपयोग करने वाले लोग भी हैं।

हम सभी भारतीयों का राष्ट्रीय कर्तव्य है कि अपने दैनिक कार्यों में हिंदी भाषा का उपयोग बढ़ायें। हिंदी देश की राष्ट्रभाषा है। यहां की मिट्टी से जुड़ी हुई है। देश की एकता राष्ट्रभाषा से ही प्रतीत होती है। देश की एकता को बनाये रखने के लिए हम सभी को प्रयास करना आवश्यक है। हिंदी के बिना भारत की पहचान अपूर्ण है, इसे नकारा नहीं जा सकता।

-आरिफ आसिफ शेख, पुणे
मोबाइल- 9881057868

 

हिंदी एकता की बिंदी,
है हिंदोस्तां की शान,
है यही पहचान,
यह हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी…!

एकता में हमें पिरोती,
प्रगति का पथ दिखलाती,
यह हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी…!

हमारे देश की कीर्ति,
सबको यूं भाती,
यह हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी…!

भारत की संस्कृति दर्शाती,
मधुर वाणी जो कहलाती,
यह हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी…!

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