अटल भूजल योजना के अंतर्गत भूजल समृद्ध ग्राम प्रतियोगिता के परिणाम घोषित

अटल भूजल योजना के अंतर्गत भूजल समृद्ध ग्राम प्रतियोगिता के परिणाम घोषित

अटल भूजल योजना के अंतर्गत भूजल समृद्ध ग्राम प्रतियोगिता के परिणाम घोषित

बारामती तालुका के करहाटी गांव को पहला जिला स्तरीय पुरस्कार

पुणे, जनवरी (जिमाका)
अटल भूजल योजना, भूजल सर्वेक्षण एवं विकास तंत्र तथा जल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग के अंतर्गत आयोजित भूजल समृद्ध ग्राम प्रतियोगिता-2022-23 के परिणाम घोषित कर दिए गए हैं। जिला स्तर पर, बारामती तालुका के करहाटी गांव ने पहला पुरस्कार जीता है, जबकि पुरंदर तालुका के सोनोरी और चांबली गांवों ने क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया है।

भूजल स्तर में गिरावट और भूजल के अनियंत्रित दोहन के कारण प्रभावित हो रही गुणवत्ता को रोकने के लिए केंद्र सरकार और विश्व बैंक की मदद से 26 नवंबर 2020 से महाराष्ट्र के 13 जिलों के 43 तालुकाओं की 1133 ग्राम पंचायतों में अटल भूजल योजना लागू की जा रही है।
लोगों की भागीदारी के माध्यम से भूजल प्रबंधन’ हासिल करने के लिए जल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग ने अटल भूजल योजना के तहत भूजल समृद्ध ग्राम प्रतियोगिता का आयोजन किया। सर्वोत्तम जनभागीदारी और प्रदर्शन दर्ज करने वाली ग्राम पंचायतों को दो वित्तीय वर्षों 2022-23 और 2023-24 के लिए पुरस्कृत किया जाएगा।

इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण स्तर पर जल पूर्वानुमान तैयार करना, भूजल उपलब्धता में कमी को पूरा करने के लिए मौजूदा राज्य और केंद्र प्रायोजित योजनाओं का अधिक से अधिक अभिसरण करना और ग्रामीण स्तर पर भूजल उपलब्धता में स्थिरता प्राप्त करना है।
इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार 1 करोड़ रूपये, द्वितीय पुरस्कार 50 लाख रूपये एवं तृतीय पुरस्कार 30 लाख रूपये तथा जिला स्तरीय पुरस्कार प्रथम पुरस्कार 50 लाख रूपये, द्वितीय पुरस्कार 30 लाख रूपये एवं तृतीय पुरस्कार 20 लाख रुपये का वितरण किया जायेगा।

वर्ष 2022-23 में पुणे जिले के पुरंदर तालुका की 22 ग्राम पंचायतों और बारामती तालुका की 8 ग्राम पंचायतों ने प्रतियोगिता में भाग लिया। भाग लेने वाली ग्राम पंचायतों ने कुल 559 अंकों के लिए प्रतियोगिता आयोजित की गई। प्रतियोगिता का मूल्यांकन उपमंडल स्तर, जिला स्तर और राज्य स्तर पर किया गया। तदनुसार, इस प्रतियोगिता का परिणाम जल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव द्वारा घोषित किया गया है। यह जानकारी भूजल सर्वेक्षण एवं विकास प्रणाली के वरिष्ठ भूविज्ञानी दिवाकर धोटे ने दी है।

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