बाईमेटेलिक नाइफ प्रणालियां पानी के विभाजन के लिए डोप की गई प्रणालियों से बेहतर

बाईमेटेलिक नाइफ प्रणालियां पानी के विभाजन के लिए डोप की गई प्रणालियों से बेहतर

बाईमेटेलिक नाइफ प्रणालियां पानी के विभाजन के लिए डोप की गई प्रणालियों से बेहतर

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएएसएसटी) के अध्ययन का दावा

एक नए अध्ययन के अनुसार एक द्विधातु (बाईमेटेलिक) निकल आयरन परतदार डबल हाइड्रॉक्साइड प्रणाली पानी के विभाजन के माध्यम से कुशल ओ2 उत्पादन के लिए पर्याप्त है, जो इस प्रणाली में उत्पादकता बढ़ाने के लिए ट्राइमेटेलिक समाधान खोजने के लिए अनुसंधान के वर्तमान रुझानों की आवश्यकता को कम करता है।

एक ऐसे युग में जहां नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत सर्वोपरि महत्व प्राप्त कर रहे हैं जल विभाजन स्थायी ऊर्जा समाधानों की खोज में आशा की किरण के रूप में उभरता है। जल विभाजन को वनस्पतियों और जीवों को नुकसान पहुंचाए बिना बड़े पैमाने पर हरे और शुद्ध एच2 और ओ2 उत्पन्न करने के लिए एक स्थायी और पर्यावरण अनुकूल तरीके के रूप में माना जा सकता है।

जल विभाजन की दक्षता बढ़ाने के तरीकों का पता लगाने के लिए गुवाहाटी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएएसएसटी) के वैज्ञानिकों ने दो महत्वपूर्ण प्रतिक्रियाओं में से एक का आकलन किया है – हाइड्रोजन विकास प्रतिक्रिया (एचईआर) और ऑक्सीजन विकास प्रतिक्रिया (ओईआर)।

डॉ. बिस्वजीत चौधरी और मुख्य लेखक श्री सुवनकर डेका के नेतृत्व में किए गए कार्य का मुख्य फोकस निकेल-आयरन लेयर्ड डबल हाइड्रॉक्साइड की ऑक्सीजन विकास क्षमता की समझ पर रहा। ऐसा इसलिए है क्योंकि ओईआर की दक्षता में सुधार जल-विभाजन प्रक्रियाओं की समग्र दक्षता में योगदान देता है।

नाइफ (NiFe) लेयर्ड डबल हाइड्रॉक्साइड (एलडीएच) के अतिरिक्त, उन्होंने दो अन्य ट्राइमेटेलिक सिस्टम जेडएननाइफ (ZnNiFe) परतदार डबल हाइड्रॉक्साइड और सीओनाइफ एलडीएच को संश्लेषित किया तथा 1एम केओएच में इसकी इलेक्ट्रोकैटलिटिक रूप से गतिविधि की जांच की। आश्चर्यजनक रूप से ट्राइमेटेलिक सिस्टम की ओईआर गतिविधि बाईमेटेलिक (द्विधातु) प्रणाली की तुलना में धीमी पाई गई। शोध ने मैरीगोल्ड जैसे ट्राइमेटेलिक एनआईएफई-आधारित एलडीएच में इलेक्ट्रोकैटलिटिक रूप से कम ओईआर प्रदर्शन में यांत्रिक अंतर्दृष्टि प्रदान की।

जर्नल ऑफ मेटेरियल्स केमिस्ट्री ए में प्रकाशन के लिए स्वीकृत उनके शोध से पता चला है कि ट्राइमेटेलिक प्रणाली में कम गतिविधि को Ni-O-Fe-O-Zn और Ni-O-Fe-O-Co moieties (एक अणु का हिस्सा) के चार्ज ट्रांसफर चेन में टूटने के साथ-साथ फोनन (कंपन ऊर्जा की मात्रा) के रूकाव के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इस प्रतिक्रिया से मार्ग और कैनेटीक्स को प्रभावित करने वाले चार्ज संवाहक (कैरियर) फंसते हैं जिसके परिणामस्वरूप पानी ऑक्सीकरण गतिविधि कम हो जाती है।

अध्ययन से पता चलता है कि बाईमेटेलिक नीफे प्रणाली के अपमिश्रण (डोपिंग) से इसकी जल विभाजन दक्षता में सुधार नहीं होता है और समग्र विभाजन के माध्यम से ऑक्सीजन उत्पादन के लिए द्विधातु प्रणाली में सुधार के तरीके तलाशने पर फोकस किए हुए अनुसंधान में मदद मिल सकती है।

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