देश भर में लकड़ी, बांस और अन्य वन्य उपज की निर्बाध आवाजाही के लिए नेशनल ट्रांजिट पास सिस्टम (एनटीपीएस) – ‘वन नेशन-वन पास’ का शुभारंभ
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन तथा श्रम और रोजगार मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव ने आज देश भर में लकड़ी, बांस और अन्य वन्य उपज की निर्बाध आवाजाही के लिए पूरे भारत में नेशनल ट्रांजिट पास सिस्टम (एनटीपीएस) का शुभारंभ किया। वर्तमान में, राज्य विशिष्ट पारगमन नियमों के आधार पर लकड़ी और वन उपज के परिवहन के लिए पारगमन परमिट जारी किए जाते हैं। एनटीपीएस की कल्पना “वन नेशन-वन पास” व्यवस्था के रूप में की गई है, जो पूरे देश में निर्बाध पारगमन को सक्षम बनाएगी। यह पहल देश भर में कृषि वानिकी में शामिल वृक्ष उत्पादकों और किसानों के लिए एक एकीकृत, ऑनलाइन मोड प्रदान करके लकड़ी पारगमन परमिट जारी करने को सुव्यवस्थित करेगी, जिससे व्यापार करने में आसानी होगी।
जागरूकता पैदा करने और एनटीपीएस के उपयोग और उसकी सुगमता को प्रदर्शित करने के लिए वन्य उपज ले जाने वाले विशेष वाहनों को आज पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। गुजरात और जम्मू-कश्मीर से लकड़ी और अन्य वन्य उपज ले जाने वाले दो वाहनों को हरी झंडी दिखाई गई, जो पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के लिए जाने वाले हैं। एनटीपीएस के जरिए उत्पन्न क्यूआर कोड वाले पारगमन परमिट की वैधता को सत्यापित करने और निर्बाध पारगमन की अनुमति देने के लिए विभिन्न राज्यों में चेक गेट की सुविधा मिलेगी।
फ्लैग-ऑफ कार्यक्रम के अवसर पर, श्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि एनटीपीएस के राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन के साथ यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि एनटीपीएस अधिक पारदर्शिता की दिशा में आवाजाही को मजबूत करने में मदद करेगा, जो भारत के विकास के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी की गारंटी है। श्री यादव ने कहा कि यह पहल देश भर में लकड़ी और विभिन्न वन्य उत्पादों के निर्बाध परिवहन की सुविधा प्रदान करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि इसका प्रभाव केवल कृषि वानिकी और वृक्ष उत्पादन को प्रोत्साहित करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण मूल्य श्रृंखला को प्रोत्साहित करने की भी गारंटी देता है।
इसके अतिरिक्त, केंद्रीय मंत्री ने मंत्रालय द्वारा कई अन्य हालिया पहलों पर प्रकाश डाला, जैसे भारतीय वन और लकड़ी प्रमाणन योजना और वन के बाहर पेड़ पहल। इन प्रयासों का सामूहिक उद्देश्य देश में कृषि वानिकी व्यवहारों को बढ़ावा देना है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने इस बात पर जोर दिया कि एनटीपीएस कृषि वानिकी और जंगल के बाहर के पेड़ों के लिए एक गेम-चेंजर है। लकड़ी और अन्य वन्य उत्पादों के पारगमन को सुव्यवस्थित करने के लिए शुरू किया गया है। इससे इस क्षेत्र में व्यापार करने में आसानी बढ़ने की उम्मीद है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सचिव श्रीमती लीना नंदन और वन महानिदेशक एवं विशेष सचिव श्री चंद्र प्रकाश गोयल ध्वजारोहण कार्यक्रम के दौरान उपस्थित थे।
एनटीपीएस की शुरुआत से पहले, मार्ग के साथ विभिन्न राज्यों से पारगमन परमिट प्राप्त करना एक लंबी प्रक्रिया थी, जिससे राज्यों में लकड़ी और वन्य उत्पादों के परिवहन में अड़चनें पैदा होती थीं। प्रत्येक राज्य के अपने स्वयं के पारगमन नियम हैं, जिसका अर्थ है कि राज्यों में लकड़ी या वन्य उपज का परिवहन करने के लिए, प्रत्येक राज्य में एक अलग पारगमन पास जारी करना आवश्यक होता था। एनटीपीएस निर्बाध पारगमन परमिट प्रदान करता है, निजी भूमि, सरकारी स्वामित्व वाले वन और निजी डिपो जैसे विभिन्न स्रोतों से प्राप्त लकड़ी, बांस और अन्य वन्य उपज के राज्य के भीतर और एक राज्य से दूसरे राज्य तक, दोनों परिवहनों के लिए रिकॉर्ड का प्रबंधन करता है।
एनटीपीएस को उपयोगकर्ता की सुविधा के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें आसान पंजीकरण और परमिट अनुप्रयोगों के लिए डेस्कटॉप और मोबाइल एप्लिकेशन शामिल हैं। पारगमन परमिट उन वृक्ष प्रजातियों के लिए जारी किए जाएंगे जो विनियमित हैं, जबकि उपयोगकर्ता छूट प्राप्त प्रजातियों के लिए स्वयं अनापत्ति प्रमाण पत्र तैयार कर सकते हैं। वर्तमान में, 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने एकीकृत परमिट प्रणाली को अपनाया है, जिससे उत्पादकों, किसानों और ट्रांसपोर्टरों के लिए अंतर्राज्यीय व्यापार संचालन सुव्यवस्थित हो गया है। इस कदम से कृषिवानिकी क्षेत्र को महत्वपूर्ण प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है। एनटीपीएस को https://ntps.nic.in पर देखा जा सकता है।
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