25 जुलाई को यशदा में पशुगणना हेतु राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन
पुणे, जुलाई (जिमाका)
राज्य में 21वीं पशुगणना 1 सितंबर से शुरू हो रही है और उसी की पृष्ठभूमि में 25 जुलाई को यशवंतराव चव्हाण विकास प्रशासन प्रबोधिनी (यशदा) में राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह जानकारी पशुपालन आयुक्तालय ने दी है।
इस कार्यशाला में केंद्र सरकार सांख्यिकी विभाग के सांख्यिकी सलाहकार जगत हजारिका, निदेशक वी.पी.सिंह, केन्द्रीय पशुपालन विभाग के निदेशक बी.पी. मिश्रा, प्रधान वैज्ञानिक डॉ. संजीव सिंह के साथ राज्य के पशुपालन विभाग के आयुक्त कौस्तुभ दिवेगांवकर उपस्थित रहेंगे और प्रशिक्षुओं का मार्गदर्शन करेंगे।
इस कार्यशाला में केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी की ओर से महाराष्ट्र राज्य, साथ ही दमन व दीव और दादर नगर हवेली केंद्र शासित प्रदेश के राज्य पशुगणना अधिकारी, जिला पशुगणना अधिकारियों को 21वीं पशुधन गणना को विकसित मोबाइल ऐप, वेब आधारित और डैशबोर्ड निरीक्षण पर प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।
महाराष्ट्र राज्य पशुधन की दृष्टि से एक समृद्ध राज्य है। पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और यह देश एवं राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। योजना बनाने के लिए सरकार को बुनियादी सांख्यिकीय जानकारी की बहुत आवश्यकता होती है। ऐसी बुनियादी जानकारी गणना के रूप में एकत्र की जाती है। पशुधन के सतत विकास के लिए अच्छी योजनाएँ बनाने में पशुधन गणना महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
देश में पशुगणना 1919-20 से प्रारम्भ की गई। तब से हर 5 साल में पशुधन गणना कराई जा रही है। 20 वीं पशुधन जनगणना 2019 में पूरी हुई। इस पशुधन गणना में पहलीबार, पशुधन डेटा प्रजाति के अनुसार व ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के अनुसार एकत्र किया गया था। 20 वीं पशुधन गणना रिपोर्ट के अनुसार राज्य में पशुधन की कुल संख्या 3 करोड़ 33 लाख 80 हजार है और पिछली पशुधन गणना की तुलना में 1.83 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। महाराष्ट्र राज्य पशुधन में देश में 7वें स्थान पर है।
इसके अलावा, पोल्ट्री और कुक्कुटडी पक्षियों में यह 5वें स्थान पर है। यह जानकारी पशुपालन आयुक्तालय के सहआयुक्त प्रकाश अहिरराव ने दी है।
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