शिष्य को गुरु बनते देखना और अपने शिष्य द्वारा प्रदर्शित कला को देखना सौभाग्य का क्षण : डॉ. स्वाति दैठणकर

शिष्य को गुरु बनते देखना और अपने शिष्य द्वारा प्रदर्शित कला को देखना सौभाग्य का क्षण : डॉ. स्वाति दैठणकर

‘अलारी नृत्यालय’ द्वारा किया गया पहले नृत्योत्सव ‘प्ररोह’ का आयोजन : 60 विद्यार्थियों ने किया अपनी कला का प्रदर्शन

विमाननगर, मई (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर ‘अलारी नृत्यालय’ का पहला नृत्योत्सव ‘प्ररोह’ सिम्बायोसिस संस्थान हॉल, विमाननगर में संपन्न हुआ। इस भरतनाट्यम नृत्यालय के लगभग 60 विद्यार्थियों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। सन् 2019 में तेजस्विनी कांबले द्वारा स्थापित किए गए नृत्यालय की आज तीन शाखाएं हैं।


तेजस्विनी ने गुरु डॉ. स्वाति दैठणकर के मार्गदर्शन में भारती विद्यापीठ से भरतनाट्यम में स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। इस कार्यक्रम में तेजस्विनी की गुरु और प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना डॉ. स्वाति दैठणकर, शिक्षा विशेषज्ञ और कथक नृत्यांगना शर्मिष्ठा सेन एवं भारतीय जनता पार्टी शिक्षण विभाग पुणे विभाग की प्रमुख सीमा तन्वर प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित थे। सभी कलाकारों ने बहुत अच्छे से नृत्यरचना पेश की। पांच साल की… ने दर्शकों का दिल जीत लिया। उनके प्रदर्शन के माध्यम से सभी कलाकारों में उनके गुरुओं द्वारा की गई कड़ी मेहनत और छात्रों की नृत्य के साथ पहचान विशेष रूप से स्पष्ट थी।


डॉ. स्वाति दैठणकर ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि भरतनाट्यम जैसा भारतीय शास्त्रीय नृत्य शरीर को स्वचालित रूप से एक मोड़ और अनुशासन देता है। उन्होंने कहा कि किसी भी गुरु के लिए अपने ही शिष्य को गुरु बनते देखना और अपने शिष्य द्वारा प्रदर्शित कला को देखना सौभाग्य का क्षण होता है।
शर्मिष्ठा सेन ने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा और कला का मेल बहुत जरूरी है।

धीरे-धीरे रंगारंग हो चुके इस कार्यक्रम का सूत्र-संचालन श्रीमती सविता म्हसकर ने किया। स्वच्छंद द्वारा की गई प्रकाश-योजना से सभी नृत्य-रचनाओं में एक अलग ही रंग आ गया। ‘प्ररोह 2024’ अलारी नृत्यालय के पहले नृत्योत्सव को दर्शकों और अभिभावकों से बहुत अच्छा प्रतिसाद मिला।

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