सैनिकों के कल्याण के लिए ध्वज निधि संकलन

सैनिकों के कल्याण के लिए ध्वज निधि संकलन

सैनिकों के कल्याण के लिए ध्वज निधि संकलन

सैनिकों के कल्याण के लिए ध्वज निधि संकलन

ध्वज दिवस निधि दिवस हर साल 7 दिसंबर को मनाया जाता है। जिन्होंने अपने जीवन के कई बहुमूल्य वर्ष मातृभूमि की सेवा में बिताए हैं और अपनी मातृभूमि की सेवा करते हुए जिन्होंने स्वेच्छा से मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए हैं, उन्हें सम्मान श्रद्धांजलि देकर सैनिकों का मनोबल बढ़ाया जाए, इसलिए इस दिवस को मनाने की परंपरा है। ध्वजदिवस निधि संकलन यह मुख्य रूप से पूरा समाज वीर जवानों का ऋणी है, उनके पीछे खड़ा है। इस भावना को व्यक्त करने के लिए युद्ध में वीरगति को प्राप्त, साथ ही विकलांग हुए सैनिकों के परिवारों का कल्याण और पुनर्वास करने के लिए उनके लिए विभिन्न योजनाओं को लागू करके उनकी मदद करने के लिए इन बुनियादी सिद्धांतों को जन जन के मन में विकसित करने के लिए मनाने का रिवाज है। तदनुसार, हर साल 07 दिसंबर से 30 नवंबर अवधि दौरान ध्वज का संग्रह किया जाता है और एकत्रित धन का उपयोग भूतपूर्व सैनिकों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ सैन्य लड़कों और लड़कियों के लिए छात्रावासों के लिए किया जाता है।

ध्वजदिवस निधि की पृष्ठभूमि : स्वतंत्रता से पहले भारत में 11 नवंबर को पॉपी डे मनाकर सैनिकों के कल्याण के लिए निधि एकत्र करके और एकत्रित निधि की अधिकांश निधि का उपयोग इंग्लैंड में पूर्व सैनिकों के कल्याण और छोटी राशि भारत में पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए इस्तेमाल किया जाता था। आजादी के बाद जब सैनिकों के कल्याण के लिए स्वतंत्र योजना का मामला केंद्र सरकार के पास आया तब कदम कदम पर परतंत्र को याद करने देनेवाला 11 नवंबर दिवस स्वतंत्र भारत के सैनिकों का अभिवादन करने के लिए निश्चित करने के बजाय वैकल्पिक दिवस निश्चित करने का फैसला किया गया। तदनुसार दिनांक 28 अगस्त 1949 को भारत सरकार के रक्षा मंत्री, भारत सरकार की अध्यक्षता में गठित समिति ने हर साल 7 दिसंबर को ध्वज दिवस मनाने और सभी देशवासियों को झंडे बांटने और सैनिकों के कल्याण के लिए धन एकत्र करने का फैसला किया।

इसके अनुसार रक्षा मंत्रालय के तहत कार्यरत केंद्रीय सैन्य बोर्ड और उनके देश भर में स्थानीय कार्यालयों द्वारा हर साल 7 दिसंबर को सशस्त्र बलों की तीन सेनाओं का प्रतीक वाले झंडे वितरित करके आगे साल के अवधि के दौरान सैनिकों के कल्याण के लिए निधि संकलित किया जाने लगा और इस निधि को ध्वज दिवस निधि के रूप में संबोधित किया जाने लगा। अंततः वर्ष 1993 में रक्षा मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार सैनिकों के कल्याण के लिए प्रदान की गई विभिन्न निधियों को समेकित किया गया और इसे सशस्त्र बल झंडा दिवस निधि का नाम दिया गया।

ध्वज दिवस निधि संकलन : सशस्त्र सेना ध्वज दिवस निधि संकलन में सरकारी यंत्रणा के अलावा स्वयंसेवी संगठन और आम नागरिक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसमें मुख्य रूप से जनता से स्वतःस्फूर्त धन संग्रह किया जाता है तथा उक्त निधि संग्रह के लिए डिब्बा पद्धति निषिद्ध है तथा प्रत्येक ध्वज दिवस पर दानकर्ता को सरकारी रसीद देना अनिवार्य होती है।

