लोकसभा चुनाव : शिरूर की सियासत पर कौन करेगा राज!

लोकसभा चुनाव : शिरूर की सियासत पर कौन करेगा राज!

लोकसभा चुनाव के आगाज होने के कारण शिरूर की सियासत का माहौल गर्मा गया है। लोकतंत्र का सबसे बड़ा चुनाव का फैसला देशवासियों को करना होगा। शिरूर लोकसभा चुनाव क्षेत्र की ओर पूरे देश का ध्यान लगा है। अजीत पवार का बीजेपी से हाथ मिलाने से शिरूर लोकसभा चुनाव क्षेत्र में और उत्सुकता बड़ गई है। यहां की राजनीतिक पार्टियों में हुए बदलाव के चलते इस लोकसभा चुनाव क्षेत्र में उम्मीदवारों के पसीने तो पूरी तरह से छूटनेवाले हैं, इसमें कोई भी गुंजाइश नहीं रही है। शिरूर लोकसभा में राजीनीति दलों का पूरा माहौल गर्मा गया है।

पिछले हुए चुनाव में डॉ. अमोल कोल्हे ने शिवसेना से रिश्ता तोड़कर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का दामन थामकर शिरूर लोकसभा चुनाव क्षेत्र पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का झंडा लहराकर इतिहास बनाया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के द्वारा दिए गए उम्मीदवार जो करिश्मा नहीं दिखा सके वह करिश्मा डॉ. अमोल कोल्हे ने करके दिखाया है।
शिरूर लोकसभा की राजीनीति की स्थिति में देखिए क्या समय आया है कि पूर्व सांसद शिवाजीराव आढालराव पाटिल ने शिवसेना को जय महाराष्ट्र कहते हुए अपना हाथ अजीत पवार की ओर बढ़ाकर अपने हाथों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की घड़ी पहन ली है। इससे पहले शिवसेना में हुई बगावत के बाद आढालराव पाटिल ने कुछ दिनों तक तो उद्धव ठाकरे का साथ निभाया, लेकिन महाविकास आघाडी का ही सांसद यहां होने से अपनी राजनीति का कुछ होना संभव नहीं है यह महसूस होते ही उन्होंने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ दिया और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व को हां कहते हुए उनके साथ जा मिले। तब तक सभी बहुत अच्छा था और लगभग यह तय भी था कि वे यहीं से चुनाव लड़ेंगे ही! पूर्व सांसद शिवाजीराव आढालराव पाटिल का रास्ता बिल्कुल साफ था, लेकिन कहानी में तो सही मायने में ट्विस्ट तब आया जब अजीत पवार भी भारतीय जनता पार्टी के खेमे में जाकर बस गए, इतना ही नहीं उन्होंने इस शिरूर लोकसभा चुनाव क्षेत्र पर अपना दावा पेश भी किया और यह सीट अपने जेब में भी कर ली। इस पूरे सिलसिले में शिवाजीराव आढालराव पाटिल को जबरदस्त सदमा लगा। इतने सालों तक जिस राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की आलोचना करनेवाले आढालराव पाटिल को आज उनके (राकांपा) घर में जाकर मेहमान से कदरदान होकर आज चुनाव लड़ने का समय आया है।

