मध्य रेल का गौरवशाली 171 वर्षों का सुहाना सफर

मध्य रेल का गौरवशाली 171 वर्षों का सुहाना सफर

पुणे, अप्रैल (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
भारतीय रेलवे ने गौरवशाली 171 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। एशिया (और भारत) में पहली ट्रेन जो 16 अप्रैल, 1853 को मुंबई और ठाणे के बीच चली थी, को बोरीबंदर (वह स्थान जहां सीएसएमटी वर्तमान में खड़ा है) से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था।
जैसे-जैसे साल बीतते गए, ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे, जिसने प्रथम ट्रेन का परिचालन किया था का सं 1900 में इंडियन मिडलैंड रेलवे कंपनी में विलय हो गई और इसकी सीमाएं उत्तर में दिल्ली, उत्तर-पूर्व में कानपुर और इलाहाबाद और पूर्व में नागपुर से लेकर दक्षिण-पूर्व में रायचूर तक विस्तार दिया।
5 नवंबर 1951 को निज़ाम राज्य, सिंधिया राज्य और धौलपुर राज्य रेलवे को एकीकृत करके मध्य रेल का गठन किया गया था। वर्तमान में मध्य रेल अपने 5 मंडलों यानी मुंबई, भुसावल, नागपुर, सोलापुर और पुणे के साथ महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में 4,275 रूट किमी से अधिक का विस्तृत नेटवर्क रखता है। मध्य रेल 466 स्टेशनों के माध्यम से इन राज्यों को सेवा प्रदान कर रहा है।


अप्रैल 1853 में पहली ट्रेन से लेकर भारत की अत्याधुनिक ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस तक, रेलवे ने गत 171 वर्षों में अपने रेल नेटवर्क का सफलतापूर्वक विशाल क्षेत्र तक विस्तार किया है। वर्तमान में मध्य रेल 6 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन कर रहा है। सीएसएमटी-साईंनगर शिर्डी, सीएसएमटी-सोलापुर, सीएसएमटी-मडगांव, सीएसएमटी-जालना, नागपुर-बिलासपुर और नागपुर-इंदौर वंदे भारत एक्सप्रेस।
इस प्रकार मध्य रेल अनेक बेहतरीन उपलब्धियों के साथ निरंतर शीर्ष स्थान पर बना हुआ सफलता की ओर अग्रसर है। इनमें से कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं : पहली शताब्दी एक्सप्रेस, पहली जन शताब्दी एक्सप्रेस, पहली तेजस एक्सप्रेस आदि। पंजाब मेल जैसी कुछ सबसे पुरानी ट्रेनों के 100 साल बाद भी चलने और अपने यात्रियों के बीच लोकप्रिय होने से इसने निश्चित रूप से एक लंबा सफर तय किया है।


3 फरवरी 1925 को बॉम्बे वीटी और कुर्ला हार्बर के बीच भारत में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन सेवा के परिचालन से रेलवे और मुंबई की उपनगरीय सेवाओं के विद्युतीकरण की नींव पड़ी जो आज मुंबई शहर की जीवन रेखा के रूप में जानी जाती है।
आज मध्य रेल ने 100% विद्युतीकरण हासिल कर लिया है और उपनगरीय नेटवर्क में भी लगातार वृद्धि हुई है। वर्तमान में मध्य रेल के पास पांच उपनगरीय कॉरीडोर हैं। 3 कोच से आरंभ हुई उपनगरीय सेवाएं धीरे-धीरे बढ़कर 9 कोच, 12 कोच और कुछ सेवाओं में 15 कोच तक पहुंच गई हैं। यात्रा को अधिक सुविधाजनक और आरामदायक बनाने के लिए वातानुकूलित (एसी) उपनगरीय सेवाएं भी शुरू की गई हैं।


निर्माण के समय मूल लोडिंग जो 16.58 मिलियन टन थी, अब वर्ष 2023-24 में बढ़कर 89.24 मिलियन टन हो गई है जो अब तक की सबसे उत्कृष्ठ लोडिंग है। इसके अलावा, नई रेलवे लाइनों का निर्माण, दोहरीकरण, पुलों का निर्माण, नए स्टेशनों का निर्माण आदि जैसे बुनियादी ढांचे का कार्य तेजी से किया जा रहा है, जिसमें इस वित्तीय वर्ष में हासिल किए गए 348 किलोमीटर के मल्टी-ट्रैकिंग कार्य की उच्चतम मात्रा शामिल है।


नेरल-माथेरान लाइन रेलवे ने भी अपने गौरवशाली 117 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। नेरल-माथेरान रेलवे का निर्माण 1904 में शुरू हुआ और दो फीट गेज लाइन अंततः 1907 में यातायात के लिए खोल दी गई। एहतियात के तौर पर, यह लाइन मानसून के दौरान बंद रहती थी, हालांकि, अमन लॉज और माथेरान के बीच शटल सेवाएं दिनांक 29.09.2012 से शुरू की गईं जो मानसून में भी चलने के लिए सुरक्षित हैं। मध्य रेल ने अपने यात्रियों के लिए सुरक्षित और आरामदायक यात्रा सुनिश्चित करने के लिए इस खंड पर कई बुनियादी ढांचागत कार्य किए हैं और नेरल-माथेरान एनजी लाइन पर सेवाएं जो दिनांक 22.10.2022 से पुनः आरंभ हो गई हैं।
1853 से लेकर वर्तमान समय तक, मध्य रेल सर्वोत्तम सेवाएं प्रदान करने में सदैव अग्रणी रहा है और भविष्य में भी करता रहेगा तथा अपने सम्मानित यात्रियों को सुरक्षित, आरामदायक और सुविधाजनक यात्रा प्रदान करने के लिए सदैव प्रतिबद्ध है।
यह प्रेस विज्ञप्ति जनसंपर्क विभाग, मध्य रेल पुणे मंडल द्वारा जारी की गई है।

Spread the love

Post Comment