महाराष्ट्र की पांच हस्तियों को ‘पद्म पुरस्कार’ प्रदान

महाराष्ट्र की पांच हस्तियों को ‘पद्म पुरस्कार’ प्रदान

दो प्रतिष्ठित व्यक्तियों को पद्म भूषण और तीन प्रतिष्ठित व्यक्तियों को पद्मश्री पुरस्कार से किया गया सम्मानित

नई दिल्ली, अप्रैल (महासंवाद)
देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘पद्म पुरस्कार-2024’ का वितरण राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा किया गया। इसमें महाराष्ट्र की पांच हस्तियों को उनके क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए ‘पद्म पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
इनमें पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, दिग्गज अभिनेत्री वैजयंतीमाला बाली, अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती, मशहूर गायिका उषा उत्थप शामिल हैं। इसके साथ ही प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता बिंदेश्वर पाठक को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
राष्ट्रपति भवन में एक भव्य समारोह में राष्ट्रपति द्वारा पद्म पुरस्कार प्रदान किए गए। इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अन्य केंद्रीय मंत्रीगण उपस्थित थे। पहले चरण में संपन्न हुए पद्म पुरस्कार समारोह में राज्य में पांच गणमान्य व्यक्तियों को पुरस्कार प्रदान किया गया।
आयोजित पुरस्कार समारोह के पहले चरण में महाराष्ट्र राज्य के पांच गणमान्य व्यक्तियों को विभिन्न क्षेत्रों में उनके अमूल्य योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री राम नाईक को लोकसेवा के क्षेत्र में, श्री दत्तात्रेय अंबादास मायालु उर्फ राजदत्त को कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्म भूषण पुरस्कार, डॉ. मनोहर कृष्ण डोले को दवा, डॉ. ज़हीर इसहाक क़ाज़ी को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में, श्रीमती कल्पना मोरपारिया को वाणिज्य और उद्योग के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया गया।
महाराष्ट्र के पद्म पुरस्कार प्राप्त गणमान्य व्यक्तियों के बारे में


राम नाईक-
पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री राम नाइक को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। श्री राम नाईक ने 35 वर्ष की उम्र में अपनी नौकरी छोड़ दी और फिर राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने सांसद, केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल का पद संभाला है और 1989, 1991, 1996, 1998 और 1999 के लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र राज्य के उत्तरी मुंबई लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए थे। वह उत्तर प्रदेश के राज्यपाल का पद भी संभाल चुके हैं। उनके अथक प्रयासों से उत्तर प्रदेश अपने गठन के 68 वर्ष बाद उत्तर प्रदेश दिवस मना सका।


राजदत्त-
श्री दत्तात्रेय अंबादास मायालु उर्फ राजदत्त के नाम से मशहूर राजदत्त को कला के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान के लिए पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। फिल्म उद्योग में उनकी 50 से अधिक वर्षों की उपलब्धियों के लिए यह एक बड़ा सम्मान है। राजदत्त ने अब तक 3 बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, राज्य सरकार से सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए प्रथम पुरस्कार 8 बार, 3 द्वितीय और 2 तृतीय ऐसे 13 राज्य फिल्म पुरस्कार जीते हैं। राजदत्त द्वारा निर्देशित उनकी पहली फिल्म ‘मधुचंद्र’ ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार दिलाया। इसके साथ ही उन्होंने ‘रघुमैना’, ‘देवकीनंदन गोपाला’, ‘माझ घर माझा संसार’, ‘शापित’, ‘पुढचं पाऊल’, ‘हेच माझ माहेर’, ‘अरे संसार संसार’, मुंबईचा फौजदार’ जैसी सुपरहिट फिल्मों का निर्देशन किया है। 92 साल के राजदत्त ने फिल्म इंडस्ट्री में 50 साल से ज्यादा का योगदान दिया है।


