मेक इन इंडिया : वैश्विक स्तर पर विनिर्माण क्षेत्र में भारत का दबदबा
मेक इन इंडिया : वैश्विक स्तर पर विनिर्माण क्षेत्र में भारत का दबदबा
परिचय
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 25 सितंबर, 2014 को शुरू “मेक इन इंडिया” कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था । इस पहल की कल्पना ऐसे समय में की गई थी, जब देश के आर्थिक विकास में काफ़ी गिरावट आ चुकी थी । राष्ट्र को आर्थिक क्षेत्र की प्रगति में कईं गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। ऐसी स्थिति में भारत को डिजाइन और विनिर्माण के क्षेत्र में एक वैश्विक केंद्र में बदलने के लिए , “मेक इन इंडिया” कार्यक्रम की शुरुआत की गयी ।
इसका मुख्य उद्देश्य निवेश को सुविधाजनक बनाना, नवाचार को प्रोत्साहित करना और विश्व स्तरीय बुनियादी ढाँचा विकसित करना था। सरकार की “वोकल फॉर लोकल” पहलों में से एक के रूप में, इससे न केवल भारत की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की औद्योगिक क्षमता का प्रदर्शन भी हुआ।
इस पहल से भारत की आर्थिक प्रगति में वृद्धि, एक मजबूत विनिर्माण क्षेत्र विकसित करने और विशाल युवा कार्यबल के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए है। अब, 27 क्षेत्रों को शामिल करते हुए, “मेक इन इंडिया 2.0” चरण के साथ यह कार्यक्रम नए जोश के साथ आगे बढ़ रहा है, जिससे वैश्विक विनिर्माण परिदृश्य में प्रमुख रूप से भारत की स्थिति मजबूत हो रही है।
‘मेक इन इंडिया’ के अंतर्गत क्षेत्र
विनिर्माण क्षेत्र | सेवा क्षेत्र |
एयरोस्पेस और रक्षा | सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना
प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाएँ (आईटी और आईटीईएस)
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ऑटोमोटिव और ऑटो कंपोनेंट्स | पर्यटन और आतिथ्य सेवाएँ
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फार्मास्युटिकल्स और चिकित्सा उपकरण | चिकित्सा यात्रा
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जैव प्रौद्योगिकी | परिवहन और रसद सेवाएँ
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पूंजीगत उत्पादन | लेखा और वित्त सेवाएँ
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वस्त्र और परिधान | ऑडियो विजुअल सेवाएँ
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रसायन और पेट्रो रसायन | कानूनी सेवाएँ
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इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिज़ाइन और विनिर्माण (ईएसडीएम) | संचार सेवाएँ |
चमड़ा और जूते | निर्माण और संबंधित
इंजीनियरिंग सेवाएँ
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खाद्य प्रसंस्करण | पर्यावरण सेवाएँ
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रत्न और आभूषण | वित्तीय सेवाएँ
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शिपिंग | शिक्षा सेवाएँ |
रेलवे | |
रेलवे निर्माण | |
नई और अक्षय ऊर्जा |
मेक इन इंडिया’ के स्तंभ
- नई प्रक्रियाएँ: ‘मेक इन इंडिया’ पहल ने उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए ‘व्यापार करने में आसानी’ को एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में पहचाना। व्यवसाय के माहौल को बेहतर बनाने के लिए कई उपाय लागू किए गए, जिससे यह स्टार्टअप और स्थापित उद्यमों के लिए अधिक अनुकूल बन गया।
- नया बुनियादी ढाँचा : सरकार ने औद्योगिक गलियारों और स्मार्ट शहरों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया। अत्याधुनिक तकनीक और तीव्र संचार को एकीकृत करके विश्व स्तरीय बुनियादी ढाँचा बनाया। सुव्यवस्थित पंजीकरण प्रणालियों और बेहतर बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) बुनियादी ढाँचे के माध्यम से नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा दिया गया। उद्योगों की आवश्यकतानुसार अनुसार कार्यबल विकसित करने के प्रयास किए गए।
- नए क्षेत्र : रक्षा उत्पादन, बीमा, चिकित्सा उपकरण, निर्माण और रेलवे बुनियादी ढांचे सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा दिया गया। बीमा और चिकित्सा उपकरणों में एफडीआई नियमों को आसान बनाया गया, जिससे अंतर्राष्ट्रीय निवेश और विकास को बढ़ावा मिला।
