मोदी 3.0 सुशासन के 100 दिन : भारत के मध्यम वर्ग को सशक्त बनाया

मोदी 3.0 सुशासन के 100 दिन : भारत के मध्यम वर्ग को सशक्त बनाया

मोदी 3.0 सुशासन के 100 दिन : भारत के मध्यम वर्ग को सशक्त बनाया

प्रमुख कर, पेंशन और आवासीय लाभों के साथ सरकार के सुधारों से मध्यम वर्ग के विकास को गति मिली

 

परिचय

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ऐतिहासिक तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में भारत के भविष्य के लिए एक उल्लेखनीय दिशा तय की गई है। साहसिक निर्णयों और 15 लाख करोड़ के रणनीतिक निवेशों के साथ, इस अवधि में परिवर्तनकारी पहल देखी गई हैं, जिसने एक विकसित भारत के दृष्टिकोण- Viksit Bharat@2047 की नींव रखी है। इसकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक भारत के मध्यम वर्ग का सशक्तिकरण है, जो देश की सामाजिक-आर्थिक प्रगति के प्रमुख आधार के रूप में सामने आया है।

पिछले एक दशक में, 25 करोड़ से ज्यादा भारतीय गरीबी से बाहर निकलकर तेजी से बढ़ते नव मध्यम वर्ग में शामिल हो गए हैं। यह परिवर्तन सिर्फ आर्थिक बदलाव नहीं, बल्कि सामाजिक विकास को भी दर्शाता है, जिसमें मध्यम वर्ग खेल, स्टार्ट-अप, अंतरिक्ष अन्वेषण और तकनीकी प्रगति जैसे क्षेत्रों में केंद्र में है। आय में बढ़ोतरी के साथ ही आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने वालों की संख्या 2023-24 में बढ़कर 8.18 करोड़ हो गई है, जो 2013-14 में 4 करोड़ के स्तर पर थी। इससे सशक्त वर्ग के बढ़ते प्रभाव का पता चलता है।

भारत के आगे बढ़ने के साथ, तेजी से बढ़ती मध्यम वर्ग की आबादी और घटती गरीबी दर एक गतिशील आर्थिक चक्र को आकार दे रही है। यह वर्ग भारत के आर्थिक विकास का इंजन बन गया है, जो भविष्य के लिए राष्ट्र की आकांक्षाओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

मध्यम वर्ग के लिए सरकार की पहलें

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कई परिवर्तनकारी निर्णयों की श्रृंखला में मध्यम वर्ग को महत्वपूर्ण लाभ पहुंचाने के लिए कई पहलों को मंजूरी दी है। प्रमुख उपायों में अधिक कर लाभ, बढ़ी हुई पेंशन योजनाएं, सस्ते आवास के लिए बढ़ा हुआ समर्थन, उद्यमियों को अधिक वित्तीय सहायता और टिकाऊ बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देना शामिल हैं। भारत सरकार के ये कदम मध्यम वर्ग को सशक्त बनाने, आर्थिक बोझ को कम करने   और उनकी प्रगति सुनिश्चित करने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

कर लाभ

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केंद्रीय बजट 2024-2025 में, वित्त मंत्री ने भारत के बढ़ते और सशक्त मध्यम वर्ग को कर राहत प्रदान करने के उद्देश्य से कई उपायों की घोषणा की। ये लाभ कर प्रणाली को सरल बनाने और वेतनभोगी और पेंशनभोगियों की आर्थिक खुशहाली के लिए डिजाइन किए गए हैं ।

कर स्लैब में संशोधन, कटौती (डिडक्शन) में बढ़ोतरी और एंजल टैक्स को हटाना आदि बजट के मुख्य सुधारों का लक्ष्य नवाचार को प्रोत्साहित करना, कर बोझ को कम करना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।

