मराठी को ज्ञान की भाषा और आय की भाषा बनाने की पहल की जानी चाहिए : मराठी भाषा मंत्री दीपक केसरकर

मराठी को ज्ञान की भाषा और आय की भाषा बनाने की पहल की जानी चाहिए : मराठी भाषा मंत्री दीपक केसरकर

मराठी भाषा संरक्षण से संबंधित अनुसंधान के लिए सरकार से अतिरिक्त अनुदान

मुंबई, फरवरी (महासंवाद)
मराठी भाषा के संरक्षण के लिए विभिन्न विषयों को वर्गीकृत किया जाना चाहिए और विश्वविद्यालयों को दिया जाना चाहिए, इन विषयों पर शोध करनेवाले शोधकर्ताओं और उनके मार्गदर्शकों को स्कूल शिक्षा विभाग के माध्यम से अनुदान दिया जाना चाहिए और शोध का उपयोग स्कूलों और कॉलेजों द्वारा संदर्भ पुस्तकों के रूप में किया जाना चाहिए। यह निर्देश स्कूल शिक्षा और मराठी भाषा विभाग के मंत्री दीपक केसरकर ने दिए।

इसके अनुरूप उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग से अनुबंध करने का सुझाव दिया। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य मराठी विकास संगठन की बैठक हर तीन महीने में आयोजित की जानी चाहिए और सभी विश्वविद्यालयों के मराठी भाषा विभाग के प्रमुखों को आमंत्रित सदस्यों के रूप में इस बैठक में भाग लेने के लिए कहा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि जलगांव जिले के अमलनेर को किताबों के गांव विस्तार योजना में शामिल किया जाना चाहिए, जबकि सिंधुदुर्ग जिले के कविता के गांव उभादांडा का समावेश कर काम में तेजी लाई जानी चाहिए।

राज्य मराठी विकास संगठन के कार्यकारिणी समिति की बैठक मंत्री श्री केसरकर की अध्यक्षता में सोमवार को हुई। इस अवसर पर स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव रणजीतसिंह देओल, मराठी भाषा विभाग के उपसचिव हर्षवर्धन जाधव, कार्यकारी समिति सदस्य डॉ. गणेश चंदनशिवे, राज्य मराठी विकास संस्थान के निदेशक डॉ. शामकांत देवरे, प्रशासनिक अधिकारी एवं सदस्य सचिव गिरीश पतके आदि उपस्थित थे। मराठी भाषा का प्रचार, प्रसार और संरक्षण करना विभाग का मुख्य उद्देश्य है। तदनुसार, इस बैठक में विभिन्न विषयों की समीक्षा की गई।

मंत्री श्री केसरकर ने कहा कि शिक्षा विभाग के विभिन्न पुस्तकालयों में विद्यार्थियों को प्रेरणा देनेवाली पुस्तकें एवं ग्रंथ पढ़ने के लिए उपलब्ध कराये जाने चाहिए। ग्रंथ तैयार करते समय पाठकों की सुविधा के लिए अंतिम पृष्ठ पर ग्रंथसूची का संक्षिप्त विवरण देना चाहिए। साथ ही विश्वकोश में ग्रंथ सूची अनुभाग पर भी ध्यान दें। मराठी ग्रंथ सूची के खंड सभी पुस्तकालयों में संग्रहीत किए जाने चाहिए। दुर्लभ पुस्तकों को कम्प्यूटरीकरण के माध्यम से संरक्षित किया जाना चाहिए और उत्कृष्ट साहित्य को इंटरनेट पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए। छात्रों में पढ़ने के प्रति रुचि पैदा करने के लिए हर शनिवार को एक सुखद शनिवार गतिविधि आयोजित की जाएगी, जिसके दौरान उन्हें अच्छी तरह से पढ़ने और मराठी गाने सुनने को कहा जाएगा। छात्रों को मराठी से संबंधित विभिन्न ऐतिहासिक मामलों की जानकारी दी जानी चाहिए।

बोली भाषा के प्रसार के लिए विशेष परियोजना
महाराष्ट्र के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी मराठी की विभिन्न बोलियाँ बोली जाती हैं। उनका भाषा वैज्ञानिक अध्ययन कराकर बोली भाषा के प्रसार के लिए विशेष परियोजना चलाने के मंत्री श्री केसरकर ने निर्देश दिए। उन्होंने बोली के संरक्षण के लिए पुरस्कार देने का भी सुझाव दिया और आग्रह किया कि सभी कार्यालयों में महाराष्ट्र के निवासियों से मराठी में बात की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा क्षेत्र में 860 गांवों में मराठी भाषा से संबंधित विभिन्न गतिविधियों को लागू करने के लिए अनुदान देने के निर्देश देकर मराठी भाषा के संरक्षण के लिए काम करनेवाली संस्थाओं के प्रतिनिधियों को मराठी भाषा गौरव दिवस कार्यक्रम में अनुदान वितरित करने की सूचना मंत्री श्री केसरकर ने की। मुंबई के साथ महाराष्ट्र में मराठी भाषा युवा मंडल के गठन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। मराठी भाषा को अभिजात वर्ग की स्थिति प्राप्त कराने हेतु अनुवर्ती करने के लिए समिति को स्थापित करने के निर्देश देकर राज्य के बाहर वाराणसी, पानीपत आदि जगहों पर मराठी भाषा उप केंद्र स्थापित करने के निर्देश मंत्री श्री केसरकर ने दिए।

पुस्तकों के गांव योजना का विस्तार करके राज्य के सभी जिलों में इस योजना को लागू करने के लिए निर्णय लिया गया है। इस काम को तुरंत शुरू करके, पाठकों को सबसे अच्छी किताबें उपलब्ध करानी चाहिए। जलगांव जिले के अमलनेर में अगले चरण में यह योजना तुरंत शुरू की जानी चाहिए। इसी प्रकार, कविताओं के गांव योजना के तहत सिंधुदुर्ग जिले में उभादांडा के काम को तेज करना चाहिए, यह निर्देश मंत्री श्री केसरकर ने दिए। मराठी कवियों की गुणवत्तापूर्ण रचना सभी तक पहुंचाने के लिए हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में कविताओं के समान रूपांतरित करने का सुझाव उन्होंने दिया। मराठी भाषा सभी के जुबान पर खिलें इस प्रयासों के एक हिस्से के रूप में आकर्षक जिंगल्स बनाकर उन्हें हर जगह सुनाया जाए।

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