- नया दृष्टिकोण : सरकार ने नियामक के बजाय एक सुविधाकर्ता की भूमिका अपनाई और देश के आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए उद्योग के साथ साझेदारी की। इस बदलाव का उद्देश्य औद्योगिक विकास और नवाचार के लिए बेहतर माहौल तैयार करना था ।
मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी (पीएलआई) योजनाएँ:
भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए, देश की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएँ शुरू की गईं। ₹1.97 लाख करोड़ रूपए (26 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक) के निवेश के साथ, ये योजनाएँ 14 प्रमुख क्षेत्रों को कवर करती हैं, जिनका उद्देश्य अत्याधुनिक तकनीक में निवेश और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है।
पीएलआई योजना के अंतर्गत 14 क्षेत्र हैं:-
- मोबाइल विनिर्माण और निर्दिष्ट इलेक्ट्रॉनिक घटक
- महत्वपूर्ण प्रमुख प्रारंभिक सामग्री/दवा मध्यस्थ और सक्रिय दवा घटक
- चिकित्सा उपकरणों का विनिर्माण
- ऑटोमोबाइल और ऑटो घटक
- फार्मास्यूटिकल्स ड्रग्स
- विशेष स्टील
- दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पाद
- इलेक्ट्रॉनिक/प्रौद्योगिकी उत्पाद
- व्हाइट गुड्स (एयर कंडीशनर और एलईडी)
- खाद्य उत्पाद
- कपड़ा उत्पाद: एमएमएफ खंड और तकनीकी वस्त्र
- उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल
- उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैटरी
- ड्रोन और ड्रोन घटक
पीएलआई योजनाओं का प्राथमिक लक्ष्य पर्याप्त निवेश आकर्षित करना, उन्नत तकनीक को शामिल करना और परिचालन दक्षता सुनिश्चित करना है। इन योजनाओं से उत्पादन को काफी बढ़ावा मिलने, विनिर्माण गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और आने वाले वर्षों में आर्थिक विकास में योगदान देने की उम्मीद है।
30 जुलाई, 2024 तक, इन क्षेत्रों में 755 आवेदनों को मंजूरी दी गई है, जिससे मार्च 2024 तक 1.23 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त होगा। इस निवेश ने लगभग 8 लाख लोगों के लिए रोज़गार के अवसर पैदा किये, जो पीएलआई योजना के सफल क्रियान्वयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
रिकॉर्ड एफडीआई से सफल हो रहा ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम
मेक इन इंडिया पहल की सफलता को रिकॉर्ड तोड़ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) से काफी बल मिला है, जो एफडीआई नियमों के सरलीकरण और व्यापार करने में आसानी में सुधार से प्रेरित है। भारत अब ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी) सूचकांक में शीर्ष 100 देशों की सूची में शामिल है।
एफडीआई प्रवाह में लगातार वृद्धि हुई है, जो 2014-15 में $45.14 बिलियन से शुरू होकर 2021-22 में रिकॉर्ड $84.83 बिलियन तक पहुंच गया है। अप्रैल 2014 और मार्च 2024 के बीच, भारत ने $667.41 बिलियन का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) किया गया , जो पिछले 24 वर्षों में प्राप्त कुल एफडीआई का लगभग 67 % है। वित्त वर्ष 2023-24 में कुल एफडीआई प्रवाह 70.95 बिलियन डॉलर रहा, जबकि इक्विटी प्रवाह 44.42 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो वैश्विक निवेश के लिए भारत की बढ़ती साख़ को रेखांकित करता है।
व्यापार में सुगमता :
भारत सरकार की ओर से देश में वाणिज्य और व्यायसायिक क्षेत्र के विकास के लिए देश में उचित परिदृश्य तैयार करने की दिशा में अनेक कदम उठाये हैं । वर्ल्ड बैंक की इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट 2020 (डी बी आर) के अनुसार 2014 में भारत इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस में 142वें स्थान पर था । वहीं सरकार के अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप इस रैंकिंग में सुधार हुआ और वह 63वें स्थान पर पहुंच गया (जिसे अक्टूबर 2019 में बंद होने से पहले प्रकाशित किया गया था)।
पांच वर्षों में 79 रैंक की यह छलांग सरकार के नियमों को सरल बनाने, नौकरशाही बाधाओं को कम करने और अधिक व्यापार-अनुकूल वातावरण बनाने के निरंतर प्रयासों को दर्शाती है, जिससे निवेशकों का विश्वास काफी बढ़ गया है और मेक इन इंडिया पहल के उद्देश्यों का समर्थन हुआ है।
मेक इन इंडिया के तहत प्रमुख उपलब्धियाँ :
