भारत का टीकाकरण अभियान : सार्वभौमिक टीकाकरण और स्वास्थ्य समानता के लिए प्रतिबद्धता
भारत का टीकाकरण अभियान : सार्वभौमिक टीकाकरण और स्वास्थ्य समानता के लिए प्रतिबद्धता
परिचय
विश्व टीकाकरण दिवस, जो हर साल 10 नवंबर को मनाया जाता है, का उद्देश्य संक्रामक रोगों से बचाव और लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा में टीकों की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। टीकाकरण, बीमारियों के नियंत्रण और उन्मूलन के लिए सबसे प्रभावी और लागत-कुशल कार्यक्रमों में से एक है, जो हर साल दुनिया भर में लाखों लोगों की जान बचाता है। टीके लोगों को खसरा, पोलियो, तपेदिक और कोविड-19 जैसी बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। संक्रामक रोगों को कम करके, टीकाकरण न केवल लोगों की सुरक्षा करता है बल्कि जन-समुदाय प्रतिरक्षा का निर्माण करके सामुदायिक स्वास्थ्य को भी मजबूत करता है। यह दिन दुनिया भर की सरकारों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और समुदायों को खासकर वंचित आबादी के बीच टीकों के महत्व पर जोर देने और टीकाकरण कवरेज का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
भारत में, विश्व टीकाकरण दिवस विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश को दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुँचने में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, विशेष रूप से बच्चों पर जोखिम अधिक रहता है, क्योंकि उन्हें या तो बिना टीकाकरण के कारण या आंशिक टीकाकरण के कारण उन रोगों के प्रति रक्षा नहीं मिल पाती है, जिन्हें टीकाकरण के जरिये रोका जा सकता है। आंशिक रूप से टीकाकरण और बिना टीकाकरण वाले बच्चों में बचपन की बीमारियों का जोखिम अधिक रहता है और पूरी तरह से टीकाकरण वाले बच्चों की तुलना में उनकी जान जाने का जोखिम भी बहुत अधिक होता है।
टीकाकरण दशकों से भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीति का केंद्र-बिंदु रहा है, जिससे बीमारी के प्रसार और बाल मृत्यु दर को कम करने में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। इस प्रकार विश्व टीकाकरण दिवस सार्वभौमिक टीकाकरण प्राप्त करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करने और सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम और मिशन इंद्रधनुष सहित ऐतिहासिक पहलों के माध्यम से की गई प्रगति पर विचार करने का अवसर प्रदान करता है। यह दिन निरंतर प्रयासों की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालता है, ताकि प्रत्येक व्यक्ति के लिए जीवन रक्षक टीकों तक पहुँच को सुनिश्चित किया जा सके।
सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी)
सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) भारत की सबसे व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों में से एक है, जिसका लक्ष्य हर साल लाखों नवजात शिशुओं और गर्भवती महिलाओं को जीवन रक्षक टीके उपलब्ध कराना है। 1978 में टीकाकरण के विस्तारित कार्यक्रम के रूप में शुरू किये गए इस अभियान को 1985 में यूआईपी के रूप में पेश किया गया। इसका कवरेज शहरी केंद्रों से ग्रामीण क्षेत्रों तक बढ़ाया गया, जिससे स्वास्थ्य सेवा पहुंच में असमानताओं को दूर किया जा सके। 1992 में, यूआईपी को बाल जीवन रक्षा और सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम में और बाद में, 1997 में राष्ट्रीय प्रजनन और बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में शामिल किया गया। 2005 से, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत, यूआईपी भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों का एक केंद्रीय घटक बन गया है, जो यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करता है कि टीके देश के सबसे दूरदराज के हिस्सों में भी हर बच्चे तक पहुँचें।
लगभग 2.67 करोड़ नवजात शिशुओं और 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं की लक्षित वार्षिक पहुँच के साथ, यूआईपी देश में सबसे अधिक लागत प्रभावी स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक बन गया है, जिसने 2014 में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर को प्रति 1000 जीवित जन्मों में 45 से घटाकर 32 प्रति 1000 जीवित जन्म कर दिया है (एसआरएस 2020)। सभी पात्र बच्चों तक पहुँचने और उन्हें टीके से रोके जा सकने वाली बीमारियों से बचाने के लिए लगातार किए जा रहे प्रयासों के कारण, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए देश का पूर्ण टीकाकरण कवरेज राष्ट्रीय स्तर पर 93.23% है।
(वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राज्यवार पूर्ण टीकाकरण कवरेज)
वर्तमान में, यह कार्यक्रम 12 बीमारियों के खिलाफ़ मुफ़्त टीकाकरण प्रदान करता है, जिसमें देश स्तर पर नौ बीमारियों को शामिल किया गया है, जैसे डिप्थीरिया, टेटनस, पोलियो, खसरा और हेपेटाइटिस बी। इसके अतिरिक्त, यह विशिष्ट क्षेत्रों में रोटावायरस डायरिया, न्यूमोकोकल न्यूमोनिया और जापानी इंसेफेलाइटिस से बचाव के टीके भी प्रदान करता है। इस पहल के तहत, जीवन के पहले वर्ष के भीतर राष्ट्रीय कार्यक्रम के अनुसार सभी टीके प्राप्त करने के बाद एक बच्चे को पूरी तरह से प्रतिरक्षित माना जाता है। उल्लेखनीय उपलब्धियों में शामिल हैं – 2014 में भारत से पोलियो का उन्मूलन और 2015 में मातृ और नवजात टेटनस का उन्मूलन। ये उपलब्धियां सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा में यूआईपी के प्रभाव को रेखांकित करती हैं।
मिशन इंद्रधनुष
दिसंबर 2014 में शुरू किया गया मिशन इंद्रधनुष (एमआई), भारत सरकार की एक रणनीतिक पहल है, जिसका उद्देश्य पूरे देश में बच्चों के लिए पूर्ण टीकाकरण कवरेज को बढ़ाना है और 90% कवरेज लक्ष्य को हासिल करना है। मिशन इंद्रधनुष विशेष रूप से कम टीकाकरण दर वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें दुर्गम क्षेत्र और ऐसे समुदाय शामिल हैं, जहाँ बच्चों को या तो टीका नहीं लगाया गया है या आंशिक रूप से टीका लगाया गया है। यह मिशन एक लक्षित दृष्टिकोण अपनाता है और उन जिलों तथा क्षेत्रों को प्राथमिकता देता है जहाँ टीकाकरण का स्तर कम है। इस प्रकार, टीकाकरण कवरेज में महत्वपूर्ण अंतर को पाटने का प्रयास किया जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी बच्चा असुरक्षित न रहे। अपनी शुरुआत से लेकर अब तक, मिशन इंद्रधनुष के बारह चरण पूरे हो चुके हैं, जिसमें देश भर के 554 जिले शामिल हैं।
मिशन इंद्रधनुष को ग्राम स्वराज अभियान और विस्तारित ग्राम स्वराज अभियान जैसे अन्य महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रमों में एकीकृत किया गया है, जिससे इसकी पहुंच और भी बढ़ गई है। इन कार्यक्रमों के तहत, टीकाकरण प्रयासों को क्रमशः 541 जिलों के 16,850 गांवों और 117 आकांक्षी जिलों के 48,929 गांवों तक विस्तार दिया गया है। मिशन इंद्रधनुष के पहले दो चरणों में ही केवल एक वर्ष में पूर्ण टीकाकरण कवरेज में 6.7% की वृद्धि हुई, जो इसकी शुरुआती सफलता को दर्शाता है।
अब तक की प्रगति
यू-विन
यू-विन पोर्टल भारत के टीकाकरण प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिलाओं और जन्म से लेकर 17 वर्ष तक के बच्चों के टीकाकरण का पूरी तरह से डिजिटल रिकॉर्ड उपलब्ध कराता है। इस डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उद्देश्य वैक्सीन वितरण और रिकॉर्ड को सुव्यवस्थित करना है तथा यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक व्यक्ति आसानी से अपने टीकाकरण रिकॉर्ड तक पहुँच सके और इसका प्रबंधन कर सके। उपयोगकर्ता के अनुकूल, नागरिक-केंद्रित सेवाओं को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया यू-विन ‘किसी भी समय पहुँच’ और ‘किसी भी जगह’ टीकाकरण की सुविधा देता है, जो प्राप्तकर्ताओं के अनुकूल समय-अवधि का विकल्प प्रदान करता है। नागरिक यू-विन वेब पोर्टल या मोबाइल ऐप के माध्यम से स्वयं पंजीकरण कर सकते हैं, जिससे परिवारों के लिए टीकाकरण की तारीख व समय पर नज़र रखना और आगामी खुराक के लिए स्वचालित एसएमएस अलर्ट प्राप्त करना आसान हो जाता है। प्लेटफ़ॉर्म एक सार्वभौमिक क्यूआर-आधारित ई-टीकाकरण प्रमाणपत्र भी तैयार करता है और अपने लिए आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (आभा) आईडी और अपने बच्चों के लिए चाइल्ड आभा आईडी बनाने का विकल्प प्रदान करता है, जिससे व्यापक डिजिटल स्वास्थ्य प्रबंधन संभव हो पाता है।
