उदात्त जीवन की ओर भाग-7

उदात्त जीवन की ओर भाग-7

इसी प्रकार सरदार पटेल तथा डा. आम्बेडकर ने विदेशों में पढ़ाई करते समय क्या-क्या कष्ट भोगे तथा किन-किन असुविधाओं का सामना किया, यह गहनता से उनकी जीवनी का अध्ययन किए बिना कैसे जाना जा सकता है। अफ्रीका प्रवास के समय मोहन दास करम चंद गांधी को, अंग्रेजों द्वारा किए गए घोर अपमान को सहन करने और गंभीरता से विचार करने को बाध्य होना पड़ा, जो उन्हें महात्मा गांधी बनने के मार्ग की ओर ले गया।

उस सारे आत्म संघर्ष की प्रक्रिया को समझने और उनके दृढ निश्चयी व्यक्तित्व को जानने के लिए गांधी जीवन-साहित्य को पढ़े बिना और रास्ता ही क्या है? दृढ़ निश्चयी व्यक्ति कभी भी अपने संकल्प से विचलित नहीं होते हैं। ऐसे व्यक्ति अच्छी तरह जानते हैं कि, चल पड़े हैं कदम तो मंजिल तक पहुँच ही जायेंगे। ताकत पैरों में नहीं, इरादों में होती है॥ जिनके पैर भले ही जमीन में धंसे हुए हों, लेकिन इरादे बुलंद हों और आँखें अंतरिक्ष को भेद रही हों, वे, देर-अबेर ही सही, अपनी मंजिल पर अवश्य ही पहुँचते हैं। वे छोटी मोटी उपलब्धियों के मोह जाल में फँस कर वहीं रुक नहीं जाते, उनकी आँखें लक्ष्य पर टिकी होती हैं। उनकी वाणी का मंत्र होता है-
शान्ति भवन में टिक रहना ही, इस जीवन का लक्ष्य नहीं।
इसे पहुँचना उस मंजिल तक, जिसके आगे राह नहीं॥

महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज, गुरु गोविन्द सिंह, समर्थ स्वामी रामदास, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानन्द, महात्मा ज्योतिराव फुले, लोकमान्य बाळ गंगाधर तिळक, महात्मा गांधी, सरदार पटेल, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, वीर सावरकर शहीद बटकेश्वर दत्त, सरदार भगत सिंह, संत गाडगे महाराज, साने गुरु जी, कर्मवीर भाऊराव पाटील, अन्ना हजारे, योगाचार्य बाबा रामदेव, अमेरिका से दास प्रथा को नष्ट करने वाले प्रेसीडेंट इब्राहिम लिंकन, अमेरिका में अफ्रीकी मूल के रहवासियों के लिए दिन-रात अथक श्रम करने वाले वैज्ञानिक- जार्ज डब्ल्यू. कार्वर, अफ्रीका के गांधी कहे जाने वाले प्रेसीडेंट नेल्सन मंडेला, सन 1991 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित अपने पड़ौसी देश-म्यांमार की क्रांतिकारी नेता- अंग सां सू की (AUNG SAN SU KYI) जैसे असंख्य महापुरुषों के चरित्र इन तथ्यों के जीते जागते उदाहरण हैं।

इन महापुरुषों के जीवन चरित्रों का गहन अध्ययन किया जाए तो यह तथ्य सामने आता है कि इनको महान बनाने वाली बातें बहुत कुछ सामान्य सी हैं जिन्हें हर कोई जानता तो है, किन्तु उन्हें अपने आचरण में गंभीरता से लागू नहीं कर पाता है। जो इन्हें अपना लेता है वही उस श्रेणी में पहुँच जाता है। जैसे सभी मनुष्यों के जीवन में ‘परिश्रम शीलता’ का गुण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, आओ इस पर थोड़ा विचार करें-

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