भारतीय संविधान मानवता का घोषणापत्र; महानगरपालिका द्वारा आयोजित परिसंवाद में वक्ताओं के स्वर

भारतीय संविधान मानवता का घोषणापत्र; महानगरपालिका द्वारा आयोजित परिसंवाद में वक्ताओं के स्वर

भारतीय संविधान मानवता का घोषणापत्र; महानगरपालिका द्वारा आयोजित परिसंवाद में वक्ताओं के स्वर

भारतीय संविधान मानवता का घोषणापत्र; महानगरपालिका द्वारा आयोजित परिसंवाद में वक्ताओं के स्वर

पिंपरी, दिसंबर (हड़सपर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत का लंबा और विस्तृत संविधान सिर्फ नियमों और कानूनों का समूह नहीं है बल्कि स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देनेवाली मानवता का घोषणापत्र है। यह भावना नगर निगम की ओर से आयोजित परिसंवाद में प्रतिभागी वक्ताओं ने व्यक्त की।

भारतीय संविधान दिवस के अवसर पर पिंपरी चिंचवड़ महानगरपालिका की ओर से आयुक्त शेखर सिंह के मार्गदर्शन में 26 और 27 नवंबर 2024 को दो दिवसीय प्रबोधनात्मक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर 26 तारीख को सायंकालीन सत्र में “भारत के संविधान द्वारा परिकल्पित सामाजिक व्यवस्था” विषय पर एक परिसंवाद का आयोजन किया गया। इस परिसंवाद में नाट्य लेखक, दिग्दर्शक, कलावंत प्रा. दिलीप महालिंगे, प्रा.डॉ.अर्चना जगतकर, राईट टू लव आंदोलन के कार्यकर्ता के. अभिजीत, विद्यार्थी कार्यकर्ता मुकुल निकालजे वक्ता शामिल हुए थे। शिकागो के शोधकर्ता डॉ. मौलिक राज, गांधीनगर गुजरात के सामाजिक विज्ञान के विद्वान डॉ. अविनाश तायडे और दिल्ली से प्रा. डॉ. प्रज्ञा जाधव वक्ताओं ने दुर्दिष्य प्रणाली (ऑनलाइन) के माध्यम से भाग लिया।

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इस अवसर पर महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के सदस्य एडवोकेट गोरक्ष लोखंडे, विशेष अधिकारी किरण गायकवाड, पूर्व नगरसेवक मारुति भापकर, निवृत्त अभियंता अनिल सूर्यवंशी, कामगार नेता निवृत्ति आरवडे, तुकाराम गायकवाड, गणेश भोसले, सामाजिक कार्यकर्ता संतोष जोगदंड, प्रकाश बुक्तर, राजेंद्र पवार, महापालिका के कर्मचारी और नागरिक उपस्थित थे।
जब भारत का संविधान बनाया जा रहा था, तब संविधान निर्माताओं को विषमता, विविधता, गरीबी, बेरोजगारी, निरक्षरता, साक्षरता, संसाधनों की उपलब्धता आदि जैसे कई मुद्दों का सामना करना पड़ा था। उसी से संविधान निर्माताओं ने हमारे देश में एक आदर्श सामाजिक व्यवस्था बनाने के लिए स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व, न्याय जैसे मानवीय मूल्यों को संविधान में शामिल किया है।
भारत का संविधान केवल कानूनों का समूह नहीं है बल्कि संपूर्ण मानवता के कल्याण का एक घोषणापत्र है, जो भेदभाव से मुक्त, तर्कसंगत और वैज्ञानिक प्रेम और भाईचारे के मानवीय मूल्यों पर आधारित समाज बनाने के लिए बनाया गया है। यह विचार परिसंवाद में वक्ताओं ने व्यक्त किए।

परिसंवाद में नाट्य लेखक, दिग्दर्शक, कलावंत प्रा. दिलीप महालिंगे, प्रा.डॉ.अर्चना जगतकर, शिकागो के शोधकर्ता डॉ. मौलिक राज, राईट टू लव आंदोलन के कार्यकर्ता के. अभिजीत और विद्यार्थी कार्यकर्ता मुकुल निकालजे ने उपस्थितियों को संबोधित किया।

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