नंदुरबार के आदित्य ब्राह्मणे मरणोपरांत ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल’ पुरस्कार से सम्मानित

नंदुरबार के आदित्य ब्राह्मणे मरणोपरांत ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल’ पुरस्कार से सम्मानित

नई दिल्ली, जनवरी (महासंवाद)
महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के आदित्य ब्राह्मणे को मरणोपरांत प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रदान किया गया। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने विज्ञान भवन में पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया।

अपने चचेरे भाई की जान बचाने के लिए आदित्य ने अपनी जान गंवा दी। राष्ट्रपति द्वारा आदित्य को वीरता श्रेणी में पुरस्कार प्रदान किया गया। आदित्य के छोटे भाई आरुष ने पुरस्कार स्वीकार किया।

आदित्य और उसका चचेरा भाई नदी किनारे खेल रहे थे। खेलते समय उसका चचेरा भाई डूबने लगा। यह देखकर, आदित्य ने खतरनाक ढलान को देखे बिना गहरे पानी में गोता लगाकर अपने चचेरे भाई को बचाने की कोशिश की। दुर्भाग्य से, आदित्य बहुत गहराई में चला गया, जिससे उसे तुरंत ढूंढना मुश्किल हो गया। आदित्य का प्रयास व्यर्थ चला जाता है और वह डूब जाता है। हालाँकि, उन्होंने कठिन परिस्थितियों में अपनी अतुलनीय वीरता का परिचय दिया। उनकी बहादुरी के लिए उन्हें मरणोपरांत वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

अपने चचेरे भाई की जान बचाने के लिए आदित्य ब्राह्मणे ने अपनी जान गंवा दी। यह उनका साहसिक प्रयास है। इस प्रयास के लिए उन्हें मरणोपरांत वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (पीएमआरबीपी)’ असाधारण क्षमताओं और उत्कृष्ट उपलब्धियों वाले बच्चों को प्रदान किया जाता है। पुरस्कार 5 से 18 वर्ष की आयु के उन बच्चों को प्रदान किए गए जिन्होंने बहादुरी, कला और संस्कृति, पर्यावरण, नवाचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सामुदायिक सेवा और खेल की श्रेणियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक पदक, प्रमाण पत्र और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।

इस वर्ष के प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए देश के 18 जिलों के 19 उत्कृष्ट बच्चों का चयन किया गया। ये बच्चे 26 जनवरी 2024 को गणतंत्र दिवस की परेड में भी हिस्सा लेंगे।

चयनित बच्चों की सूची में बहादुरी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और नवाचार की श्रेणियों में एक-एक बच्चा और समाज सेवा की श्रेणी में चार बच्चे शामिल हैं; खेल श्रेणी में पांच और कला एवं संस्कृति श्रेणी में सात बच्चे थे। सूची में 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 9 लड़के और 10 लड़कियां शामिल थीं।

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