निर्धार

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जीवन की मजबूरियाँ नहीं गिनवाने आये हैं हम,
लोहा अपना मजबूत यहाँ मनवाने आये हैं हम!

सब्र किया इतने साल बस अब हमारी बारी है,
मेहनत रंग लायी हमारी जो किस्मत सँवारी है!

लेकर चले जिन्हें मंजूर हो हमारी विचारधारा,
नयी सोच की किरणें बिखेरती समेट अँधियारा!

खाक करने पुरानों को बस काफी एक चिंगारी है,
दबाने विरोधियों को उनके फरमान भी जारी हैं!

इरादे हैं पक्के करेंगे आफतों का सामना डटकर,
ठानी है जब दिल में दम लेंगे दुश्मनों को हटाकर!

खेल चुके हो तुम अब तो खेलने की हमारी पारी है,
कुछ नया कहो सदियों से आफतों से हमारी यारी है!

-बाबू फिलीप डिसोजा कुमठेकर
यमुनानगर, निगडी, पुणे-411044
मोबा. 9890567468

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