आरटीई कानून में की गई परिवर्तक अधिसूचना बदलाव से गरीब, आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्ग के छात्रों के भविष्य को खतरा

आरटीई कानून में की गई परिवर्तक अधिसूचना बदलाव से गरीब, आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्ग के छात्रों के भविष्य को खतरा

आरटीई कानून में की गई परिवर्तक अधिसूचना बदलाव से गरीब, आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्ग के छात्रों के भविष्य को खतरा

परिवर्तक अधिसूचना बदलाव तुरंत वापस लिया जाए अन्यथा तीव्र जन आंदोलन : युवासेना ने दी चेतावनी

पुणे, फरवरी (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क)
शिक्षा में असमानता को दूर किया जाए, गरीबों के बच्चे भी अमीर बच्चों के साथ अच्छे स्कूलों में पढ़ें, इस उद्देश्य से केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) 2009 में लागू किया गया था, लेकिन राज्य सरकार ने राजपत्र के द्वारा दिनांक 9 फरवरी 2024 को इस कानून का उल्लंघन कर बदलाव के कारण इस अधिनियम को ही खत्म करने की योजना बनाई गई है। इस बदलाव से गरीब, आर्थिक रूप से कमजोर, वंचित वर्ग के छात्रों के भविष्य को खतरा है और गरीब छात्र शिक्षा से वंचित रहेंगे। किया गया परिवर्तन रद्द कर देना चाहिए और पुराने नियम लागू किए जाएं। यह मांग युवा सेना की ओर से आज शिक्षा आयुक्त से की गई है। यह जानकारी युवा सेना पुणे शहर प्रमुख सनी गवते द्वारा दी गई है।

IMG-20240226-WA0034-300x144 आरटीई कानून में की गई परिवर्तक अधिसूचना बदलाव से गरीब, आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्ग के छात्रों के भविष्य को खतरा
इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए सनी गवते ने बताया कि केंद्र सरकार ने 2009 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया, जिसने गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों को निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम बनाया, लेकिन राज्य सरकार की ओर से इसमें अवैध बदलाव किया गया है। आरटीई की धारा-12 के अनुसार निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में कम से कम 25 प्रतिशत सीटें वंचित और कमजोर वर्गों के छात्रों के लिए प्रवेश स्तर पर आरक्षित करना और 8 वीं कक्षा तक मुफ्त शिक्षा का उनका अधिकार है, लेकिन केवल निजी शिक्षण संस्थानों के निदेशकों के स्वार्थ हितों की रक्षा करने और आरटीई के तहत दायित्वों से बचने के लिए सरकार ने आरटीई नियमों में अनुचित बदलाव किया है।

बदलाव के अनुसार निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूल से कम से कम 1 किमी. क्षेत्र में सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूल हैं। ऐसे स्कूलों पर 25 प्रतिशत प्रवेश की शर्त लागू नहीं होने का बदलाव खतरनाक है और केंद्र सरकार के फैसले को कमजोर करता है, इसलिए यह गरीब, जरूरतमंद, वंचित और दलित उपेक्षित समाज और उनके भविष्य के लिए बहुत खतरनाक है, साथ ही राज्य में कोई अनुदानित अंग्रेजी माध्यम स्कूल नहीं है और बच्चों को माध्यम चुनने और अंग्रेजी के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है।

साथ ही जब संबंधित अधिकारियों से पूछा गया कि इस अधिनियम के कारण कितने निजी स्कूल इस प्रक्रिया से बाहर होंगे, इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, तो उन्होंने कहा कि पोर्टल शुरू होने के बाद स्कूल पंजीकृत होने का पता चलेगा कि स्कूलों की संख्या कितनी है? ऐसा उनकी ओर से कहा गया है यानी कि यह फैसला लेते समय पक्ष-विपक्ष और आंकड़ों पर कोई विचार नहीं किया गया है, यह ध्यान में आ रहा है।

इस निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए नए आदेश को तत्काल रद्द कर पुराने आदेश के अनुसार आगे बढ़ाने की मांग की युवा सेना के प्रतिनिधिमंडल की ओर से की गई है अन्यथा केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून की धज्जियां उड़ाते हुए महाराष्ट्र सरकार के राजपत्र के खिलाफ एक तीव्र जन आंदोलन करने की चेतावनी दी गई।
इस अवसर पर यहां शिवसेना उपशहर प्रमुख राजेश पलसकर, युवासेना विभागीय सचिव अविनाश बलकवडे, शहर अधिकारी सनी गवते, राम थरकुडे, निकीता मारटकर, गायत्री गरुड, देवीका घोसारे, पूजा चांदगुडे, शिवप्रसाद जठार, वैभव दिघे, सोनु पाटिल, सागर गायकवाड, सागर दलवी, परेश खांडके, शुभम दुगाने, गौरव मोरे, गौरव गायकवाड, रोहित कुचेकर, तुषार पाटोले, कैलास मोरे, सोहम जाधव, कुणाल झेंडे, अनिराज कुराडे, गणेश काकडे, नीरज नांगरे, विशाल डोंगरे व युवासैनिक प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

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