नई कर व्यवस्था वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए, आयकर में ₹ 17,500 तक की बचत प्रदान करती है, जिससे महत्वपूर्ण वित्तीय राहत मिलती है। यह परिवर्तन विशेष रूप से मध्यम आय वर्ग के लिए लक्षित है, जो उनकी वित्तीय जिम्मेदारियों को कम करते हुए अधिक कर अनुपालन को बढ़ावा देता है।

ये सुधार न केवल खर्च के योग्य आय को बढ़ाते हैं, बल्कि कर प्रणाली की समग्र सरलता में भी बढ़ोतरी करते हैं, जिससे मध्यम वर्ग के लिए आगे बढ़ना और लाभ उठाना आसान हो जाता है। कर-संबंधी विवादों को और कम करने के लिए, एक अधिक सुव्यवस्थित पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया शुरू की गई है। अब, यदि बची हुई आय 50 लाख रुपये से अधिक है तो पुनर्मूल्यांकन केवल तीन साल के बाद ही किया जा सकता है, जिसकी अधिकतम सीमा आकलन वर्ष के अंत से पांच साल है। तलाशी के मामलों में, पुनर्मूल्यांकन विंडो को तलाशी के वर्ष से पहले छह साल कर दिया है, जो अवधि पहले दस साल थी।

बजट में मध्यम वर्ग के लिए कटौतियों में भी पर्याप्त वृद्धि की गई है। नई कर व्यवस्था के तहत वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) ₹50,000 से बढ़ाकर ₹75,000 कर दी गई है। इसके अतिरिक्त, पारिवारिक पेंशन पर कटौती ₹15,000 से बढ़ाकर ₹25,000 कर दी गई है, जिससे पेंशनभोगियों को और अधिक वित्तीय राहत मिलेगी।

इन उपायों से मध्यम वर्ग को मजबूत करने, कर प्रणाली को अधिक न्यायसंगत बनाने और इस महत्वपूर्ण समूह की जरूरतों के अनुरूप बनाने के लिए सरकार द्वारा जारी प्रयासों का पता चलता है, वहीं, इसके माध्यम से उन्हें भारत की आर्थिक प्रगति के प्रमुख चालक के रूप में स्थान दिया गया है।

स्वास्थ्य

11 सितंबर, 2024 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जय) के विस्तार को मंजूरी दे दी, जिसमें आय को ध्यान दिए बिना 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को शामिल किया गया है। इस प्रमुख नीतिगत विस्तार से लगभग 4.5 करोड़ परिवारों को लाभ मिलेगा।  6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को प्रति वर्ष प्रति परिवार ₹5 लाख का स्वास्थ्य बीमा कवर मिलेगा।

मध्यम वर्ग के लिए, इस विस्तार का मतलब है कि इस जनसांख्यिकी में वरिष्ठ नागरिकों को एक अलग एबी पीएम-जय कार्ड प्राप्त होगा, जिससे उन्हें व्यापक स्वास्थ्य कवरेज तक पहुंच मिलेगी। जो लोग पहले से ही एबी पीएम-जय के अंतर्गत आते हैं, उन्हें विशेष रूप से अपने लिए प्रति वर्ष ₹5 लाख तक का अतिरिक्त टॉप-अप कवर मिलेगा, जिसकी खास बात यह है कि इससे 70 वर्ष से कम आयु के अन्य सदस्यों के लिए परिवार का कवर प्रभावित नहीं होगा। जो लोग वर्तमान में एबी पीएम-जय के अंतर्गत नहीं आते हैं, उनके लिए यह योजना परिवार के आधार पर प्रति वर्ष ₹5 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान करेगी।

मध्यम वर्ग के वरिष्ठ नागरिक जो पहले से ही केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस), भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) या आयुष्मान केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) जैसी अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं, वे अपनी मौजूदा योजनाओं को जारी रखने या एबी पीएम-जय में स्विच करने का विकल्प चुन सकते हैं। इसके अलावा, निजी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों वाले या कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) योजना में नामांकित वरिष्ठ नागरिक भी एबी पीएम-जेएवाई के तहत लाभ उठाने के पात्र हैं।

