मानवाधिकार की ढाल है सुशासन : डॉ. ज्ञानेश्वर मुले

मानवाधिकार की ढाल है सुशासन : डॉ. ज्ञानेश्वर मुले

पुणे, दिसंबर (जिमाका)
मानवाधिकारों की सुरक्षा और प्रचार के लिए सुशासन आवश्यक है और यह मानवाधिकार की ढाल है। आम नागरिकों को न्याय देते समय लोकसेवकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नागरिकों के मानवाधिकारों का उल्लंघन न हो। यह विचार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य डॉ. ज्ञानेश्वर मुले ने व्यक्त किये।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में प्राप्त मानव अधिकारों के उल्लंघन की शिकायतों पर सुनवाई के दौरान विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को वीडियो प्रणाली के माध्यम से मार्गदर्शन करते हुए डॉ. ज्ञानेश्वर मुले बोल रहे थे। विभागीय आयुक्त कार्यालय में आयोजित इस बैठक में जिलाधिकारी डॉ. राजेश देशमुख, विभागीय उपायुक्त रामचंद्र शिंदे, कोल्हापुर परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुनील फुलारी, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त रामनाथ पोकले, पिंपरी-चिंचवड के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त वसंत परदेशी, पुणे ग्रामीण जिला पुलिस अधीक्षक अंकित गोयल, पश्चिम क्षेत्र जेल पुलिस उपमहानिरीक्षक स्वाति साठे, येरवडा मध्यवर्ती जेल अधीक्षक सुनील भामल, कोल्हापुर मध्यवर्ती जेल अधीक्षक भारत भोसले, अपराध अन्वेषण विभाग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीकांत कोल्हापुरे, प्रादेशिक भविष्य निर्वाह निधि आयुक्त आदित्या तलवार उपस्थित थे।

श्री मुले ने आगे कहा कि मानवाधिकारों के प्रति जनजागरूकता के लिए जिला प्रशासन को विभिन्न उपाय योजना बनानी चाहिए। इसमें नागरिकों और गैर सरकारी संगठनों को शामिल किया जाना चाहिए। इस संबंध में राष्ट्रीय एवं राज्य मानवाधिकार आयोग मार्गदर्शन प्रदान करेगा। मानवाधिकार आयोग पुलिस को मानवाधिकारों के संबंध में नियमित प्रशिक्षण देने की योजना बना रहा है। मानवाधिकार संबंधी दिशा-निर्देश राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की वेबसाइट पर प्रदर्शित किए गए हैं और उन्हें लागू करने का निर्देश डॉ. मुले ने प्रशासन को दिया है।

जिलाधिकारी डॉ.राजेश देशमुख ने मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन द्वारा किए गए विभिन्न उपायों की जानकारी दी। विशेष अभियान चलाकर मानव नाली की सफाई को पूर्णतः रोकना, वेठ बिगारी पर रोक, साथ ही तृतीयपंथियों का मतदाता सूची में प्रविष्टियां करने के संबंध में कार्रवाई की गयी है।
इस अवसर पर आयोग ने टेलीविजन प्रणाली के माध्यम से सांगली, सातारा, कोल्हापुर, सोलापुर, सिंधुदुर्ग और अहमदनगर जिलों के मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों की समीक्षा की।

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