- स्वदेशी रूप से निर्मित टीकों की मदद से, भारत ने न केवल रिकॉर्ड समय में कोविड-19 टीकाकरण कवरेज हासिल किया, बल्कि दुनिया भर के कई विकासशील और अल्पविकसित देशों को बहुत ज़रूरी जीवन रक्षक टीकों का प्रमुख निर्यातक भी बन गया।
- भारत की पहली स्वदेशी सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन, वंदे भारत ट्रेन, ‘मेक इन इंडिया’ पहल की सफलता का एक शानदार उदाहरण हैं। अत्याधुनिक कोचों की विशेषता वाली ये ट्रेन यात्रियों को आधुनिक और बेहतर यात्रा का अनुभव प्रदान करती हैं। अभी तक, भारतीय रेलवे में 102 वंदे भारत ट्रेन सेवाएँ (51 ट्रेन) चालू हैं, जो राज्यों को ब्रॉड-गेज विद्युतीकृत नेटवर्क से जोड़ती हैं और उन्नत रेल प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती क्षमता को प्रदर्शित करती हैं।
- INS विक्रांत भारत का पहला घरेलू विमानवाहक पोत है। भारत आयात को कम करने और इस मुख्य क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए रक्षा उत्पादन में नए लक्ष्य हासिल कर रहा है।
- भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र ने तेजी से विकास किया है, जो वित्त वर्ष 23 में 155 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया है। उत्पादन वित्त वर्ष 17 में 48 बिलियन अमरीकी डॉलर से लगभग दोगुना होकर वित्त वर्ष 23 में 101 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया, जो मुख्य रूप से मोबाइल फोन द्वारा संचालित है, जो अब कुल इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन का 43 प्रतिशत हिस्सा है। भारत ने स्मार्टफोन आयात पर अपनी निर्भरता को काफी कम कर दिया है, अब 99 % घरेलू स्तर पर निर्माण कर रहा है।
- भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में 437.06 बिलियन अमरीकी डॉलर का व्यापारिक निर्यात दर्ज किया, जो वैश्विक व्यापार में देश की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।
- भारतीय साइकिलों ने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की है, यूके, जर्मनी और नीदरलैंड को निर्यात में उछाल आया है। यह उछाल भारतीय इंजीनियरिंग और डिजाइन की वैश्विक मान्यता को उजागर करता है।
- ‘मेड इन बिहार’ जूते अब रूसी सेना की किट का हिस्सा बन गए हैं, जो वैश्विक रक्षा बाजार में भारतीय उत्पादों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा और देश के उच्च विनिर्माण मानकों को प्रदर्शित करेगा।
- कश्मीर विलो बैट वैश्विक पसंदीदा बन गए हैं। उनकी लोकप्रियता भारत की असाधारण शिल्प कौशल और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में प्रभाव को रेखांकित करती है।
- अमूल ने अमेरिका में अपने डेयरी उत्पादों को लॉन्च करके अपनी उपस्थिति का विस्तार किया है। यह अंतरराष्ट्रीय उद्यम भारतीय फ्लेवर्स की वैश्विक अपील और विश्व मंच पर भारतीय डेयरी को बढ़ावा देने में अमूल की भूमिका को दर्शाता है।
- भारत के एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (UPI) ने वैश्विक सफलता हासिल की है, जिससे कई देशों में निर्बाध डिजिटल लेनदेन की सुविधा मिली है। यह प्रगति फिनटेक नवाचार में भारत के नेतृत्व और दुनिया भर में डिजिटल भुगतान को बदलने में इसकी भूमिका को रेखांकित करती है।
सार
“मेक इन इंडिया” पहल ने देश को डिजाइन, नवाचार और विनिर्माण के लिए एक संपन्न केंद्र में बदल दिया है, जिसने इसे विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित किया है। रणनीतिक सुधारों, निवेश-अनुकूल नीतियों और बुनियादी ढांचे के विकास पर एक मजबूत फोकस के साथ, इस पहल ने भारत की औद्योगिक क्षमताओं को काफी हद तक बढ़ाया है। वंदे भारत ट्रेनों और INS विक्रांत जैसी स्वदेशी परियोजनाओं की सफलता, रिकॉर्ड तोड़ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के साथ, भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को दर्शाती है।
जैसे-जैसे भारत उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और पीएम गतिशक्ति जैसी पहलों के साथ आगे बढ़ रहा है। यह निरंतर आर्थिक विकास, रोजगार के अवसर पैदा करने और वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करने की दिशा में अग्रसर है । यह कहना गलत न होगा कि भारत के विनिर्माण और औद्योगिक क्षेत्रों का भविष्य आशाजनक है, जो नवाचार, बुनियादी ढांचे और आर्थिक उत्कृष्टता के लिए नई प्रतिबद्धता से प्रेरित है।
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