डॉ. जहीर इसहाक काजी –
डॉ. जहीर काजी को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वह पिछले 40 वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं, जिसमें 150 साल पुरानी अंजुमन-ए-इस्लाम के प्रमुख के रूप में 13 साल का कार्यकाल भी शामिल है, जिनमें से लगभग 97 स्कूल, कॉलेज, छात्रावास, अनाथालय और अन्य शैक्षणिक संस्थान संचालित होते हैं। नए पनवेल में 10.5 एकड़ में फैले इंजीनियरिंग, वास्तुकला और फार्मेसी में डिप्लोमा, डिग्री और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों की पेशकश करनेवाले एक पॉलिटेक्निक के साथ-साथ एक लॉ कॉलेज की स्थापना करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने गोवा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और शहर के नायर अस्पताल से एमडी (रेडियोलॉजी) किया। पेशे से रेडियोलॉजिस्ट, काजी नागपाड़ा में प्राइम डायग्नोस्टिक सेंटर के निदेशक हैं। उन्होंने पहले प्रबंधन प्रतिनिधि के रूप में मुंबई विश्वविद्यालय सीनेट के सदस्य के रूप में कार्य किया है।
उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शिक्षा अल्पसंख्यक संघ के मुद्दों और नीतियों पर चर्चा करने के लिए और जॉर्डन के राजा की यात्रा के दौरान दो बार आमंत्रित किया है।


कल्पना मोरपरिया –
श्रीमती कल्पना मोरपारिया को व्यापार और उद्योग के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए आज पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। श्रीमती कल्पना मोरपारिया एक भारतीय बैंकर हैं। उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक में लंबे समय तक सेवा की है और वर्तमान में जेपी मॉर्गन इंडिया की मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। उन्होंने कई प्रमुख भारतीय कंपनियों के निदेशक मंडल में स्वतंत्र निदेशक के रूप में कार्य किया है। वह बॉम्बे विश्वविद्यालय से कानून स्नातक हैं और उन्होंने भारत सरकार द्वारा गठित कई समितियों में कार्य किया है। उन्हें फॉर्च्यून पत्रिका द्वारा अंतरराष्ट्रीय व्यापार में पचास सबसे शक्तिशाली महिलाओं में स्थान दिया गया है।

डॉ. मनोहर कृष्ण डोले –
चिकित्सा के क्षेत्र में उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए डॉ. मनोहर कृष्ण डोले को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। डॉ. डोले एक धर्मार्थ नेत्र अस्पताल चलाते हैं, जिसकी स्थापना 1982 में हुई थी। पुणे जिले के जुन्नर, आंबेगांव, खेड़ और शिरूर तालुका के विभिन्न क्षेत्रों में हर महीने 10 से 12 मुफ्त नेत्र शिविर आयोजित करते है। वर्षों से, अपने द्वारा संचालित एक फाउंडेशन के माध्यम से, वह नारायणगांव, पुणे और आसपास के क्षेत्रों के वंचित ग्रामीण और आदिवासी लोगों को नेत्र सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने नेत्र जांच शिविरों के माध्यम से निःशुल्क नेत्र चिकित्सा प्रदान कर अमूल्य योगदान दिया है।

देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में पद्मविभूषण, पद्मभूषण और पद्मश्री इन तीन श्रेणियों में प्रदान किए जाते हैं। कला, सामाजिक कार्य, विज्ञान और इंजीनियरिंग, वाणिज्य और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य और शिक्षा, खेल, सिविल सेवा आदि जैसे विभिन्न शाखा/ कार्यक्रमों में यह पुरस्कार दिए जाते हैं। असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए ‘पद्मविभूषण’ प्रदान किया जाता है; उच्चतम श्रेणी में विशिष्ट सेवा के लिए ‘पद्मभूषण’ और किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए ‘पद्मश्री’ पुरस्कार प्रदान किया जाता है। हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर इन पुरस्कारों की घोषणा की जाती है। यह पुरस्कार राष्ट्रपति द्वारा हर साल मार्च/अप्रैल में राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में प्रदान किए जाते हैं। वर्ष 2024 के लिए राष्ट्रपति ने 132 पद्म पुरस्कार प्रदान करने की मंजूरी दे दी है, जिनमें 5 पद्म विभूषण, 17 पद्म भूषण और 110 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं। पुरस्कार पानेवालों में 30 महिलाएं हैं और इस सूची में विदेशी/ एनआरआई/पीआईओ/ओसीआई श्रेणी के 8 गणमान्य व्यक्ति और 9 मरणोपरांत पुरस्कार विजेता भी शामिल हैं।

