महाराष्ट्र की मैग्नेट परियोजना फूलों की खेती के लिए वरदान : अपर मुख्य सचिव अनूप कुमार

महाराष्ट्र की मैग्नेट परियोजना फूलों की खेती के लिए वरदान : अपर मुख्य सचिव अनूप कुमार

पुणे, मई (जिमाका)
एशियाई विकास बैंक द्वारा वित्त पोषित महाराष्ट्र एग्री बिजनेस नेटवर्क (मैग्नेट) परियोजना राज्य में फूलों की खेती के लिए एक वरदान है और देश में सफल परियोजनाओं में से एक है। यह जानकारी राज्य के सहकार एवं विपणन विभाग के अपर मुख्य सचिव अनुप कुमार ने दी है।

मैग्नेट परियोजना के तहत के. एफ. बायोप्लांट और राष्ट्रीय सुगी पश्चात प्रौद्योगिकी संस्था तलेगांव दाभाड़े के सहयोग से गुरुवार (16 तारीख) को आयोजित फूल फसल उत्पाद व सुगी पश्चात संबंधी कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर वे बोल रहे थे। कार्यक्रम में मैग्नेट के परियोजना निदेशक विनायक कोकरे, अतिरिक्त परियोजना निदेशक डॉ. अमोल यादव, राष्ट्रीय सुगी प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक डॉ. सुभाष घुले, उप निदेशक राजेंद्र महाजन, पुणे जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के निदेशक माऊली दाभाड़े, के.एफ. बायोप्लांट के महाप्रबंधक आशीष फड़के, आईसीएआर वैज्ञानिक डॉ. गणेश कदम, गणेशखिंड कृषि केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. मोहन शेटे, डॉ.विष्णु गराडे, फूल उत्पादक किसान आदि उपस्थित थे।

फूलों की खेती में मूल्य श्रृंखला विकास की आवश्यकता है और यही कारण है कि फूलों को मैग्नेट परियोजना में शामिल किया गया है यह बताते हुए श्री अनुपकुमार ने कहा कि युवा फूल उत्पादक किसानों को एक साथ आना चाहिए और स्टार्टअप के माध्यम से इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए। फूलों की खेती में महाराष्ट्र राज्य अग्रणी राज्य के रूप में सामने आया है और नांदेड़, धाराशिव आदि जिलों में फूलों की खेती के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा है। राष्ट्रीय सुगी पश्चात तकनीकी ज्ञान संस्था फूलों की खेती के मार्गदर्शन में एक महत्वपूर्ण संगठन है।

श्री कोकरे ने मैग्नेट परियोजना के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की और फूलों की खेती के लिए परियोजना के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने राज्य के किसानों से मैग्नेट परियोजना के तहत मूल्य श्रृंखला विकसित करने के लिए अधिक से अधिक प्रस्ताव प्रस्तुत करने की भी अपील की।
फूल किसानों को बागवानी और फूलों की खेती के लिए सावधि ऋण और कार्यशील पूंजी के लिए मैग्नेट परियोजना के एफआईएल घटक के तहत उपलब्ध कराए गए धन का लाभ उठाना चाहिए। यह अपील डॉ. अमोल यादव ने की।

संरक्षित फूल खेती के संबंध में के. एफ. बायोप्लांट के श्री फडके ने फूलोंवाली कृषि की खेती के बारे में, आईसीएआर के वैज्ञानिक डॉ. कदम ने पुष्प प्रबंधन और निर्यात के बारे में, पंडित शिकारे आदि विशेषज्ञों ने मार्गदर्शन किया।

दोपहर के सत्र में सभी उपस्थित उत्पादक किसानों को सोएक्स फ्लोरा फूलों की निर्यात करनेवाले कंपनी के परिसर में भेट देकर उस स्थान पर उपलब्ध रहनेवाले प्री-कूलिंग, कोल्ड स्टोरेज, पैक हाउस, फूलों की कटाई और विपणन के संबंध में कंपनी के निदेशक नरेंद्र पाटिल और धनंजय कदम ने मार्गदर्शन किया।
इस अवसर पर कार्यशाला के लिए तैयार की गई ‘पुष्प फसल सूचना पुस्तिका’ का विमोचन भी किया गया।

कार्यशाला में इंडिका फ्रेश के पंडित शिकारे, मैग्नेट परियोजना के कैलास कुंभार, नितिन पाटिल, चेतन भक्कड़, राष्ट्रीय सुगी पोस्ट टेक्नोलॉजी संस्था के अधिकारी और कर्मचारी और राज्य के फूल उत्पादक किसान उपस्थित थे।

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