एबी पीएम-जय दुनिया की सबसे बड़ी सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित स्वास्थ्य बीमा योजना है, जो माध्यमिक और तृतीयक देखभाल के उद्देश्य से अस्पताल में भर्ती होने के लिए प्रति वर्ष प्रति परिवार ₹5 लाख तक की पेशकश करती है। 55 करोड़ व्यक्तियों और 12.34 करोड़ परिवारों तक कवरेज के साथ, यह योजना पहले ही अस्पतालों में 7.37 करोड़ लभार्थियों को भर्तियों की सुविधा प्रदान कर चुकी है, जिससे कई मध्यम वर्गीय परिवारों को लाभ हुआ है और यह सुनिश्चित हुआ है कि उन्हें आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्राप्त हो।

इसके माध्यम से ₹1 लाख करोड़ से अधिक का लाभ प्रदान किया गया है, जो मध्यम वर्ग के लिए स्वास्थ्य सेवा की सामर्थ्य और पहुंच को बढ़ाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।

पेंशन योजनाएं

सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24 अगस्त, 2024 को एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) को मंजूरी दी। इस योजना में सेवानिवृत्त कर्मचारियों और उनके परिवारों को सुनिश्चित वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से कई प्रमुख विशेषताओं को जोड़ा गया है ।

यूपीएस 25 वर्ष की न्यूनतम योग्यता सेवा वाले लोगों के लिए सेवानिवृत्ति से पहले पिछले 12 महीनों में प्राप्त औसत मूल वेतन के 50 % की सुनिश्चित पेंशन की गारंटी देता है। इस योजना के अंतर्गत कम सेवा वाले लोगों के लिए, पेंशन को आनुपातिक रूप से समायोजित किया जाएगा, जिसमें न्यूनतम योग्यता अवधि 10 वर्ष होगी।  इसके अतिरिक्त, मृतक कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों को उनके निधन के समय कर्मचारी की पेंशन के 60 % के बराबर एक सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन मिलेगी। कम से कम 10 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्ति पर प्रति माह ₹10,000 की न्यूनतम सुनिश्चित पेंशन प्रदान की जाएगी ।

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1 अप्रैल, 2025 से लागू होने वाली यूपीएस से केंद्र सरकार के करीब 23 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। इसी पेंशन ढांचे को विभिन्न राज्य सरकारों ने भी अपनाया है, जिससे वर्तमान में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत नामांकित 90 लाख से अधिक कर्मचारियों तक इसकी पहुंच हो गई है।

इस योजना की एक प्रमुख विशेषता मुद्रास्फीति सूचकांक है, जिसे सुनिश्चित पेंशन, पारिवारिक पेंशन और न्यूनतम पेंशन पर लागू किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि पेंशनभोगियों के लाभों का जीवन की बढ़ती लागत के साथ तालमेल बना रहे। औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (एआईसीपीआई- आईडब्ल्यू) पर आधारित महंगाई राहत भी पेंशनभोगियों को दी जाएगी, जैसा कि सेवारत कर्मचारियों को दी जाती है।

ग्रेच्युटी के अलावा, सेवानिवृत्त लोगों को सेवानिवृत्ति पर हर छह महीने की पूरी सेवा के लिए उनके मासिक वेतन (मूल वेतन + डीए) के 10वें हिस्से के बराबर एकमुश्त भुगतान मिलेगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस एकमुश्त भुगतान से पेंशन राशि कम नहीं होगी।

