महावितरण, बिजली उपभोक्ताओं की समस्याओं का तत्काल समाधान करे अन्यथा जनांदोलन किया जाएगा : प्रवीण रणदिवे द्वारा चेतावनी
महावितरण, बिजली उपभोक्ताओं की समस्याओं का तत्काल समाधान करे अन्यथा जनांदोलन किया जाएगा : प्रवीण रणदिवे द्वारा चेतावनी
हड़पसर, दिसंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
दिन-ब-दिन बढ़ता शहरीकरण, लगातार बढ़ती जा रही ग्राहकों की संख्या, अपर्याप्त कर्मचारियों की जनशक्ति, रखरखाव और मरम्मत के लिए आवश्यक सामग्रियों की कमी, विद्युत वितरण प्रणाली के संरचनात्मक ऑडिट का अभाव, बुनियादी ढांचे की कमी, बिजली शिकायतों की बढ़ती संख्या, इसके अलावा कंप्यूटर प्रणाली का बार-बार ख़राब होना इससे महावितरण की प्रशासनिक व्यवस्था का सुस्त पुख्ता कारोबार सामने आ रहा है। यदि इस संबंध में सकारात्मक कदम या ठोस उपाय योजना नहीं की गई तो जनवरी के पहले सप्ताह में ग्राहकों की ओर से शिवसेना उद्धव बालासाहब ठाकरे पार्टी हड़पसर विधानसभा चुनाव क्षेत्र की ओर से महावितरण पुणे परिमंडल कार्यालय के सामने तीव्र स्वरूप में जनांदोलन किया जाएगा। यह चेतावनी शिवसैनिक व समर्पण प्रतिष्ठान पुणे के संस्थापक अध्यक्ष प्रवीण रणदिवे ने महावितरण के अध्यक्ष व व्यवस्थापकीय संचालक पुणे परिमंडल के मुख्य अभियंता, रास्ता पेठ शहर मंडल के अधीक्षक अभियंता के साथ बंडगार्डन विभाग के कार्यकारी अभियंता को निवेदन देकर दी है।
इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए प्रवीण रणदिवे ने बताया कि महावितरण के हड़पसर उपविभाग दो में मुख्य रूप से गंगा विलेज व मांजरी महावितरण की शाखाओं में करीब तीन-तीन शाखाएं होंगी इतनी बड़ी मात्रा में ग्राहकों की संख्या है। महावितरण के ही नियमों के अनुसार 20,000 ग्राहकों पर एक शाखा का नियम प्रचलित है, लेकिन गंगा विलेज शाखा में ग्राहकों की संख्या लगभग 85,000 है और कागज पर 23 कर्मचारी कार्यरत हैं जबकि मांजरी शाखा में ग्राहकों की संख्या लगभग 65,000 हजार है और यहां 17 में से केवल 14 कर्मचारी ही कार्यरत हैं। इन शाखाओं में हर माह औसतन 100 नये बिजली ग्राहक बन रहे हैं। भेकराईनगर शाखा में लगभग 36,000 ग्राहक हैं और ससाणेनगर शाखा में 24,000 ग्राहक हैं। इसमें मुख्य रूप से मांजरी शाखा का विस्तार भौगोलिक दृष्टि से बड़ा है तथा अपर्याप्त जनशक्ति तथा रख-रखाव एवं मरम्मत हेतु मात्र एक वाहन के कारण शिकायतों के निवारण में विलम्ब होता है। गंगा विलेज शाखा का भी हाल इसी तरह का है। या तो तुरंत शाखाओं का विभाजन करें या वितरण के नियम के अनुसार ग्राहकों की संख्या के अनुपात में सेवा में स्थायी कर्मचारियों की संख्या बढ़ाएँ। यह मांग भी महावितरण प्रशासन से की गई है।
बार-बार होनेवाली खराबी के कारण बिजली वितरण प्रणाली का गहन संरचनात्मक ऑडिट करना जरूरी है, लेकिन यह वास्तव में कब सक्षम प्रणाली बनेगी? इसका इंतजार ग्राहक कर रहे हैं। इसके अलावा पिछले वर्ष में अन्य राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र ने घरेलू और वाणिज्यिक बिजली इकाइयों की दरों में पहले ही वृद्धि कर दी है, जिससे उपभोक्ताओं में पहले से ही गहरा असंतोष है। नए औद्योगिक ग्राहकों के लिए कोटेशन राशि में भी काफी वृद्धि की गई है। रखरखाव और मरम्मत के लिए आवश्यक सामग्री का भी काफी अभाव है, इसलिए केवल जुगाड़ू काम ही चल रहा है। सुचारू विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक स्थानों पर सर्किट ब्रेकर की आवश्यकता है।
पर्याप्त जनशक्ति नहीं होने के कारण काम का बोझ बढ़ने से संबंधित शाखाओं के अधिकारी व कर्मचारीयों पर अधिक तनाव आने से वे थकने लगे हैं। महावितरण के ट्रांसफॉर्मर्स ओवरफ्लो होकर भी उसकी क्षमता बढ़ाने में लापरवाही जानबूझकर की जा रही है। ऐसी भी शिकायतें हैं कि पुराने और नये बिजली मीटरों में लगातार खराबी आ रही है और मीटर बदलने की दर भी बढ़ गयी है। इन सभी समस्याओं को लेकर महावितरण के प्रशासनिक स्तर पर कोई प्रयास नहीं किये जा रहे हैं। जिन बिजली उपभोक्ताओं के कारण ही यह महावितरण प्रशासन की बुनियाद खड़ी है। उन सभी ग्राहकों के हित में सहानुभूतिपूर्वक विचार कर अगले आठ दिनों के भीतर सकारात्मक कदम उठाये जायें। यह मांग भी प्रवीण रणदिवे ने की है।
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