भारत में रेलवे सुरक्षा बल में अन्य केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तुलना में महिला कर्मियों का अनुपात 9 प्रतिशत है, जो सबसे अधिक है
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) भारत में रेलवे सुरक्षा के क्षेत्र में एक प्रमुख सुरक्षा और कानून प्रवर्तन एजेंसी है। इसे रेलवे संपत्ति की बेहतर सुरक्षा और संरक्षा के लिए वर्ष 1957 में स्थापित किया गया था। इस बल की यात्री सुरक्षा और सुविधा में भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
महिलाओं को प्रेम, देखभाल, शक्ति और शाश्वत रूप में मान्यता दी है और आरपीएफ में अन्य केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तुलना में महिला कर्मियों का अनुपात 9 प्रतिशत है, जो सबसे अधिक है। यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और संकटग्रस्त महिला यात्रियों को सहायता प्रदान करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित यह बल यात्रियों को सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करता है। महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने और अपने कर्तव्यों का पालन करते समय महिला कर्मियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए आरपीएफ ने अनेक उपाय किए हैं:
- बुनियादी ढांचे का विकास – ट्रेन एस्कॉर्ट ड्यूटी के लिए तैनात महिला अधिकारियों की विशेष जरूरतों को ध्यान में रखते हुए मानकीकृत बैरक, चेंजिंग रूम और अन्य सुविधाओं का निर्माण।
- नोडल अधिकारियों का नामांकन – महिला कर्मचारियों की शिकायतों के निवारण के लिए सभी क्षेत्रों/इकाइयों में महिला नोडल अधिकारियों का नामांकन करना और यह भी सुनिश्चित करना कि उनकी बात सुनी जाए तथा जरूरतों को पूरा किया जाए।
विभिन्न ऑपरेशनों के तहत उनकी भूमिका के मुख्य पहलू –
- महिला सुरक्षा की चिंताओं का समाधान –
मेरी सहेली पहल – भारतीय रेलवे के पूरे नेटवर्क में शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य अकेले या नाबालिग बच्चों के साथ लम्बी दूरी की ट्रेनों में यात्रा करने वाली महिला यात्रियों को सुरक्षा और संरक्षा प्रदान करना है। वर्तमान में भारतीय रेलवे में प्रतिदिन औसतन 400 से अधिक ट्रेनों में सेवा प्रदान करने के इस उद्देश्य के लिए 230 टीमों को तैनात किया जा रहा है।
इन टीमों ने महिला यात्रियों के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करते हुए, महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बों में अनुचित तरीके से यात्रा करने वाले लोगों को पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वर्ष 2023 के दौरान, महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बों में यात्रा करते हुए 77839 लोगों को पकड़ा गया और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है।
- ऑपरेशन मातृशक्ति – आरपीएफ कर्मियों, विशेष रूप से महिला अधिकारियों ने ट्रेन यात्रा के दौरान प्रसव पीड़ा से गुजर रही गर्भवती महिलाओं की सहायता के लिए अपने कर्तव्य से हटकर भी सहायता प्रदान की। वर्ष 2023 में ही आरपीएफ की महिला कर्मियों ने 206 प्रसव में सहायता की।
- ऑपरेशन एएएचटी (मानव तस्करी के खिलाफ) – महिलाएं और बच्चियां मानव तस्करी के दृष्टि से अधिक संवेदनशील होती हैं। आरपीएफ ने मानव तस्करी के खिलाफ अभियान चलाया है। वर्ष 2023 में तस्करों के चंगुल से 1048 लोगों को बचाया गया और 257 तस्कर पकड़े गए।
- ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते – रेलवे के संपर्क में आने वाले और देखभाल तथा सुरक्षा की जरूरत वाले बच्चों की सहायता के लिए एक गहन अभियान शुरू किया गया है। वर्ष 2023 के दौरान आरपीएफ ने 3973 बच्चियों को बचाया है।
- ऑपरेशन डिग्निटी – आरपीएफ की महिला कर्मी देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाली महिलाओं सहित वयस्क लोगों को बचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ऐसे व्यक्तियों में भगोड़े, परित्यक्त, नशे के आदी, निराश्रित या चिकित्सा सहायता की आवश्यकता वाले शामिल होते हैं। वर्ष 2023 में लगभग 3,492 ऐसे व्यक्तियों को बचाया गया।
ऐसे ऑपरेशनों और पहलों के माध्यम से आरपीएफ न केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है बल्कि यह सभी के लिए एक सुरक्षित, अधिक समावेशी रेलवे माहौल बनाने में भी महिलाओं के अमूल्य योगदान को दर्शाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आरपीएफ में महिलाएं सिर्फ सशक्तिकरण का प्रतीक नहीं हैं; बल्कि वे शक्ति, करुणा और समर्पण की प्रतीक भी हैं और पूरे देश में रेल यात्रियों की सुरक्षा एवं भलाई में सर्वोच्च योगदान दे रही हैं।
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