इसके अलावा, सरकार ने सेवानिवृत्त रक्षा कर्मियों और उनके परिवारों के निरंतर कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) योजना को संशोधित किया है, जिससे देश की सेवा करने वालों का समर्थन करने की उसकी प्रतिबद्धता की पुष्टि होती है। ओआरओपी का तात्पर्य है कि समान सेवा अवधि के साथ समान रैंक पर सेवानिवृत्त होने वाले सशस्त्र बलों के कर्मियों को उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि की परवाह किए बिना एक समान पेंशन का भुगतान किया जाना चाहिए। यह दृष्टिकोण वर्तमान और पिछले पेंशनभोगियों की पेंशन दरों के बीच के अंतर को पाटता है, जिससे समानता सुनिश्चित होती है।

ओआरओपी आदेश की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  1. कैलेंडर वर्ष 2013 के सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन के आधार पर पुराने पेंशनभोगियों की पेंशन पुनः निर्धारित की जाएगी और ये लाभ 1 जुलाई 2014 से प्रभावी होंगे।
  2. सभी पेंशनभोगियों के लिए पेंशन उसी रैंक और समान सेवा अवधि के साथ 2013 में सेवानिवृत्त हुए कर्मियों की न्यूनतम और अधिकतम पेंशन के औसत के आधार पर पुनः निर्धारित की जाएगी।
  3. औसत से अधिक पेंशन पाने वालों की पेंशन सुरक्षित रहेगी।
  4. बकाया राशि का भुगतान चार बराबर अर्ध-वार्षिक किस्तों में किया जाएगा। हालांकि, विशेष या उदारीकृत पारिवारिक पेंशन पाने वाले और वीरता पुरस्कार विजेताओं सहित पारिवारिक पेंशनभोगियों को एक किस्त में बकाया राशि मिलेगी।
  5. निरंतर समानता सुनिश्चित करने के लिए हर पांच साल में पेंशन फिर से तय की जाएगी।

ओआरओपी योजना के अंतर्गत ये सुधार रक्षा कर्मियों के बलिदान और सेवा को मान्यता देने, सेवानिवृत्ति के बाद उनकी वित्तीय सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के प्रति सरकार के समर्पण को रेखांकित करते हैं।

आवासीय पहल

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 9 अगस्त, 2024 को प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) 2.0 को मंजूरी दे दी। इस पहल का उद्देश्य अगले पांच वर्षों में शहरी क्षेत्रों में किफायती आवास के निर्माण, खरीद या किराये की सुविधा प्रदान करते हुए 1 करोड़ शहरी गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इस योजना को ₹2.30 लाख करोड़ के बड़े सरकारी निवेश से समर्थन मिलेगा।

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पीएमएवाई-यू भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसे यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया गया है कि शहरी क्षेत्रों में सभी पात्र लाभार्थियों को टिकाऊ, सभी मौसमों के अनुकूल पक्के घर उपलब्ध हों। आज तक, इस कार्यक्रम के तहत 1.18 करोड़ घरों को मंजूरी दी जा चुकी है, जिनमें से 86.55 लाख से अधिक पहले ही निर्मित और प्रदान किए जा चुके हैं।

कार्यक्रम का यह नया चरण 15 अगस्त, 2023 को माननीय प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस के भाषण के अनुरूप है, जिसमें कमजोर वर्गों और मध्यम वर्ग के परिवारों को घर का स्वामित्व हासिल करने में सहायता के लिए एक नई योजना का वादा किया गया था।

इसके अलावा, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पहले 10 जून, 2024 को 3 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण और शहरी परिवारों को सहायता देने का संकल्प लिया था, जिससे आवास की बढ़ती ज़रूरतों को पूरा किया जा सके। ₹10 लाख करोड़ के महत्वाकांक्षी निवेश के साथ पीएमएवाई-यू  2.0 योजना 1 करोड़ परिवारों की आवास ज़रूरतों को पूरा करने की दिशा में काम करेगी, जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होगा और किफायती आवास तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित होगी।