शिवसेना का एक मजबूत गढ़ के रूप में शिरूर लोकसभा चुनाव क्षेत्र को देखा जाता था, उसकी बागडोर भी यहां के सांसद शिवाजीराव आढालराव पाटिल बहुत ही बखूबी निभा रहे थे। इससे पहले हुए चुनाव में उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ओर से दिए गए उम्मीदवार देवदत्त निकम व विलास लांडे को शिकस्त देकर विजय का तिलक लगाया था। शिवाजीराव आढालराव पाटिल ने इस चुनाव क्षेत्र पर पूरी तरह से अपना नियंत्रण रखते हुए अपने प्रतियोगियों पर आसानी से विजय प्राप्त की थी, परंतु उसे अपवाद साबित हुए डॉ. अमोल कोल्हे, जिन्होंने शिरूर लोकसभा चुनाव क्षेत्र काबिज करने के बाद यहां अच्छा संपर्क स्थापित कर अपनी ताकत तो निर्माण की परंतु अजीत दादा ने लिए अलग निर्णय से यहां की राजनीति के मानो पूरे हालात ही बदल गए हैं। इस चुनाव क्षेत्र के विधायक, नगरसेवक एंव पदाधिकारीगणों समेत कार्यकर्ताओं ने अजीत दादा का साथ निभाते उनके समर्थन में खड़ा रहना पसंद किया है। शिरूर लोकसभा चुनाव क्षेत्र में डॉ. अमोल कोल्हे बनाम शिवाजीराव आढालराव पाटिल एक बार फिर से एक दूसरे के खिलाफ संघर्ष की लड़ाई लड़ने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं। अभी देखना है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) या राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजीत पवार) इनमें से कौन जीत का झंडा इस चुनाव क्षेत्र पर लहराएगा।

इस चुनाव क्षेत्र में महाविकास आघाडी के खिलाफ महायुती का कड़ा मुकाबला तो होना ही है, इस सीट पर कड़ा संघर्ष और एक दूसरे पर शब्दों का प्रहार होना सुनिश्चित है। इन प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों को इस सीट को अपने नाम करने के लिए पसीना बहाते हुए जी जान से कड़ी मेहनत करनी होगी, इसमें कोई संदेह नहीं है। देखना तो यह होगा कि महाविकास आघाडी के दल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरदचंद्र पवार व शिवसेना (ठाकरे गुट) व अन्य मित्र दल और महायुती के दल भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजीत पवार गुट) व शिवसेना (शिंदे गुट) व अन्य मित्र दल के कार्यकर्ता क्या रुख अपनाकर किस तरह अपनी भूमिका निभाते हैं! अपने-अपने दलों के उम्मीदवार की जनता में जाकर किस तरह भूमिका रखकर जनता के वोटों को अपने उम्मीदवार की ओर खींच कर ला पाते हैं या नहीं! अपने उम्मीदवार को जीत का तिलक लगाकर इस सीट पर किसे विराजमान करते हैं? यह तो आनेवाला समय ही बताएगा।

महाराष्ट्र राज्य की राजनीति में सबसे पहले प्रादेशिक पार्टी शिवसेना में हुई बगावत के पीछे पड़ी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की दरार ने देश की राजनीति की बुनियाद हिला दी। लोकसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले ही महाराष्ट्र राज्य की राजनीति में हुए परिवर्तन के कारण महाराष्ट्र राज्य की सीटों पर अलग-अलग बदलाव देखने को मिल रहे हैं जैसे कि अपने शिरूर लोकसभा चुनाव क्षेत्र में पिछले चुनाव में शिवसेना छोड़कर आए डॉ. अमोल कोल्हे ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ा था अब इस बार फिर से देखिए क्या चित्र राजनीति में देखने को मिल रहा है कि शिवाजीराव आढालराव पाटिल शिवसेना को छोड़कर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की घड़ी अपने हाथों में पहनकर चुनाव मैदान में उतरकर अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार डॉ. अमोल कोल्हे के साथ दो हाथ करने के लिए तैयार हो गए हैं।

एक तरह से देखा जाए तो इस चुनाव क्षेत्र में डॉ. अमोल कोल्हे के खिलाफ शिवाजीराव आढालराव पाटिल के संघर्ष बजाए चाचा- भतीजा आमने सामने का चित्र देखने को मिल रहा है। इस चुनाव क्षेत्र में शिरूर की सियासत पर राज कौन करेगा? कौन इस सीट पर विजय प्राप्त करेगा, क्या डॉ. अमोल कोल्हे अपनी कुर्सी बरकरार रखते हुए राज करेंगे या शिवाजीराव आढालराव पाटिल अपनी हार का बदला लेकर फिर से इस सीट पर विजय प्राप्त कर वापस कुर्सी अपनी ओर खींचने में सफल रहेंगे!

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