सुलभता को ध्यान में रखते हुए, यू-विन पोर्टल हिंदी सहित 11 क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है, ताकि विविध भाषाई समुदायों के लिए व्यापक उपयोगिता सुनिश्चित की जा सके। 16 सितंबर, 2024 तक, प्लेटफ़ॉर्म में 6.46 करोड़ लाभार्थी पंजीकृत हुए हैं, 1.04 करोड़ से अधिक टीकाकरण सत्र आयोजित किए गए हैं और टीकों की 23.06 करोड़ खुराक दर्ज की गयी है। पंजीकरण और रिकॉर्ड रखने का यह पैमाना देश भर में लाखों परिवारों के लिए टीकाकरण डेटा को आसानी से सुलभ और सुरक्षित रूप से संग्रहित करने में यू-विन के प्रभाव को उजागर करता है। प्लेटफ़ॉर्म की व्यापक क्षमताएँ; स्वास्थ्य सेवा की पहुँच बढ़ाने, टीकाकरण निगरानी को सुव्यवस्थित करने और जमीनी स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना को और मज़बूत करने में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती हैं।
सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत की यात्रा कई घातक बीमारियों के उन्मूलन में उल्लेखनीय उपलब्धियों को दर्शाती है। आधिकारिक तौर पर पोलियो-मुक्त होने से लेकर मातृ और नवजात टेटनस के उन्मूलन तक, देश ने अपने नागरिकों के स्वास्थ्य और कल्याण को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। मजबूत अवसंरचना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग द्वारा समर्थित रोग नियंत्रण और टीकाकरण के क्षेत्र में देश के सक्रिय प्रयासों ने वैश्विक मानक स्थापित किए हैं। टीकाकरण कार्यक्रमों में भारत की सफलता, टीके से रोके जा सकने वाली बीमारियों से निपटने और वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा में योगदान देने के प्रति इसकी बढ़ती क्षमता को रेखांकित करती है।
भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी उपलब्धियां
भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य यात्रा में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ शामिल हैं, जिसमें दुनिया का सबसे बड़ा कोविड-19 टीकाकरण अभियान भी शामिल है। पोलियो मुक्त होने से लेकर मातृ और नवजात टेटनस के उन्मूलन तक, देश ने स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने में बड़ी प्रगति की है। मजबूत अवसंरचना, रोग नियंत्रण के सक्रिय प्रयास और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से भारत को वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों से निपटने में वैश्विक मानक स्थापित करने में मदद मिली है।
- भारत का कोविड टीकाकरण अभियान
16 जनवरी, 2021 को शुरू किया गया भारत का कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम सार्वजनिक स्वास्थ्य में वैश्विक सफलता की कहानी है। 6 जनवरी, 2023 तक, कार्यक्रम के तहत 220 करोड़ से अधिक खुराकें दी गयी थीं, जिसमें 97% पात्र नागरिकों को कम से कम एक खुराक और 90% को दोनों खुराकें दी गई थीं। शुरुआत में वयस्क आबादी पर ध्यान केंद्रित करते हुए, इस कार्यक्रम का विस्तार युवा आयु समूहों को शामिल करने के लिए किया गया। इसके तहत, 12-14 वर्ष की आयु के लोगों के लिए टीकाकरण 16 मार्च, 2022 से शुरू हुआ और 18-59 वर्ष की आयु के व्यक्तियों के लिए एहतियाती खुराक की शुरुआत 10 अप्रैल, 2022 से हुई।
महत्वपूर्ण चुनौतियों के मुकाबले के लिए, कार्यक्रम के तहत तेजी से वैक्सीन अनुसंधान, 2.6 लाख वैक्सीन प्रदाताओं और 4.8 लाख सहायक सदस्यों के प्रशिक्षण तथा निगरानी और वितरण के लिए एक आईटी प्लेटफॉर्म की स्थापना की आवश्यकता थी। इस सक्रिय दृष्टिकोण ने भारत को न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करने में सक्षम बनाया, बल्कि वैक्सीन मैत्री जैसी पहलों के माध्यम से वैश्विक टीकाकरण प्रयासों को भी समर्थन दिया गया, जिसके अंतर्गत अन्य देशों को टीके की आपूर्ति की गयी।
पोलियो मुक्त भारत
27 मार्च, 2014 को, भारत को डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के दस अन्य देशों के साथ आधिकारिक तौर पर पोलियो मुक्त के रूप में प्रमाणित किया गया था – जो एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य उपलब्धि है। भारत में पोलियो का अंतिम मामला 13 जनवरी, 2011 को हावड़ा, पश्चिम बंगाल में दर्ज किया गया था। हालाँकि, इस प्रमाणीकरण के बावजूद, देश उन दो देशों से पोलियो वायरस के आने के लगातार जोखिम के कारण सतर्क है, जहाँ पोलियो अभी भी स्थानिक है: अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान।
पोलियो के खिलाफ़ भारत की सफल लड़ाई ने इसके व्यापक टीकाकरण अवसंरचना को मजबूत किया है, जिसका उपयोग अब वैक्सीन से बचाव-योग्य रोगों (वीपीडी) से बचाव के लिए किया जा रहा है। सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के अंतर्गत, देश में अतिरिक्त टीके लगाने का काम जारी है, जिसका लक्ष्य है कि कोई बच्चा असुरक्षित ना रहे।
