31/07/2025

यह कैसी चाहत!

Babu Disoza

यह कैसी चाहत!

चुभती है उनकी कही बातें,
गुजरती मुश्किल दिन रातें,

फिर भी हँसकर सुनते हैं,
सच से अनदेखी करते हैं,

अपनी मर्यादा कमी जानते,
लोहा फिर भी वे नहीं मानते,

कहने को कुछ भी कहते हैं,
कुछ तो जहन में रहते हैं,

किनारे समंदर उफनते,
सुननी अभी कितनी लानतें,

मौन आँसू आँखों से बहते हैं,
अनजान वे उन्हें चाहते हैं!

श्री बाबू डिसोजा कुमठेकर
हिमगौरी बिल्डिंग, 21 सेक्टर 21 स्कीम 10,

यमुनानगर निगडी, पुणे-411044

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