उदात्त जीवन की ओर (भाग-2)

उदात्त जीवन की ओर (भाग-2)

किसी अन्य छात्रा ने बोलने या प्रश्न उठाने का साहस नहीं किया। मैं इनके इस साहस के लिए शाबासी देता हूँ तथा इनके इस प्रश्न का अनुमोदन भी करता हूँ और मानता हूँ कि अब कैसे कोई महिला हूबहू रानी लक्ष्मीबाई बन सकती है? नहीं बन सकती। यदि आप किसी भी वीर-वीरांगनाओं के जीवन की घटनाओं का ही अनुकरण करेंगे तो असफल ही होंगे। कोई भी व्यक्ति किसी भी महापुरुष के जीवन की या संबधित घटनाओं की नक़ल या अनुकरण नहीं कर सकता, क्योंकि समय निरंतर परिवर्तनशील है। एक जैसी घटनाएं प्राय: फिर नहीं घटती हैं।

अपवाद रूप में यह हो सकता है कि कभी कोई घटना पहले की जैसी किसी घटना की पुनरावृत्ति लगती हो, जैसा कि कहा जाता है कि कळीीेीूं ीशशिरीीं ळीं ीशश्रष. तो भी, बदली हुई परिस्थितियों में वह घटना ठीक पहले जैसी नहीं होती तथा उसके अनुसांगिक परिणाम भी पहले से भिन्न होते हैं। अत: इन बदली हुई परिस्थितियों में कोई व्यक्ति पहली घटनाओं के व्यक्तियों की तरह आँख मूंद कर कार्यवाही करेगा तो औंधे मुँह गिरेगा अर्थात परिणाम उलटे होंगे, इसलिए यह आवश्यक नहीं है, कि हम तभी महापुरुष बनेंगे जब हमारे जीवन में पूर्ववर्त्ती महापुरुषों के जीवन की जैसी घटनाएं घटें और हम महापुरुष बन जाएँ। साथ ही यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि यदि कोई व्यक्ति महापुरुष बनने के लिए कुछ करता है तो उसका ध्यान सदैव इस बात की ओर ही रहेगा कि ‘मैं महापुरुष बन पाया या नहीं?’ उसकी दिलचस्पी उस काम की ओर नहीं रहेगी जिसके आधार पर कोई व्यक्ति महापुरुष कहलाता है, बल्कि यह दिखने या दिखाने की ओर ज्यादा रहेगी कि वह महापुरुष है।

ऐसा व्यक्ति कभी भी महापुरुष नहीं हो सकता। वह असली नहीं, नकली होता है। ऐसे व्यक्ति की कलई खुलने में देर नहीं लगती। मानव जाति के इतिहास में कहीं भी किसी भी महापुरुष ने ‘महापुरुष’ बनने के उद्देश्य से कोई भी कार्य कभी भी प्रारंभ नहीं किया। कोई भी कार्य या घटना किसी को महापुरुष नहीं बनाती है। अत: बात घटनाओं की नहीं है। घटनाएं किसी को भी महान नहीं बनाती हैं और न घटनाएं किसी को छोटा बनातीं हैं। साथ ही यह बात भी है कि कोई भी घटना अपने आप में न तो छोटी होती है और नहीं बड़ी। बड़ा और छोटा होता है आपका नजरिया-आपका दृष्टिकोण।

आप किसी घटना के प्रति कैसे सोचते हैं-किस तरह विचार करते हैं, घटनाओं के सन्दर्भ में आप अचूक निर्णय लेने की क्षमता रखते हैं या नहीं और घटनाओं या परिस्थितियों के प्रति किस प्रकार की प्रतिक्रया करते हैं। यह प्रतिक्रिया शब्दों तक ही सीमित रह जाती है या सक्रियता में परिवर्तित होती है। ऐसी ही कुछ बातें हैं जो महत्वपूर्ण हैं। रानी लक्ष्मीबाई जैसा बनने के लिए रानी होना आवश्यक नहीं है और नहीं उस तरह का युद्ध करना जरूरी है।

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