ध्वजदिवस निधि का विनियोग : ध्वज दिवस निधि संकलन कार्य से एकत्रित हुए निधि का एक छोटा सा हिस्सा अर्थात संबंधित राज्य, केंद्र शासित प्रदेश की जनसंख्या के अनुसार प्रति व्यक्ति एक पैसा केंद्रीय सैनिक बोर्ड को वितरित किया जाता है तो शेष निधि क्षेत्रीय स्तर पर मुख्य रूप से युद्ध में घायल सैनिकों के पुनर्वास, सेवारत सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण और पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण और पुनर्वास के लिए खर्च की जाती है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति और क्षेत्रीय स्तर पर संबंधित राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था काम कर रही है।

महाराष्ट्र राज्य में एकत्रित हुई सशस्त्र सेना ध्वज दिवस निधि से 60% कल्याण निधि मंत्री, पूर्व सैनिक कल्याण, महाराष्ट्र राज्य की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा निर्धारित नीति के अनुसार सेवारत और पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए कार्यान्वित विभिन्न 46 योजनाओं पर खर्च किया जाता है। शेष 40 प्रतिशत विशेष निधि राज्यपाल, महाराष्ट्र राज्य की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा निर्धारित नीति के अनुसार सैन्य लड़कों और लड़कियों के छात्रावासों और सैन्य विश्राम गृहों के निर्माण और रखरखाव के लिए किया जाता है।

हमारे देश की तीनों सेनाओं के अनेक वीर जवानों ने मातृभूमि के लिए स्वेच्छा से अपने प्राणों की आहुति दी है। 1919 प्रथम महा युद्ध, 1939 से 1945 द्वितीय महा युद्ध, 1962 और 1965 का चीन युद्ध और 1971 का भारत-पाक युद्ध, ऑपरेशन पवन, मेघदूत, आर्किड-नागालैंड और कारगिल का ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन रक्षक, ऑपरेशन पराक्रम व अब तक हुई विभिन्न लड़ाइयों में, मुठभेड़ में 19,000 से अधिक सैनिकों ने अपने देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। उनकी दुनिया उजड़ गई है। जो जवान दुश्मन से लड़ते समय घायल और विकलांग हो जाते हैं, उनके परिवारों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सचमुच उन वीर जवानों ने हमारे कल के लिए अपना आज बलिदान कर दिया। साथ ही बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में हमारी सेना की अभूतपूर्व जीत और ऐसी अविस्मरणीय जीत हासिल करनेवाले हमारे वीर सैनिकों की याद और 19 सितंबर 2016 को भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक को बेहद सराहनीय उपलब्धि माना जाता है। ध्वज दिवस निधि में दान पर आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80जी (5) (तख) के तहत 100 प्रतिशत आयकर छूट है।

डॉ. सुहास दिवसे- जिलाधिकारी तथा अध्यक्ष जिला सैनिक कल्याण कार्यालय
सैनिक देश की सबसे बड़ी संपत्ति हैं। सैनिक हमारे राष्ट्र के रक्षक हैं। वे विपरीत परिस्थितियों में भी अपने देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं तो हम सब सुरक्षित हैं। राष्ट्र की सुरक्षा के लिए जवानों ने अपना कर्तव्य निभाते हुए कई चीजों का बलिदान दिया है। ध्वज दिवस मनाने के पीछे की अवधारणा आम जनता को छोटे झंडे बांटना और बदले में दान इकट्ठा करना है। देश के लिए लड़नेवाले सशस्त्र बलों के जवानों के परिवारों और आश्रितों की देखभाल करना भारत के नागरिकों की जिम्मेदारी है। पुणे जिले के नागरिकों को सैनिकों के कल्याण के लिए झंडा दिवस निधि जुटाने में उदार हाथ से मदद करनी चाहिए।

जिला सैनिक कल्याण अधिकारी- लेफ्टिनेंट कर्नल हंगे स. दै. (नि.)
पुणे जिले को ध्वज दिवस निधि एकत्र करने के दिए गए उद्देश्य को पूरा करने में जितना संभव हो नागरिकों को उतनी मदद करनी चाहिए। नागरिकों द्वारा की गई मदद को हमारे देश के वीर सैनिकों के परिवार सदैव याद रखेंगे। नागरिकों ने जिलाधिकारी एवं अध्यक्ष, जिला सैनिक कल्याण कार्यालय, पुणे, भारतीय स्टेट बैंक, पुणे मुख्य शाखा, खाता संख्या 11099461228, आईएफएससी कोड – एसबीआईएन-0000454, इस खाते पर धनकर्ष या चेक भेजकर सैनिकों के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहिए।

संकलन- श्री रोहिदास गावड़े, उप संपादक,

जिला सूचना कार्यालय, पुणे

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