राष्ट्रीय पोलियो कार्यक्रम के दौरान विकसित प्रणालियों ने नियमित टीकाकरण प्रयासों का विस्तार किया है, जिससे 90% से अधिक पूर्ण टीकाकरण कवरेज का लक्ष्य निर्धारित किया जाना संभव हुआ है। यह प्रगति राज्य सरकारों, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ, रोटरी इंटरनेशनल और अन्य भागीदारों द्वारा समर्थित एक सहयोगात्मक प्रयास है, जो न केवल पोलियो उन्मूलन में सहायक रहे हैं, बल्कि व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए भारत की टीकाकरण पहल को आगे बढ़ाने में भी मददगार रहे हैं।
- मातृ एवं नवजात टेटनस (एमएनटीई) का उन्मूलन
मातृ एवं नवजात टेटनस (एमएनटीई) को समाप्त करने में भारत की सफलता एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य उपलब्धि है। दिसंबर 2015 के वैश्विक लक्ष्य से काफी पहले अप्रैल 2015 में प्राप्त एमएनटीई. सत्यापन भारत के सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पूरा हो गया। यह उपलब्धि रेखांकित करती है कि मातृ एवं नवजात टेटनस की घटना प्रति 1,000 जीवित जन्मों में 1 मामले से भी रह गई है, जिससे यह सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में प्रभावी रूप से समाप्त हो गई है। यह उपलब्धि स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाने, उच्च नियमित टीकाकरण कवरेज, स्वच्छ प्रसव तौर-तरीके और मजबूत निगरानी के माध्यम से सुरक्षित मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य प्रथाओं के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह स्वास्थ्य कर्मियों, नीति निर्माताओं और इसमें शामिल सभी हितधारकों के समर्पण का प्रमाण है।
- भारत को यॉज़-मुक्त घोषित किया गया
एक अन्य ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में, भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा आधिकारिक तौर पर यॉज़-मुक्त के रूप में मान्यता प्राप्त करने वाला पहला देश बन गया, जिसने 2020 के वैश्विक लक्ष्य वर्ष से काफी पहले यह उपलब्धि हासिल कर ली। यह मान्यता इस बीमारी के उन्मूलन के प्रति भारत के सक्रिय और निरंतर प्रयासों को उजागर करती है, जो मुख्य रूप से ग्रामीण और वंचित समुदायों को प्रभावित करती है। यॉज़ का उन्मूलन व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों को दर्शाता है, जो कमज़ोर आबादी के लिए प्रारंभिक उपचार, स्वास्थ्य शिक्षा और लक्षित हस्तक्षेप पर केंद्रित हैं। डब्ल्यूएचओ और यूनीसेफ ने सामुदायिक स्वास्थ्य, सामाजिक-आर्थिक सुधार और वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य में भारत की अग्रणी भूमिका के व्यापक प्रभाव को देखते हुए भारत की उपलब्धियों की सराहना की।
- निष्कर्ष
निष्कर्ष के तौर पर यह कहा जा सकता है कि टीकाकरण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करती है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति, विशेष रूप से वंचित और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों तक पहुँचने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम, मिशन इंद्रधनुष और यू-विन पोर्टल जैसी पहलों के माध्यम से, देश ने टीकाकरण कवरेज बढ़ाने, टीके से रोके जा सकने वाली बीमारियों से निपटने और बाल मृत्यु दर को कम करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। भारत द्वारा पोलियो का सफल उन्मूलन, कोविड-19 महामारी के प्रति इसकी सुदृढ़ प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के प्रति इसकी प्रतिबद्धता; जटिल स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने में देश की क्षमता को रेखांकित करती है। विश्व टीकाकरण दिवस हमें सार्वजनिक स्वास्थ्य में टीकों की महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाता है। भारत इस बात का एक उदाहरण है कि व्यापक योजना, सामुदायिक जुड़ाव और सार्वभौमिक पहुँच के प्रति प्रतिबद्धता के साथ क्या कुछ हासिल किया जा सकता है। इन उपलब्धियों को बनाए रखने और विस्तारित करने के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक होंगे, यह सुनिश्चित करते हुए कि कोई भी बच्चा असुरक्षित न रहे और स्वस्थ भविष्य के लिए प्रत्येक व्यक्ति की जीवन रक्षक टीकों तक पहुँच हो।
Post Comment