पद्म पुरस्कार 2024 की सूची
पद्मविभूषण : वैजयंतीमाला बाली (कला), कोनिडेला चिरंजीवी (कला), एम. वेंकैया नायडू (जनसंपर्क), बिंदेश्वर पाठक (मरणोपरांत) (सामाजिक कार्य), पद्म सुब्रमण्यम (कला)।

पद्मभूषण : एम. फातिमा बीवी (मरणोपरांत) (सार्वजनिक मामलों), होर्मुसजी एन. कामा (साहित्य व अध्यापन), मिथुन चक्रवर्ती (कला), सीताराम जिंदाल (व्यापार और उद्योग), अश्विन बालचंद मेहता (वैद्यक), सत्यब्रत मुखर्जी (चिकित्सा) सार्वजनिक मामलेव), राम नाईक (सार्वजनिक व्यवहार), तेजस मधुसूदन पटेल (दवा), ओलंचेरी राजगोपाल (सार्वजनिक मामले), राजदत्त (कला), तोगदान रिनपोचे (मरणोपरांत) (अध्यात्मवाद), प्यारेलाल शर्मा (कला), चंद्रेश्वर प्रसाद ठाकुर (वैद्यक), उषा उथुप (कला), विजयकांत (मरणोपरांत) (कला), कुंदन व्यास (साहित्य व अध्यापन- पत्रकारिता), यंग लिऊ (व्यापार एवं उद्योग)।

