वातावरण में परिवर्तन और बीमारियों को निमंत्रण
पिछले दस-पंद्रह दिनों से पुणे शहर और आसपास के परिसर में पर्यावरण में बदलाव और उसके शरीर पर पड़नेवाले प्रभाव, दिन-ब-दिन बढ़ता तापमान, बादल छाए रहना और रोजाना शाम को होनेवाली बारिश का असर स्वास्थ्य पर पड़ रहा है, खासकर छोटे बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान रखा जाना बेहद जरुरी है।
सर्दी, खांसी, बुखार, शरीर में दर्द, सिरदर्द और विशेष रूप से फ्लू जैसी बीमारियों ने अपना सिर उठा लिया है। अधिक गर्मी और बरसात के मौसम में शुरुआत में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ती हुई दिखाई देती है। इस वायरल के संक्रमण के मरीज बढ़ गए हैं। बच्चों के बारे में बताया जाए तो गर्मी की छुट्टियों में तैराकी, बाहर का खाना खाना, इच्छानुसार घूमना और इसी तरह के कारण वायरस के हस्तक्षेप का कारण बन सकते हैं। साथ ही पर्यावरण भी बदल रहा है, प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। इसमें मुख्य रूप से सर्दी-खांसी और आगे चलकर इसका निमोनिया में बदलाव होने की अत्यधिक संभावना है। सही निदान और प्रभावी उपचार और पर्याप्त आराम अगर आप इतनी सावधानी व देखभाल रखते हैं तो बीमारी जल्दी ठीक हो जाती है।
उबालकर ठंडा किया हुआ पानी पीएं, रोजाना कम से कम तीन से चार लीटर पानी पीएं, बाहर के खाने से परहेज करें और तैराकी से पहले बच्चों को टाइफाइड का टीका लगवाना बहुत जरूरी है। अब बरसात का मौसम नजदीक आ रहा है। गर्मी खत्म हो गई है और मानसून आ रहा है तब सेहत का ख्याल रखना वरदान बन जाता है।
डॉ. अनिल पाटिल
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ
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