शिक्षा के माध्यम से आदिवासी समाज को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जाए : सहकारिता मंत्री दिलीप वलसे पाटिल
पुणे, अगस्त (जिमाका)
भारतीय संविधान ने आदिवासी नागरिकों को दिए गए अधिकारों को बरकरार रखते हुए इस समुदाय को शिक्षा के माध्यम से मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जाना चाहिए। यह अपील सहकारिता मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने की।
विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना घोडेगांव कार्यालय द्वारा कोटमदरा में आयोजित कार्यक्रम में वे बोल रहे थे। इस अवसर पर यहां उपविभागीय अधिकारी गोविंद शिंदे, तहसीलदार संजय नागतिलक, सहायक गुट विकास अधिकारी अर्चना कोल्हे, एकात्मिक आदिवासी विकास परियोजना अधिकारी संदीप पाटिल, सहायक परियोजना अधिकारी विजया पंढुरे, भीमाशंकर सहकारी साखर कारखाना के अध्यक्ष बालासाहेब बेंडे, मंचर कृषि उत्पन्न बाजार समिति के अध्यक्ष प्रकाश घोलप आदि उपस्थित थे।
श्री वलसे पाटिल ने कहा कि भारत के संविधान ने समाज के सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान किए हैं। आदिवासी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए व उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए। सरकार आदिवासी समाज की प्रगति के लिए सदैव प्रयासरत है। उन्हें निःशुल्क शिक्षा, आवास, भोजन, छात्रवृत्ति आदि सुविधाएं प्रदान की जाती हैं, इन सुविधाओं का उपयोग शिक्षा के लिए किया जाना चाहिए। समाज के विद्यार्थियों को शिक्षा मिलनी चाहिए क्योंकि शिक्षा से जीवन बदलता है।
उन्होंने आगे कहा कि परिसर के नागरिकों के जीवनस्तर को ऊपर उठाने के लिए विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित कर उन्हें लाभ दिया जा रहा है। छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए आधुनिक आश्रम विद्यालय भवनों, लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग छात्रावासों का निर्माण किया जा रहा है। यहां के छात्र अपनी आगे की पढ़ाई पुणे में कर सकें, इसके लिए 7 हजार छात्रों की क्षमतावाले छात्रावास के निर्माण को लेकर राज्य के आदिवासी विकास मंत्री से चर्चा की गई है।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी समाज का बहुत बड़ा योगदान रहा है व उस समय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों ने विचारों की लड़ाई लड़ी, शांतिपूर्वक आंदोलन किया और चर्चा के माध्यम से मुद्दों को हल करने का प्रयास किया। आज भी आदिवासी समाज में सामुदायिक विवाह एवं सामूहिक निर्णय लेना, आवश्यकतानुसार फसल उगाना, वनों की सुरक्षा आदि अच्छी प्रथाएँ संरक्षित हैं। जनजातीय समाज कुदरत के खिलाफ कदम उठाए बिना उसकी रक्षा के लिए काम करते हैं। अन्य समुदायों को उनसे सीखने की जरूरत है।
श्री वलसे पाटिल ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों का विकास करते समय वन कानून, पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र, क्षेत्र से सटे अभयारण्य, पर्यावरण की सुरक्षा जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए विकास करना होगा। क्षेत्र के विकास के लिए निधि की कमी नहीं होने देंगे।
परियोजना अधिकारी श्री पाटिल ने कहा कि एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना कार्यालय के माध्यम से आदिवासी समाज के कल्याण के लिए साथ ही विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए केंद्रीय योजना, न्यूक्लियस बजट योजना, ठक्करबप्पा आदिवासी बस्ती सुधार योजना, प्रधानमंत्री आदि आदर्श योजना, शबरी घरकुल योजना, पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्वयं योजना आदि विभिन्न योजनाएं लागू की जा रही हैं। साथ ही बुनियादी सुविधाएं जैसे सड़क, बिजली, पानी, बिजली योजनाएं भी उपलब्ध कराई जा रही है।
श्री वलसे पाटिल के शुभहाथों आश्रम विद्यालय, अनुदानित आश्रम विद्यालयों, सरकारी छात्रावासों और आश्रम विद्यालयों के प्रतियोगिता परीक्षा में सफल छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया। उन्होंने आदिवासी स्वयं सहायता समूह द्वारा लगाये गये स्टॉल का अवलोकन किया और उत्पाद के बारे में जानकारी ली।
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