सतत विकास

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ₹3,435.33 करोड़ के परिव्यय के साथ “पीएम-ई-बस सेवा-भुगतान सुरक्षा तंत्र (पीएसएम) योजना” को मंजूरी दी। यह योजना वित्त वर्ष 2024-25 से वित्त वर्ष 2028-29 तक 38,000 से अधिक इलेक्ट्रिक बसों (ई-बसों) की खरीद और संचालन का समर्थन करने के लिए बनाई गई है, जो अधिक टिकाऊ शहरी परिवहन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

पीएम-ई-बस सेवा योजना ई-बसों को उनकी तैनाती की तारीख से 12 साल तक चलाने की सुविधा प्रदान करेगी। यह पहल ई-बसों के उपयोग को बढ़ावा देकर डीजल और सीएनजी बसों पर वर्तमान निर्भरता से उत्पन्न पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करती है, जो पर्यावरण के अनुकूल हैं और इनकी परिचालन लागत कम है। हालांकि, ऊंची शुरुआती लागत और परिचालन से कम राजस्व प्राप्ति ने सार्वजनिक परिवहन प्राधिकरणों (पीटीए) के लिए ई-बसों को अपनाने में चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।

इन बाधाओं को दूर करने के लिए, यह योजना सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल, विशेष रूप से सकल लागत अनुबंध (जीसीसी) मॉडल के उपयोग को प्रोत्साहित करेगी। इस मॉडल के तहत, पीटीए को ई-बसों की अग्रिम लागत का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी; इसके बजाय, मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) या ऑपरेटर बसों की खरीद और संचालन करेंगे और पीटीए से मासिक भुगतान प्राप्त करेंगे।

यह योजना एक सुरक्षित भुगतान तंत्र सुनिश्चित करके भुगतान में संभावित चूक का भी समाधान करती है। इस प्रकार यह योजना ई-बसों को अपनाने में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देती है। इस पहल से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में महत्वपूर्ण कमी और जीवाश्म ईंधन की खपत में कमी आने की उम्मीद है।

 

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इसके अतिरिक्त, 15 फरवरी, 2024 को शुरू की गई पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना का उद्देश्य सौर पैनल की स्थापना की लागत में सब्सिडी देकर घरों को मुफ्त बिजली प्रदान करना है। इस योजना के तहत 3.5 लाख घरों में सौर प्रणालियां स्थापित की गई हैं, जिससे मध्यम वर्ग को बचत में वृद्धि का लाभ मिला है। यह योजना सौर पैनल की लागत की 40 % तक सब्सिडी प्रदान करती है और इससे पूरे भारत में 1 करोड़ घरों को फायदा मिलने की उम्मीद है। सरकार को बिजली की लागत में सालाना ₹75,000 करोड़ की बचत होने का अनुमान है, जिससे आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता दोनों के प्रति प्रतिबद्धता का पता चलता है।

उद्यमिता और व्यवसाय सहायता

केंद्र सरकार ने मुद्रा लोन योजना में महत्वपूर्ण विस्तार की घोषणा की है, जिसमें ‘तरुण’ श्रेणी के तहत पिछले कर्ज को सफलतापूर्वक प्राप्त करने और चुकाने वाले उद्यमियों के लिए सीमा को ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹20 लाख कर दिया गया है। इस कदम का उद्देश्य उन छोटे और सूक्ष्म उद्यमियों को अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जिन्होंने प्रभावी ढंग से ऋण का प्रबंधन और पुनर्भुगतान करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 8 अप्रैल, 2015 को शुरू की गई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) का उद्देश्य गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि लघु और सूक्ष्म उद्यमियों को आय-उत्पादक गतिविधियों के लिए आसान, बंधक-मुक्त सूक्ष्म ऋण की सुविधा प्रदान करना है। पीएमएमवाई के तहत बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), सूक्ष्म वित्त संस्थान (एमएफआई) और अन्य वित्तीय मध्यस्थों सहित मेंबर लेंडिंग इंस्टीट्यूशंस (एमएलआई) द्वारा कर्ज प्रदान किए जाते हैं। यह पहल देश भर में छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाने और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने में सहायक रही है।

