अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए दुधारू पशुओं के समूह वितरण की योजना

अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए दुधारू पशुओं के समूह वितरण की योजना

पुणे, जुलाई (जिमाका)
समाज में सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन की खाई को कम करने के लिए सरकार द्वारा अनुसूचित जाति, नवबौद्ध एवं अनुसूचित जनजाति के नागरिकों के लिए विभिन्न योजनाएँ क्रियान्वित की जा रही हैं। इसके तहत जिला परिषद के पशुपालन विभाग के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में इस श्रेणी के लिए 75 प्रतिशत अनुदान पर दुधारू पशुओं की समूह आपूर्ति की योजना क्रियान्वित की जा रही है।

वर्तमान समय में पशु बाजार में अच्छी दूध देनेवाली नस्ल की गायों और भैंसों की कीमतें आम लोगों की पहुंच से बाहर हैं। ऐसे में पशुपालन विभाग द्वारा संचालित इन योजनाओं से कम आर्थिक क्षमतावाले परिवारों को स्वरोजगार की राह मिल गई है। कृषि व्यवसाय होने के कारण यह आर्थिक दृष्टि से भी लाभदायक रहा है।

योजना के अंतर्गत प्रदान किए जानेवाले लाभ
दो दुधारू गाय या भैंस आवंटन करने के लिए योजना के तहत संकर गाय-एच. एफ. या जर्सी भैंस-मुरहा या जाफराबादी, देसी गाय-गिर, साहीवाल, लाल सिंधी, राठी, थारपारकर, देवनी, लाल कंधारी, गवलौ और डांगी प्रजातियों का वित्तपोषण किया जाता है।

योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए। गरीबी रेखा से नीचे के लाभार्थी, 1 हेक्टेयर से कम क्षेत्रफलवाले सीमांत भूमिधारक, 1 से 2 हेक्टेयर क्षेत्रफलवाले छोटे भूमिधारक, रोजगार एवं स्वरोजगार केंद्र में पंजीकृत शिक्षित बेरोजगार और महिला बचत गुट के लाभार्थी को प्राथमिकता क्रम में योजना का लाभ दिया जाता है।

जिला पशुपालन उपायुक्त की अध्यक्षतावाली एक समिति लाभार्थियों का चयन करती है। लाभार्थियों के चयन में 30 प्रतिशत महिलाओं और 3 प्रतिशत विकलांग व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जाती है। चयन के बाद एक माह के भीतर लाभार्थी हिस्सा या बैंक ऋण जुटाना आवश्यक होगा। दुधारू पशुओं को खरीद तालुका के पशुधन विस्तार अधिकारी द्वारा की जाएगी।

योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन के साथ आधार कार्ड, मोबाइल नंबर, 7/12 और 8-ए, राशन कार्ड की सत्यापित प्रति, राष्ट्रीयकृत बैंक खाता पासबुक की सत्यापित प्रति, आवेदक की फोटो, अनुसूचित जाति/ जनजाति होने पर जाति प्रमाण पत्र आवश्यक है। गरीबी रेखा से नीचे होने पर प्रमाण पत्र और विकलांग होने पर प्रमाण पत्र संलग्न करना भी आवश्यक है।

दुधारू पशुओं के लिए दिया गया लाभ
इसके लिए वर्ष 2022-23 में वित्तीय वर्ष में अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत 2 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस प्रावधान से 312 लाभार्थियों को 1 करोड़ 98 लाख 73 हजार रुपयों का लाभ दिया गया है। आदिवासी योजना के तहत 47 लाभार्थियों को 29 लाख 98 हजार रुपयों का लाभ दिया गया है। जबकि आदिवासी क्षेत्र के बाहर के आदिवासी परिनियोजन के अंतर्गत 35 लाभार्थियों को 22 लाख 33 हजार रुपयों का लाभ दिया गया है। कुल 2 करोड़ 56 लाख 19 हजार रुपये के उपलब्ध प्रावधान की तुलना में 2 करोड़ 55 लाख 82 हजार रुपये खर्च किए गए हैं, जिससे 394 लाभार्थियों को योजना का लाभ दिया गया है।

वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 2 करोड़ 56 लाख 19 हजार रुपये का प्रावधान किया गया है और चयनित लाभार्थियों को वास्तविक लाभ देने के लिए तालुका स्तर पर प्रावधान वितरण की प्रक्रिया शुरू है।

डॉ. विष्णू गर्जे, जिला पशुपालन अधिकारी- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, नवबौद्ध वर्ग के आर्थिक सशक्तिकरण हेतु क्रियान्वित की जा रही दुधारू पशुओं की समूह वितरण योजना अत्यंत लाभकारी है तथा जिले के अधिक से अधिक लाभार्थियों को इस योजना का लाभ उठाना चाहिए।

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