पुणे जिला लोक अदालत में राज्य में फिर से अव्वल

पुणे जिला लोक अदालत में राज्य में फिर से अव्वल

पुणे जिला लोक अदालत में राज्य में फिर से अव्वल

पुणे जिला लोक अदालत में राज्य में फिर से अव्वल
366 करोड़ समझौता राशि जमा : 87 हजार 486 प्रकरण निस्तारित

पुणे, दिसंबर (जिमाका)
पुणे जिले में 14 दिसंबर को आयोजित की गई इस साल की चौथी राष्ट्रीय लोक अदालत में पुणे जिले ने राज्य में एक बार फिर पहला स्थान हासिल किया है। लोक अदालत में दायर किए गए कुल मामलों में से लगभग 87 हजार 486 मामलों का निपटारा किया गया और 366 करोड़ से अधिक की समझौता राशि जमा की गई। लोक अदालत का उद्घाटन विधि सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश महेंद्र के महाजन ने किया।

इस अवसर पर अदालत के अशोक हॉल में विधि सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एम. के. महाजन ने कहा कि लोक अदालत सभी के लिए त्वरित न्याय, सुलभता और न्याय विवाद समाधान सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हमारी न्याय व्यवस्था में लोक अदालत का सदैव एक अद्वितीय एवं विशेष स्थान रहा है। इसने विवादों के त्वरित समाधान और हमारी अदालतों पर बोझ कम करने के लिए एक व्यापक और न्यायसंगत मंच प्रदान किया है।

लोक अदालत में कुल 366 करोड़ 27 लाख का समझौता हुआ। इस समय 1 लाख 87 हजार 63 मामले समझौते के लिए दाखिल किये गये थे। इनमें से 87 हजार 486 मामलों का सफलतापूर्वक निपटारा किया गया। इस तरह समझौता मामलों के निपटारे में पुणे जिला राज्य में अव्वल बन गया है।

दायर- लोक अदालत में दायर पिछला मामला बड़ी सफल रहा है और कुल 52 करोड़ 3 लाख 27 हजार की राशि का समझौता हो गया है। इसमें दायर (प्रि-लिटिगेशन) 1 लाख 45 हजार 179 मामले समझौते के दायर किए गए थे। इनमें से 51 हजार 328 मामलों का सफलतापूर्वक निपटारा किया जा चुका है। इसके अलावा दायर वाद (पोस्ट लिटिगेशन) 314 करोड़ 24 लाख 58 हजार 502 समझौता राशि के रूप में कुल रुपये प्राप्त हुए है। इसमें कुल 41 हजार 884 मामले निपटारे के लिए लाए गए, जिनमें से 36 हजार 158 मामले सफलतापूर्वक निपटाए जा चुके हैं।

विधि सेवा प्राधिकरण के दृष्टिकोण के तहत आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में सभी के लिए न्याय, कार्यक्षमता और निष्पक्षता के प्रतीक के रूप में कार्य का उत्कृष्ट प्रदर्शन भविष्य के लिए भारतीय न्यायदान के लिए आशा की किरण है।
कार्यक्रम का सूत्र-संचालन गौरीका पाटिल और आभार प्रदर्शन न्यायाधीश डी.जे. पाटिल ने किया।

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