आरटीई एक्ट पर कोर्ट लगा चुकी है रोक, अब बच्चों को दें स्कूलों में प्रवेश : ढाई लाख बच्चों की शिक्षा के साथ खिलवाड़ करना बंद कीजिए : आम आदमी पार्टी/आप अभिभावक संघ

आरटीई एक्ट पर कोर्ट लगा चुकी है रोक, अब बच्चों को दें स्कूलों में प्रवेश : ढाई लाख बच्चों की शिक्षा के साथ खिलवाड़ करना बंद कीजिए : आम आदमी पार्टी/आप अभिभावक संघ

आरटीई एक्ट पर कोर्ट लगा चुकी है रोक, अब बच्चों को दें स्कूलों में प्रवेश : ढाई लाख बच्चों की शिक्षा के साथ खिलवाड़ करना बंद कीजिए : आम आदमी पार्टी/आप अभिभावक संघ

पुणे, जून (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क)
आरटीई निजी स्कूलों में आरक्षित सीट पर प्रवेश को लेकर सरकार ने गलत आदेश जारी कर दिया। शिक्षा के अधिकार के ख़िलाफ़ होने के कारण अदालत ने उन्हें रोक लगा दी, लेकिन सरकार ने इसे अभी तक वापस नहीं लिया है, इसलिए प्रवेश प्रक्रिया अभी भी अदालत में लंबित है। इस आदेश को गठबंधन सरकार वापस ले और प्रवेश प्रक्रिया तुरंत शुरू करे, इसलिए आप अभिभावक संघ, आम आदमी पार्टी के नेतृत्व में अभिभावकों ने बालगंधर्व चौक पर विरोध प्रदर्शन किया।

इस वर्ष आरटीई आरक्षित स्कूल प्रवेश में लगभग 2 महीने की देरी हुई है। हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा जारी आदेश को शिक्षा के अधिकार के खिलाफ बताते हुए रोक लगा दी है, लेकिन सरकार ने कानून की अधिसूचना वापस नहीं ली है, इसलिए निजी स्कूल इस संबंध में विभिन्न हस्तक्षेप याचिकाएं दायर कर रहे हैं। अदालत ने स्कूल प्रवेश लॉटरी की घोषणा करने के लिए स्कूल को प्रतिबंधित कर दिया है क्योंकि उनकी सुनवाई तिथियां गिर रही हैं। लगभग ढाई लाख माता-पिता इन निजी आरक्षित सीटों से प्रवेश के आवेदन से भरे हुए हैं और उनके बच्चे इस पहुंच प्रक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इस बीच सभी निजी स्कूल और सरकारी स्कूल शुरू हो गए हैं। इन स्कूलों से बाहर के ढाई लाख बच्चों को लॉटरी के जरिये निजी स्कूलों में प्रवेश मिलेगा या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है, ऐसे में अभिभावक असमंजस में हैं। जैसे-जैसे अन्य बच्चे स्कूल जाने लगते हैं, निःशुल्क प्रवेश की प्रतीक्षा कर रहे बच्चों की मानसिकता प्रभावित होती है। उन्हें शैक्षणिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। इसके लिए शिक्षा मंत्री केसरकर और गठबंधन सरकार जिम्मेदार है। यह आरोप मुकुंद किर्दत ने विरोध प्रदर्शन में लगाया।

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आम आदमी पार्टी शिक्षा के मुद्दे को गंभीरता से लेती है और अगर आदेश वापस नहीं लिया गया तो शिक्षा मंत्री केसरकर को पुणे नहीं आने देगी। यह चेतावनी पुणे शहर अध्यक्ष सुदर्शन जगदाले ने दी है।

सरकार ने इस कानून में बदलाव कर निजी स्कूलों को अमीरों के लिए और सरकारी स्कूलों को गरीबों के लिए बनाने की कोशिश की। कोर्ट ने इस पर रोक लगाकर सरकार को तमाचा मारा है, लेकिन फिर भी सरकार ने इस कानून को रद्द नहीं किया है, इसलिए कोर्ट में हस्तक्षेप याचिकाएं दायर की जा रही हैं और इस साल की प्रक्रिया रुक गई है। यदि सरकार इस अधिनियम को निरस्त कर देती है तो आपत्तियां समाप्त हो जाएंगी और प्रवेश प्रक्रिया तुरंत शुरू हो सकेगी, इसलिए इस अधिनियम को निरस्त किया जाए। ढाई लाख बच्चों का शैक्षणिक नुकसान रोका जाए। यह मांग आम आदमी पार्टी और आप अभिभावक संघ ने विरोध प्रदर्शन में की है।

आम आदमी पार्टी के राज्य प्रवक्ता मुकुंद किर्दत, पुणे शहराध्यक्ष सुदर्शन जगदाले, युवा अध्यक्ष अमित म्हस्के, निलेश वांजले, निरंजन अडागले, सतीश यादव, मनोज शेट्टी, संतोष काले, किरण कांबले, उमेश बागडे, प्रशांत कांबले, सुरेखा भोसले, सूरज सोनवणे, विक्रम गायकवाड, एडवोकेट गणेश थरकुडे, शिवराम ठोंबरे, नौशाद अन्सारी, निखिल खंदारे, अविनाश केंदले, सुनील सवदी, ज्ञांनेश्वर गायकवाड अविनाश भाकरे, विकास लोंढे, कीर्तिसिंह चौधरी, रमेश मते, सुभाष करांडे, बाबासाहेब जाधव, सुशील बोबडे, एडवोकेट गुणाजी मोरे, जीत विश्वकर्मा के साथ आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता और आप अभिभावक संघ के सदस्य प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

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