मराठी को मानक भाषा व बोली भाषा के बीच अंतर करना व्यर्थ : विधायक चेतन तुपे पाटिल
मराठी को मानक भाषा व बोली भाषा के बीच अंतर करना व्यर्थ : विधायक चेतन तुपे पाटिल
अण्णासाहेब मगर महाविद्यालय में मराठी भाषा को अभिजात दर्जा प्राप्ति पर कार्यक्रम
मांजरी, अक्टूबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
भाषा का मुख्य कार्य एक दूसरे से संवाद करना है। मराठी को मानक भाषा और बोली भाषा के बीच अंतर करना व्यर्थ है। मराठी में बोली मराठी की शान है। मराठी को आम लोगों के लिए संवाद करने के लिए एक सरल और आसान भाषा के रूप में जाना जाता है। वैश्विक स्तर पर मराठी को विशिष्ट दर्जा दिलाने की अटकलें थीं। मराठी भाषा को विशिष्ट दर्जा प्राप्त होने के बाद कार्यक्रम आयोजित करनेवाला यह महाराष्ट्र का पहला महाविद्यालय है। यह गौरवोद्गार महाराष्ट्र राज्य मराठी भाषा समिति के अध्यक्ष व विधायक चेतन तुपे पाटिल ने व्यक्त किया।
पुणे जिला शिक्षण मंडल के अण्णासाहेब मगर महाविद्यालय में मराठी भाषा को अभिजात दर्जा प्राप्त होने पर मराठी भाषा के गौरवार्थ ‘माझी मराठी माझा अभिमान’ इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, तब प्रमुख अतिथि के रूप में वे बोल रहे थे। यहां सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के अंतःविषय अध्ययन संकाय के अधिष्ठाता प्रा. डॉ. प्रभाकर देसाई, आयर्नमैन डॉ. शंतनु जगदाले, महाविद्यालय के प्राचार्य और विश्वविद्यालय के प्रबंधन परिषद के सदस्य डॉ. नितिन घोरपडे, उपप्राचार्य डॉ.शुभांगी औटी, प्रा. अनिल जगताप, प्रा.विलास शिंदे, डॉ.लतेश निकम, प्रा.डॉ.नाना झगडे, डॉ.दत्तात्रय टिलेकर, डॉ. सविता कुलकर्णी, डॉ. दत्तात्रय संकपाल आदि उपस्थित थे।
सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय अंतःविषय अध्ययन संकाय के अधिष्ठाता प्रा. डॉ. प्रभाकर देसाई ने कहा कि मराठी को गौरव प्राप्त करवाना हो तो मराठी भाषा को ज्ञान की भाषा के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए और यह रोजगार की भाषा बननी चाहिए। मराठी भाषा को रचनात्मक और व्यावहारिक स्तर पर आगे बढ़ाते रहना हमारी जिम्मेदारी है।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. नितिन घोरपडे ने कार्यक्रम का प्रास्ताविक किया। सूत्र-संचालन डॉ. सविता कुलकर्णी व आभार प्रदर्शन प्रा.अनिल जगताप ने किया।
मराठी भाषा के विश्वविद्यालय की स्थापना होनी चाहिए। आंगनवाड़ी से उच्च डिग्री तक की शिक्षा मातृभाषा में उपलब्ध होनी चाहिए, इसलिए सरकार से अनुरोध जारी है। अदालती कार्यवाही और निर्णय मराठी में प्राप्त करने के लिए अनुवर्ती की जा रही है। दुकानों के बोर्ड मराठी में लिखने के लिए कानून में संशोधन किया गया।
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