डेंगू व चिकनगुनिया बीमारियों के संक्रमण से बचने हेतु सावधानी बरतने की जरूरत : डॉ. अनिल पाटिल
डेंगू व चिकनगुनिया बीमारियों के संक्रमण से बचने हेतु सावधानी बरतने की जरूरत : डॉ. अनिल पाटिल
हड़पसर, दिसंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
कोरोना के बाद नागरिकों को डेंगू व चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। डेंगू और चिकनगुनिया बीमारी से प्रभावित होने के बाद पीड़ित मरीजों में जोड़ों का दर्द बहुत बढ़ जाता है। हालांकि कोराना की महामारी नियंत्रण में है, लेकिन सितंबर और अक्टूबर महीने में डेंगू व चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। निजी अस्पतालों में इन मरीजों का अनुपात सरकारी हॉस्पिटलों से अधिक है। चिकनगुनिया और इस बीमारी के बाद सबसे बड़ी समस्या है जोड़ों का दर्द है। जोड़ों का दर्द असहनीय दर्द है।
विशेषता यह है कि मरीजों को खड़े होने एवं बैठने में अधिक कष्ट झेलना पड़ता है। खड़े होने एवं बैठते समय काफी पैमाने में इससे ज्यादा दर्द होता है। यह समस्या संभवतः 6 महीने तक बनी रहती है, जिसके लिए आपको डॉक्टर की सलाह से लगातार दवाएं लेनी पड़ती हैं। बरसात के मौसम में कीट-जनित बीमारियों की संख्या बढ़ जाती है और शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिलता है।
बीमारी का संक्रमण
चिकनगुनिया और डेंगू बुखार के संक्रमण से जो केमिकल उत्पन्न होता है (रासायनिक प्रक्रियाएं) वहीं जोड़ों के दर्द का कारण बनते हैं। इसमें विषाणु तो नहीं होता, लेकिन उससे बननेवाली प्रक्रिया बाधित हो जाती है। इसे आर्थेरायटीस (वात रोग) कहा जाता है। इस दर्द के मरीजों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हो रही है। यह बीमारी कोविड में नहीं देखी गई। संक्षेप में कहें तो यह एक प्रकार की ऑटो इम्यून बीमारी है।
सावधानी बरतने हेतु क्या करें?
मच्छरों से खुद को बचाना और निवारक उपायों की योजना बनाना बेहद जरूरी है। इस बीमारी में हल्के व्यायाम नियमित रूप से करें। प्रदूषण मुक्त वातावरण में सुबह की सैर, सूरज की रोशनी लेने से विटामिन डी का स्तर बढ़ सकता है और जोड़ों के दर्द से कुछ हद तक राहत मिल सकती है। ऐसे जोड़ों के दर्द को नियंत्रित किया जा सकता है। आहार में स्वच्छ ताजी पत्तेदार सब्जियों और फलों का अधिक प्रयोग करना चाहिए।
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