भाजपा ने हरियाणा में हैट्रिक के साथ जीत का रचा नया इतिहास : जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन की बड़ी जीत

भाजपा ने हरियाणा में हैट्रिक के साथ जीत का रचा नया इतिहास : जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन की बड़ी जीत

भाजपा ने हरियाणा में हैट्रिक के साथ जीत का रचा नया इतिहास : जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन की बड़ी जीत

भाजपा ने हरियाणा में हैट्रिक के साथ जीत का रचा नया इतिहास : जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन की बड़ी जीत

नई दिल्ली, अक्टूबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
हरियाणा में हैट्रिक के साथ भाजपा ने जीत का एक और नया इतिहास रचा है। राज्य में 1972 के बाद पहली बार किसी दल ने सत्ता में लगातार तीसरी बार वापसी की है। वहीं, यह भाजपा की हरियाणा में अब तक की सबसे बड़ी जीत भी है। भाजपा ने 2014 में हरियाणा में 47 तो 2019 में 40 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि इस बार पार्टी ने 48 सीटों पर जीत हासिल की है।

जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन ने बड़ी जीत दर्ज की है। राज्य की 49 सीटें गठबंधन के खाते में गई है। हालांकि, सत्ता की इस दौड़ में पीछे रहने के बाद भी भाजपा ने राज्य में 2014 के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है। उसने 29 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि 2014 में उसके पास 25 सीटें ही थी। सबसे बड़ा झटका महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी को लगा है, जो सिर्फ तीन सीटें ही जीती है। 2014 में उसे 28 सीटों पर जीत मिली थी।

दोनों राज्यों के मंगलवार को आए नतीजे भले ही कई दलों के लिए चौंकाने वाले रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री को लेकर स्थिति बिल्कुल साफ है। हरियाणा में भाजपा को मिली इस ऐतिहासिक जीत के बाद कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी का जहां फिर से मुख्यमंत्री बनना तय है, वहीं जम्मू- कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला का मुख्यमंत्री बनना तय है। यह बात अलग है कि लोकसभा चुनाव के बाद उत्साहित कांग्रेस के लिए दोनों राज्यों के चुनाव परिणाम निराशाजनक रहे हैं।

हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की सत्ता में वापसी की उम्मीदों पर पानी फिर गया। यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी अपनी इस हार को सहज स्वीकार करने को तैयार नहीं है। वहीं राज्य में कांग्रेस की इस हार के पीछे उनकी अंदरूनी खींचतान और अतिआत्मविश्वास को बड़ी वजह माना जा रहा है।
वैसे भी पूरे चुनाव के दौरान राज्य में जिस तरह से मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी के बड़े नेताओं के बीच खींचतान देखने को मिली, वह भी पार्टी की इस हार के पीछे एक बड़ा कारण रहा है। यह बात अलग है कि हरियाणा में कांग्रेस पहले के मुकाबले मजबूत हुई है।
2019 में वह जहां 31 सीटें पर जीती थी, वहीं इस बार पार्टी ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की है। जम्मू-कश्मीर के चुनाव नतीजे वैसे तो बिल्कुल भी अप्रत्याशित नहीं थे, क्योंकि वहां पहले से नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन बढ़त बनाए हुए थे।

नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन ने 49 सीटों पर जीत दर्ज राज्य भले ही सत्ता की चाभी अपने हाथ में ले ली है, यहां भी कांग्रेस का प्रदर्शन कमजोर ही था। वह राज्य की मात्र छह सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई। इसके साथ ही आने वाली सरकार को राज्य के विकास के लिए केंद्र के साथ तालमेल रख कर ही आगे बढ़ना होगा। केंद्रशासित प्रदेश होने के चलते उनकी पूरी निर्भरता केंद्र पर ही रहेगी।

हरियाणा में भाजपा ने भले ही जीत की हैट्रिक लगाई है, लेकिन वोट प्रतिशत में कांग्रेस और उसके बीच मुकाबला काफी कड़ा रहा। सुबह आठ बजे से शुरू हुई मतगणना के रुझानों से ही दोनों के बीच जबरदस्त मुकाबला देखने को मिला। अंतिम परिणामों में भाजपा को हरियाणा में जहां 39.90 प्रतिशत और कांग्रेस को 39.10 प्रतिशत वोट मिले हैं। वोटों के लिहाज से दोनों के बीच यह हिस्सेदारी भले मामूली रही, लेकिन सीटों में दोनों के बीच बड़ा अंतर था। भाजपा ने जहां 49 सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं कांग्रेस के खाते में 37 सीटें आयी हैं। वहीं इनेलो सिर्फ दो सीटों पर ही सिमट गई।

जम्मू-कश्मीर का विधानसभा चुनाव भी कम रोचक नहीं था। मतगणना पूरी होने के बाद वोट प्रतिशत के लिहाज से भाजपा जहां राज्य की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई है। उसे सबसे अधिक 25.60 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि सीटों के लिहाज से नेशनल कॉन्फ्रेंस को सबसे अधिक 42 सीटें मिली हैं।

हालांकि, उसका वोट प्रतिशत भाजपा के काफी पीछे 23.47 प्रतिशत ही है। कांग्रेस को राज्य में करीब 12 प्रतिशत व पीडीपी को करीब नौ प्रतिशत ही वोट मिले हैं यानी सभी दलों में भाजपा को सबसे अधिक वोट मिले हैं। यह बात अलग है कि राज्य में भाजपा 29 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई।

Spread the love

Post Comment