संभावित पानी की कमी पर उपाययोजना शुरू : 19.53 करोड़ रुपयों की निधि वितरित
मुंबई, नवंबर (महासंवाद)
इस साल राज्य के कुछ हिस्सों में कम बारिश के कारण संभावित कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने उपाय शुरू कर दिए हैं। जल संकटवाले क्षेत्रों में टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा रही है। जिन जिलों में टैंकर चल रहे हैं, उन्हें कुल 19.53 करोड़ रुपये की निधि वितरित की गई है। साथ ही संभावित पानी की कमी पर उपाययोजना क्रियान्वयन के संबंध में सभी जिलाधिकारियों को दिशानिर्देश दिए गए हैं। यह जानकारी जल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग ने दी है।
महाराष्ट्र भूजल (विकास और प्रबंधन) अधिनियम, 2009 धारा 25 और 26 के प्रावधानों के अनुसार जिले के जिला प्राधिकरण को बरसात के मौसम के दौरान या उसके बाद किसी भी समय, भूजल सर्वेक्षण और विकास प्रणाली की सलाह पर या वर्षा की मात्रा एवं रूप और जलग्रहण क्षेत्र में जल स्तर की जानकारी या किसी अन्य प्रासंगिक मामले को ध्यान में रखते हुए, एक समय पर एक जल वर्ष से अधिक नहीं, ऐसी अवधि के लिए ऐसे क्षेत्र को जल अभाव क्षेत्र घोषित किया जा सकता है।
जल जीवन मिशन के तहत जलापूर्ति योजनाओं का कार्य प्रगति पर है तथा कमी प्रभावित गांवों में योजनाओं को शीघ्र पूरा किया जा रहा है। इन योजनाओं के पूरा होने के बाद पानी की कमी कम होने के लिए मदद होगी। साथ ही, राज्य में संभावित जल की कमी को दूर करने के लिए आगे की योजना बनाने और आवश्यकतानुसार विभिन्न उपायों को लागू करने के लिए वर्ष 2023-24 की कमी अवधि के लिए संभावित जल कमी कार्य योजना तैयार करने के निर्देश जिलाधिकारी को दिए गए हैं। राज्य के कुछ जिलों में बारिश की कमी के कारण पानी की कमी उत्पन्न हो गयी है। राज्य सरकार के माध्यम से अभावग्रस्त उपायों को क्रियान्वित कर जलसंकट को दूर करने के प्रयास प्रारंभ कर दिए गए हैं। साथ ही पानी की कमीवाले क्षेत्रों में मांग के अनुसार टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा रही है और लोगों को पीने के लिए पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।
राज्य के कुछ जिलों में कम बारिश के कारण टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा रही है। तद्नुसार 20 नवंबर तक राज्य के 10 जिलों के 355 गांवों और 959 वाडों में 45 सरकारी और 332 निजी टैंकर, कुल 377 टैंकरों द्वारा पानी की आपूर्ति की जा रही है। जिन 10 जिलों में टैंकर चल रहे हैं, उनमें से 08 जिलों को कुल 19.53 करोड़ रुपए निधि वितरित की जा चुकी है।
जिलाधिकारियों को मार्गदर्शक निर्देश
हर जिले में हर साल मानसून की समाप्ति के बाद पानी की कमी (20 लीटर / दिन / व्यक्ति से कम) की संभावनावाले गांवों / वाडों को निश्चित करके संबंधित जिलाधिकारियों द्वारा मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद और वरिष्ठ भूविज्ञानी, भूजल सर्वेक्षण और विकास तंत्र के साथ विचार विनिमय करके अक्टूबर से दिसंबर, जनवरी से मार्च, अप्रैल से जून ऐसी तीन अलग तिमाहियों के लिए कमी की कार्ययोजना तैयार की जाएगी। कमी को दूर करने के लिए निम्नलिखित अनुमेय उपायों में से उचित उपाय का चयन करने के लिए जिलाधिकारियों को दिशानिर्देश दिए गए हैं। डूबान, कुंओं को गहरा करना, कुंओं से कीचड़ हटाना, निजी कुंओं का अधिग्रहण, टैंकरों/बैलगाड़ियों के माध्यम से जल की आपूर्ति, प्रगति पथ पर जलापूर्ति योजना का कार्य शीघ्र पूरा करने का कार्य, नल योजनाओं का विशेष पुनरीक्षण, विंधन कुंओं की विशेष मरम्मत, कुएँ खोदना, अस्थाई अनुपूरक नल योजना लेना, किसी बाँध या झील में खुदाई करना साथ ही टैंकर स्वीकृत करने की जिलाधिकारियों को प्राप्त अधिकार आवश्यकतानुसार संबंधित उपविभागीय अधिकारियों एवं उपविभागीय दंडाधिकारियों को प्रदान कर दिए गए हैं।
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