इसके अलावा, केंद्रीय बजट 2024-25 में घरेलू विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने और व्यापार को सुव्यवस्थित करने के लिए सीमा शुल्क दर संरचना की व्यापक समीक्षा का प्रस्ताव है। सोने और चांदी पर सीमा शुल्क घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि प्लैटिनम पर शुल्क को 6.4 प्रतिशत पर समायोजित किया गया है। ये परिवर्तन कर संरचना को तर्कसंगत और सरल बनाने के समग्र प्रयास का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य घरेलू उद्योगों को समर्थन देना और व्यापार विवादों को कम करना है।

बुनियादी ढांचा और जीवन की सुगमता

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औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में  आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (एनआईसीडीपी) के तहत 28,602 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ 12 नए औद्योगिक नोड्स और शहरों के निर्माण को मंजूरी दी।

10 राज्यों में फैले और छह प्रमुख गलियारों के साथ नियोजित इन औद्योगिक नोड्स से भारत की विनिर्माण क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि और देश भर में औद्योगिक केंद्रों का एक मजबूत नेटवर्क की स्थापना के साथ इसकी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ने की उम्मीद है।

इसके अलावा, सरकार ने 22 जून, 2024 को इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (आईजीआई) हवाई अड्डे, टी-3 टर्मिनल, नई दिल्ली में फास्ट ट्रैक इमिग्रेशन – ट्रस्टेड ट्रैवलर प्रोग्राम (एफटीआई-टीटीपी) लॉन्च किया है। अंतर्राष्ट्रीय परिवहन को सुव्यवस्थित करने के लिए तैयार किया गया, एफटीआई-टीटीपी अपने प्रारंभिक चरण के दौरान भारतीय नागरिकों और ओसीआई कार्डधारकों के लिए तेज, सुचारू और अधिक सुरक्षित आव्रजन निकासी सुनिश्चित करता है।

यह कार्यक्रम एक ऑनलाइन पोर्टल https://ftittp.mha.gov.in के माध्यम से संचालित होता है, जहां आवेदक आवश्यक विवरण देकर और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करके पंजीकरण कर सकते हैं। पंजीकृत यात्री विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालयों (एफआरआरओ) में या हवाई अड्डे से गुजरने के दौरान बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण पूरा कर सकते हैं। ई-गेट पर अपने बोर्डिंग पास और पासपोर्ट को स्कैन करके, यात्री बायोमीट्रिक सत्यापन से गुजरते हैं और सफल प्रमाणीकरण के बाद, ई-गेट अपने आप खुल जाते हैं, जिससे निर्बाध आव्रजन के लिए मंजूरी मिलती है।

सार

निष्कर्ष के तौर पर, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ऐतिहासिक तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों के दौरान भारत के मध्यम वर्ग के प्रति परिवर्तनकारी प्रतिबद्धता रेखांकित हुई है। कर लाभ में वृद्धि, बेहतर पेंशन योजनाओं, विस्तारित आवास सहायता, उद्यमशीलता के अवसरों में बढ़ोतरी और टिकाऊ बुनियादी ढांचे के निवेश सहित कई रणनीतिक पहलों के माध्यम से, सरकार ने आर्थिक स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को प्रोत्साहन दिया है।

स्वास्थ्य सेवा कवरेज का विस्तार समाज के सभी वर्गों के लिए व्यापक सहायता सुनिश्चित करने के सरकार के संकल्प को और भी स्पष्ट करता है। जैसे-जैसे ये उपाय प्रभावी होंगे, वे मध्यम वर्ग को सशक्त बनाएंगे, सामाजिक-आर्थिक प्रगति को आगे बढ़ाएंगे और विकसित और समावेशी भारत- Viksit Bharat@2047 के लक्ष्य को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

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