निपुण लोगों की जीवनियाँ पढ़कर अपना व्यक्तित्व बनाएँ : प्रा. डॉ. पांडुरंग कंद

निपुण लोगों की जीवनियाँ पढ़कर अपना व्यक्तित्व बनाएँ : प्रा. डॉ. पांडुरंग कंद

मांजरी, जनवरी (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क)
निपुण लोगों की उपलब्धि के पीछे बहुत अंधेरा रहता है, यह इंसान इस अंधेरे को चीरकर बड़े होते हैं। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने छात्र जीवन में रेलवे स्टेशन पर समाचार पत्र बेचे, वे भारत के राष्ट्रपति बने। अब्राहम लिंकन पोस्टमास्तर थे वे अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष बने। उन्होंने गुलामों को स्वतंत्रता दिलाई। अब्राहम लिंकन को पढ़ने का एक अद्भुत जुनून था। ऐसी परिस्थितियों से संघर्ष करनेवाले निपुण लोगों की जीवनियाँ पढ़कर अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व बनाएँ। यह विचार प्रा. डॉ. पांडुरंग कंद ने व्यक्त किये।


पुणे जिला शिक्षण मंडल के अण्णासाहेब मगर महाविद्यालय में सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठ के बहि:शाल शिक्षण मंडल द्वारा संयुक्त से मराठी भाषा संवर्धन पखवाड़े के अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. नितिन घोरपडे के मार्गदर्शन में ज्ञान विज्ञान पठन आंदोलन व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। इस व्याख्यानमाला के दूसरे पुष्प को प्रा. डॉ. पांडुरंग कंद ने संबोधित किया। उन्होंने अरुण शेवते लिखित ‘हाती ज्यांच्या शून्य होते’ इस किताब पर विवेचन कियाा।
महाविद्यालय की उपप्राचार्य प्रा. डॉ. शुभांगी औटी ने व्याख्यानमाला की अध्यक्षता की। यहां डॉ. अशोक ससाणे, प्रा.नितिन लगड, डॉ. वंदना सोनवले, प्रा.अनिता गाडेकर आदि उपस्थित थे।


बहि:शाल शिक्षण मंडल यानी यह बिना दीवारोंवाला स्कूल है और पाठ्यक्रम के बाहर के जीवन के अनुभवों को इस माध्यम से छात्रों तक पहुंचाया जा सकता है। यह मत उपप्राचार्य प्रा. डॉ. शुभांगी औटी ने व्यक्त किया।
सूत्र-संचालन प्रा. नेहा सालुंके और आभार प्रदर्शन डॉ. अश्विनी घोगरे ने किया।

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