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एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय के ‘कंजूस’ नाटक ने ‘25 वें भारत रंग महोत्सव’ में मचाई धूम

एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय के ‘कंजूस’ नाटक ने ‘25 वें भारत रंग महोत्सव’ में मचाई धूम

एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय के ‘कंजूस’ नाटक ने ‘25 वें भारत रंग महोत्सव’ में मचाई धूम

एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय के ‘कंजूस’ नाटक ने ‘25 वें भारत रंग महोत्सव’ में मचाई धूम

लोनी कालभोर, फरवरी (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
हंसी, व्यंग्य और शानदार अभिनय से भरी एक यादगार शाम मेघदूत 3 में देखने को मिली, जब एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी के थिएटर विभाग के दूसरे वर्ष के छात्रों ने प्रतिष्ठित 25वें भारत रंग महोत्सव में कंजूस नाटक का मंचन किया। यह नाटक जो कि प्रसिद्ध फ्रेंच नाटककार मोलिएर के क्लासिक कॉमेडी द माइज़र का हिंदी रूपांतरण है, थिएटर विभाग के प्रमुख डॉ. अमोल देशमुख के निर्देशन में प्रस्तुत किया गया। इस प्रस्तुति को दर्शकों और समीक्षकों से जबरदस्त सराहना मिली।

मोलिएर का द माइज़र, 17वीं सदी की कालजयी व्यंग्य रचना, को कंजूस में कुशलतापूर्वक रूपांतरित किया गया है। यह नाटक अपनी मौलिक हास्य शैली और विशिष्टता को बनाए रखते हुए भारतीय दर्शकों के लिए सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक बना दिया गया है। शुरुआती दृश्य से ही कंजूस ने दर्शकों को बांधे रखा।

युवा कलाकारों ने अपने किरदारों पर बेहतरीन पकड़ दिखाई और उन्हें ऊर्जा व सटीकता के साथ मंच पर जीवंत कर दिया। मुख्य भूमिका निभाने वाले मिर्ज़ा शेख ने अपनी शानदार कॉमिक टाइमिंग से दर्शकों को खूब हंसाया। हालांकि असली सितारे नंबू थे, जिनका किरदार दर्शकों के लिए एक विशेष आकर्षण था। एक महिला कलाकार द्वारा निभाया गया यह किरदार अपनी शरारती शैली, शारीरिक हावभाव और शानदार संवाद अदायगी से सभी का दिल जीतने में कामयाब रहा। मुख्य पात्रों के अलावा, पूरी कास्ट ने भी अपने-अपने किरदारों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। कलाकारों के बीच बेहतरीन तालमेल देखने को मिला, जिससे संवादों और दृश्यों में स्वाभाविकता बनी रही।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा आयोजित भारत रंग महोत्सव, जो भारत का प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय थिएटर महोत्सव है, में कंजूस नाटक का चयन किया जाना एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी के थिएटर विभाग के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। हजारों नाटकों की कठोर चयन प्रक्रिया के बाद इस नाटक को मंचन के लिए चुना गया, जिससे छात्रों के समर्पण और थिएटर विभाग की रचनात्मक दृष्टि को मान्यता मिली। भारत रंग महोत्सव में भागीदारी ने छात्रों को अपने कला कौशल को थिएटर प्रेमियों, विद्वानों और समकालीन कलाकारों के सामने प्रस्तुत करने का एक अनमोल अवसर दिया। इस मंच ने उन्हें विभिन्न नाट्य शैलियों के संपर्क में आने का अवसर दिया, जिससे उनके प्रदर्शन कौशल को और निखारने में मदद मिली।

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