ग्रंथ देते हैं जीवन जीने की प्रेरणा : ह.भ.प. चैतन्य महाराज थोरात

ग्रंथ देते हैं जीवन जीने की प्रेरणा : ह.भ.प. चैतन्य महाराज थोरात

चाकण, अप्रैल (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क)
ग्रंथ दैनिक जीवन का हिस्सा हैं और वे हमें जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं। हमें अपने जीवन में नैतिक आचरण करना चाहिए। धर्मग्रंथ हमें सिखाते हैं कि हमें अपने गुरुओं के प्रति निष्ठावान और जीवन में कैसे होना चाहिए? ग्रंथालय में जाकर किताबें पढ़नी चाहिए। आप किताबों को दिल से पढ़ेंगे तो जीवन की समस्या दूर हो जाएगी। यह विचार बाल कीर्तनकार हभप. कु. चैतन्य महाराज थोरात ने व्यक्त किए।

खराबवाडी (ता. खेड) के जिला परिषद प्राथमिक स्कूल में विश्व ग्रंथदिन के अवसर पर संतभारती ग्रंथालय की ओर से आयोजित किए गए व्याख्यान, ग्रंथ प्रदर्शन व ग्रंथ प्रदान समारोह में वे विद्यार्थियों को ‘ग्रंथ हेच गुरु’ विषय पर मार्गदर्शन करते हुए बोल रहे थे। इस अवसर पर यहां स्कूल के निवृत्त मुख्याध्यापक भिकाजी पानसरे, महालुंगे पुलिस स्टेशन के उपनिरीक्षक संतोष जायभाये, मुख्याध्यापक राजेंद्र कातोरे, स्कूल व्यवस्थापन समिति के अध्यक्ष किरण किर्ते, उपाध्यक्ष एडवोकेट अमर वाघ, संचालक तेजस वाडेकर, ज्ञानेश्वर मोकाशी, संतोष खराबी, रुपेश खेडकर, शांताराम घोलप के साथ स्कूल के सभी शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित थे।

खराबवाडी जिला परिषद स्कूल को 75 वर्ष पूरे होने पर स्कूल के पूर्व विद्यार्थी व संतभारती ग्रंथालय के अध्यक्ष पत्रकार हनुमंत देवकर ने अपनी माँ स्व.गजराबाई ज्ञानोबा देवकर के छठे पुण्यस्मरण दिवस व विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर निवृत्त मुख्याध्यापक भिकाजी गणपत पानसरे व पुलिस उपनिरीक्षक संतोष जायभाये के हाथों स्कूल के ग्रंथालय को 75 हजार रुपये की पुस्तकें उपहार में दीं।

संतभारती ग्रंथालय के अध्यक्ष पत्रकार हनुमंत देवकर ने कहा कि बच्चों को बचपन में ही अच्छे संस्कार व शिक्षा देनी चाहिए। इसके लिए पढ़ने का शौक उनमें निर्माण करना चाहिए। ज्ञान किताबों से आता है, इसलिए बच्चों को किताबों से दोस्ती करनी चाहिए।

इस अवसर पर निवृत्त मुख्याध्यापक भि. ग. पानसरे गुरुजी और महालुंगे पुलिस स्टेशन के उपनिरीक्षक संतोष जायभाये ने अपने विचार व्यक्त किये।

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