बीमा लोकपाल ने मनाया ‘बीमा लोकपाल’ संगठन का स्थापना दिन
बीमा लोकपाल ने मनाया ‘बीमा लोकपाल’ संगठन का स्थापना दिन
पुणे, नवंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
बीमा लोकपाल दिन हर साल 11 नवंबर को ‘बीमा लोकपाल’ संगठन के स्थापना दिन पर मनाया जाता है। इस दिन 1998 में, भारत सरकार ने ‘लोक शिकायत निवारण नियम’ को अधिसूचित किया और बाद में IRDAI अधिनियम, 1999 के तहत बीमा लोकपाल नियम, 2017 में संशोधन किया।
बीमा लोकपाल एक अर्ध-न्यायिक शिकायत निवारण तंत्र है जो जीवन बीमा (26 कंपनियों) और गैर-जीवन बीमा (34 कंपनियों) कंपनियों के खिलाफ बीमित व्यक्तियों की शिकायतों का निवारण करता है। इसका प्राथमिक उद्देश्य विवादों को सबसे अधिक प्रभावी लागत, कुशल और निष्पक्ष तरीके से हल करना है। जीवन, सामान्य और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों और बीमा दलालों के खिलाफ पीड़ित बीमाधारक द्वारा शिकायतों के निवारण के लिए कोई शुल्क नहीं है।
बीमा लोकपाल कार्यालय (OIO), पुणे केंद्र द्वारा सोमवार, 11 नवंबर, 2024 को पुणे में बीमा लोकपाल दिन का आयोजन किया गया। पुणे केंद्र का अधिकार क्षेत्र महाराष्ट्र है, जिसमें नवी मुंबई और ठाणे (मुंबई महानगर क्षेत्र को छोड़कर) के क्षेत्र शामिल हैं।
कार्यक्रम का आयोजन हितधारकों के बीच बीमा लोकपाल निकाय के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए किया गया था, जो पॉलिसीधारकों और संबंधित बीमा कंपनियों के बीच दावा विवादों से संबंधित शिकायतों का समाधान करता है। इस अवसर पर बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि एवं पॉलिसीधारक उपस्थित थे। श्री सुनील जैन, बीमा लोकपाल, पुणे इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे।
कार्यक्रम की शुरुआत OIO पुणे की सहायक सचिव श्रीमती पार्वती अय्यर के भाषण से हुई। उन्होंने 11 नवंबर को मनाए गए बीमा लोकपाल दिन की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला और पुणे केंद्र के समग्र कामकाज की समीक्षा की।
मुख्य अतिथि श्री सुनील जैन, माननीय बीमा लोकपाल, पुणे केंद्र ने कुछ दिलचस्प किस्से बताकर दुनियाभर और विशेष रूप से भारत में बीमा क्षेत्र के इतिहास और विकास का संक्षिप्त विवरण दिया। उन्होंने बीमा क्षेत्र की अपेक्षित वृद्धि और भारतीय अर्थव्यवस्था में इसकी भूमिका पर जोर दिया। इसके अलावा, उन्होंने इस वर्ष IRDA द्वारा की गई नई ग्राहक-केंद्रित पहलों के बारे में सदन को अवगत कराया। उन्होंने लोकपाल द्वारा दिए गए निर्णय का निर्धारित अवधि के भीतर अनुपालन न करने की स्थिति में IRDA द्वारा बीमा कंपनियों पर लगाए गए जुर्माने पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि खरीदारों/ग्राहकों को सतर्क रहना चाहिए और नई पॉलिसी खरीदते समय ब्याज मुक्त ऋण आदि जैसे अवास्तविक प्रस्तावों से अपने हितों की रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने बीमा कंपनियों से व्यवसाय और नैतिक मानदंडों के बीच व्यवहार्य संतुलन बनाए रखने का आग्रह किया।
इसके बाद मुख्य अतिथि ने बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों और पॉलिसीधारकों के साथ बातचीत की और एक फीडबैक सत्र आयोजित किया गया। कार्यक्रम का समापन OIO, पुणे के सहायक सचिव श्री चंद्रकांत गंगावणे के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
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