स्वच्छ स्वर्णिम सासवड : साल भर में तय किया 15वें स्थान से शीर्ष पायदान तक का सफर

स्वच्छ स्वर्णिम सासवड : साल भर में तय किया 15वें स्थान से शीर्ष पायदान तक का सफर

‘1 लाख से कम आबादी’ वाले शहरों में मिला ‘सबसे स्वच्छ शहर’ का पुरस्कार

‘स्वच्छ भारत मिशन’ के अंतर्गत शहरों के बीच छिड़ी स्वच्छता की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा लगातार कड़ी होती जा रही है। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के अंतर्गत शहरों का तेजी से कायाकल्प देखने को मिल रहा है। आमजन में व्यवहार परिवर्तन आने से मिशन जन आंदोलन में तब्दील हो चुका है, जिसके चलते स्वच्छ शहरों की सूची में हर साल नए नाम जुड़ रहे हैं। पिछले साल तक 15वें स्थान पर रहे सासवड शहर ने भी स्वच्छता की दिशा में कुछ इसी तरह अद्भुत प्रयासों के दम पर अपनी स्वच्छता रैंकिंग में तेजी से सुधार किया।

इतना ही नहीं, इस शहर ने ‘1 लाख से कम आबादी’ वाले शहरों की श्रेणी में ‘सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग’ हासिल कर ली। महाराष्ट्र के सासवड शहर को इस विशेष श्रेणी में ‘ऑल इंडिया क्लीन सिटी’ की ‘नंबर 1 रैंकिंग’ मिली है, जिसे हाल ही में दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में आयोजित ‘स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2023’ समारोह में भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के हाथों पुरस्कृत और सम्मानित किया गया। इस शहर को ‘गार्बेज-फ्री सिटीज’ (जीएफसी) यानी कचरा मुक्त शहरों की श्रेणी में भी ‘3 स्टार रेटिंग’ प्राप्त हुई है।

सासवड शहर को ‘ओपन डेफिकेशन-फ्री’ (ओडीएफ) यानी खुले में शौच से मुक्त शहर की श्रेणी में ओडीएफ, ओडीएफ+ और ओडीएफ++ से भी आगे बढ़कर वॉटर+ सिटी घोषित किया जा चुका है। इसका अर्थ यह हुआ कि सासवड शहर खुले में शौच की समस्या से मुक्त तो है ही, साथ ही सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों की ऐसी व्यवस्थाएं लागू कर चुका है, जिसके चलते झुग्गी-बस्तियों वाले क्षेत्रों में भी खुले में शौच की समस्याएं खत्म हो चुकी हैं।

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वहीं वॉटर+ श्रेणी यह दर्शाती है कि यह शहर शौचालयों की स्वच्छता के साथ ही पानी बचाने की दिशा में भी बेहतरीन काम कर रहा है। अर्थात इस शहर में ‘यूज्ड वॉटर मैनेजमेंट’ (यूडब्ल्यूएम) यानी एक बार इस्तेमाल हो चुके पानी को ‘सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट’ (एसटीपी) स्थापित कर ट्रीट किया जा रहा है और उसको शौचालयों समेत अन्य स्थानों पर पुन: उपयोग में लाया जा रहा है, ताकि ज्यादा पानी व्यर्थ में न बहाया जाए। इस प्रक्रिया को प्रयुक्त जल प्रबंधन कहा जाता है, जिसके अंतर्गत पानी के दो या तीन स्तरीय उपयोग की व्यवस्था की जाती है, ताकि ताजे पानी का कम से कम प्रयोग करते हुए जल संरक्षण की दिशा में योगदान देकर उसे बचाया जा सके।

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वेस्ट टु वंडर पार्क थीम पर शहर में ‘वेस्ट टु वंडर गार्डन’ विकसित किया गया है, जिसमें सासवड नगरपरिषद ने 21 टन स्क्रैप मैटल को रीयूज कर वेस्ट मैटेरियल से बनी कलाकृतियां, प्रतिमाएं, मॉडल्स समेत विभिन्न आकर्षक आकृतियां स्थापित की हैं।

स्वच्छता की दिशा में अभ्यास की बात करें तो सासवड ने सौ प्रतिशत कचरा निस्तारण करने के लिए विशेष व्यवस्थाएं की हैं। नगरपरिषद में कचरा संग्रह करने वाले सभी वाहनों में गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखने के लिए दो बिन की व्यवस्था तो है ही, साथ ही इन वाहनों में सासवड ने सैनेटरी और हानिकारक घरेलू कचरे के लिए अलग स्पेशल कंपार्टमेंट बनाए हैं।

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स्रोत पर ही सौ प्रतिशत कचरे का सेग्रीगेशन सुनिश्चित करने के बाद ‘मैटेरियल रिकवरी फेसिलिटी’ (एमआरएफ) सेंटर्स के माध्यम से सौ प्रतिशत वेस्ट प्रोसेसिंग मॉडल पर भी काम हो रहा है, जिसके चलते ‘लेगेसी वेस्ट डंपसाइट्स’ यानी लैंडफिल पर कोई कचरा नहीं पहुंच रहा। वेस्ट प्रोसेसिंग पर जितना भी कचरा पहुंच रहा है, सौ प्रतिशत निस्तारित किया जा रहा है। इसके अलावा जितनी भी मात्रा में कचरा बचता है, उसे साइंटिफिक लैंडफिल पर भेज दिया जाता है। बायो-रिमिडिएशन का काम यहां साल 2019 में ही सौ प्रतिशत पूरा कर लिया गया था। हर तरह के कचरे को विभिन्न श्रेणियों में अलग करने के बाद संबंधित ‘वेस्ट टु वेल्थ’ प्लांट्स पर रीसाइक्लिंग के लिए भेजा जा रहा है, जिसमें ‘वेस्ट टु कंपोस्ट’ और ‘वेस्ट टु एनर्जी’ आदि प्लांट्स शामिल हैं। सैनेटरी वेस्ट के लिए इंसिनेरेशन मशीन भी लगाई गई हैं।

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सफाईमित्रों की सुरक्षा की श्रेणी में सासवड ने काफी बेहतर काम किया है, जिसके पास उनकी सुरक्षा से जुड़े सभी उपकरण उपलब्ध हैं। इसके साथ ही नियमित अंतराल पर सफाईमित्रों को सुरक्षा संबंधी ट्रेनिंग कराई जा रही है। इसके अलावा यह शहर स्वच्छता के ऐसे कई पैमानों पर खरा उतर चुका है, जो स्वच्छता की शीर्ष रैंकिंग हासिल करने के लिए अनिवार्य हैं। इसकी बदौलत इस सासवड शहर को आज राष्ट्रीय स्तर पर भी देश भर के शहरों में 14वें सबसे स्वच्छ शहर की रैंकिंग प्राप्त हुई है। स्वच्छता की दिशा में सासवड शहर की यह स्वर्णिम यात्रा वास्तव में स्वच्छ भारत मिशन के नए गीत ‘नया संकल्प है, नया प्रकल्प है’ को शब्दश: परिभाषित करती है।

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