पद्मश्री : पार्वती बरुआ : भारत की पहली महिला महावत, जागेश्वर यादव : आदिवासी कल्याण कार्यकर्ता, चामी मुर्मू : आदिवासी पर्यावरणवादी, गुरविंदर सिंह : दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता, सत्यनारायण बेलेरी : कासरगोड, केरल के चावल किसान, संगठनकिमा : आयझॉल के सामाजिक कार्यकर्ता, हेमचंद मांझी : पारंपरिक चिकित्सा व्यवसायी, दुखू माझी : पश्चिम बंगाल की आदिवासी पर्यावरणवादी, के चेल्लम्मल : दक्षिण अंदमान के जैविक किसान, यानुंग जामोह लेगो : पूर्व सियांग आधारित हर्बल औषधि विशेषज्ञ , सोमन्ना : म्हैसूर, कर्नाटक के आदिवासी कल्याण कर्मचारी , सर्वेश्वर बसुमातारी : आसाम के चिरांग जिले के आदिवासी किसान, प्रेमा धनराज : प्लास्टिक सर्जन (पुनर्निर्माण) और सामाजिक कार्यकर्ता, उदय विश्वनाथ देशपांडे : अंतरराष्ट्रीय मलखंब प्रशिक्षक, यझदी मानेक्शा इटालिया : प्रख्यात सूक्ष्म जीवविज्ञानी, शांती देवी पासवान और शिवन पासवान:विश्व स्तर पर प्रसिद्ध गोदना चित्रकार, रतन कहार : पश्चिम बंगाल के बीरभूम के भादू लोक गायक, बालकृष्णन सदनम पुथिया वीटील : कल्लुवाज़ी कथकली नर्तक 60 वर्षों से अधिक समय से इस कला का अभ्यास कर रहे हैं, उमा माहेश्वरी डी : हरिकथा की पहली महिला व्याख्याता, गोपीनाथ स्वेन : ओडिशा से गंजम जिले के कृष्ण लीला गायक, स्मृती रेखा चकमा : त्रिपुरा के चकमा लोईनलूम शाल विणकर, ओमप्रकाश शर्मा : मच थिएटर कलाकार 7 दशकों से 200 साल पुरानी कला का अभ्यास कर रहे हैं, नारायणन ईपी : कन्नूर के वरिष्ठ तेय्यम लोक नर्तक, भागबत पठण : बारगढ, ओडिशा के सबदा नृत्य लोकनृत्य कलाकार, सनातन रुद्र पाल: 5 दशकों से अनुभव रहनेवाले प्रसिद्ध शिल्पकार., बद्रप्पन एम : कोईम्बतूर, तमिलनाडू के वल्ली ओयल कुमी लोकनृत्य कलाकार, जॉर्डन लेपचा : आसाम के मंगन के लेपचा जमाती के बांस कारीगर, मचिहान सासा : मणिपुर के उखरुल के लोंगपी कुंभार, मिट्टी की पारंपरिक कला को संरक्षित करने में पांच दशक बिताए। गद्दम संमिया : जनगाव, तेलंगणा के चिंदू यक्षगानम थिएटर कलाकार., जानकीलाल : बहरूपिया कलाकार राजस्थान के भिलवाडा, दसरी कोंडप्पा: नारायणपेट, तेलंगणा के बुर्रा वीणा खिलाड़ी, बाबू राम यादव : 6 दशकों से अधिक अनुभववाला पीतल मरोरी मूर्तिकार, नेपाल चंद्र सूत्रधार : छाऊ मुखौटा निर्माता, खलील अहमद (कला), कालूराम बामनिया (कला), रेझवाना चौधरी बन्या (कला), नसीम बानो (कला), रामलाल बरेथ (कला), गीता रॉय बर्मन (कला), सोम दत्त बट्टू (कला), तकदिरा बेगम (कला), द्रोण भुयान (कला), अशोक कुमार बिस्वास (कला), रोहन बोपण्णा (क्रीड़ा) ,वेलू आनंदा चारी (कला), राम चेत चौधरी (विज्ञान व अभियांत्रिकी), जोश्ना चिनप्पा (क्रीड़ा), शार्लोट चोपिन (अन्य – योग), रघुवीर चौधरी (साहित्य व शिक्षा), जो डी क्रूझ (साहित्य व शिक्षा), गुलाम नबी दार (कला), चित्त रंजन देबबर्मा (अन्य- अध्यात्मवाद),राधा कृष्ण धीमान (दवा), मनोहर कृष्णा डाले (दवा), पियरे सिल्व्हेन फिलिओजात (साहित्य व शिक्षा), महाबीर सिंग गुड्डू (कला), अनुपमा होस्केरे (कला), राजाराम जैन (साहित्य व शिक्षा), यशवंत सिंह कथोच (साहित्य व शिक्षा), जहिर आय काजी (साहित्य व शिक्षा), गौरव खन्ना (क्रीड़ा), सुरेंद्र किशोर (साहित्य व शिक्षा- पत्रकारिता), श्रीधर माकम कृष्णमूर्ति (साहित्य व शिक्षा),स तेंद्रसिंह लोहिया (क्रीड़ा), पूर्णिमा महातो (क्रीड़ा), राम कुमार मल्लिक (कला), चंद्रशेखर महादेवराव मेश्राम (दवा), सुरेंद्र मोहन मिश्रा (मरणोपरांत) (कला), अली मोहम्मद और गनी मोहम्मद (कला), कल्पना मोरपरिया (व्यापार व उद्योग), ससिंद्रन मुथुवेल (सार्वजनिक व्यवहार), जी. नचियार (दवा), किरण नाडर (कला), पाकरावुर चित्रण नंबूदिरीपाद (मरणोपरांत) (साहित्य व शिक्षा), शैलेश नायक (विज्ञान व अभियांत्रिकी), हरीश नायक (चंद्रशेखर) (साहित्य व शिक्षा), फ्रेड नेग्रिट (साहित्य व शिक्षा), हरी ओम (विज्ञान व अभियांत्रिकी), शंकरबाबा पुंडलिकराव पापलकर (सामाजिक कार्य), राधे श्याम पारीक (दवा), दयाल मावजीभाई परमार (दवा)बिनोद कुमार पसायत (कला), सिल्बी पासाह (कला), मुनी नारायण प्रसाद (साहित्य व शिक्षा), के.एस.राजन्ना (सामाजिक कार्य), चंद्रशेखर चन्नपट्टण राजन्नाचार (दवा), रोमलो राम (कला), नवजीवन रस्तोगी (साहित्य व शिक्षा)।
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