हमारे अद्भुत इतिहास को बच्चों को समझने के लिए बाल साहित्य का निर्माण किया जाए : उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल

हमारे अद्भुत इतिहास को बच्चों को समझने के लिए बाल साहित्य का निर्माण किया जाए : उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल
बाल पुस्तक मेला राज्य भर में जिलास्तर पर आयोजित किए जाने चाहिए : उदय सामंत
पुणे, मई (जिमाका)
हमारे अद्भुत इतिहास को समझने में बच्चों को मदद करने के उद्देश्य से बाल साहित्य का सृजन किया जाना चाहिए। यह विचार उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने व्यक्त किए। ‘पुणे बाल पुस्तक मेला’ जैसी पहल साहित्य संस्कार, ज्ञान और ज्ञान की परंपरा और उस पर गर्व का निर्माण कर सकती है।
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, पुणे नगर निगम और पुणे पुस्तक महोत्सव संवाद के सहयोग से गणेश कला क्रीड़ा मंच पर आयोजित ‘पुणे बाल पुस्तक मेला 2025’ के उद्घाटन के अवसर पर वे बोल रहे थे। इस अवसर पर यहां मराठी भाषा मंत्री उदय सामंत, नगरविकास राज्यमंत्री माधुरी मिसाल, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष मिलिंद मराठे, संचालक तथा पुणे पुस्तक महोत्सव के मुख्य संयोजक राजेश पांडे, खडकी शिक्षण संस्था के अध्यक्ष कृष्ण कुमार गोयल, बुलढाणा अर्बन को- ऑप. क्रेडिट सोसाइटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शिरीष देशपांडे, लेखक ल. म. कडू, लेखिका संगीता बर्वे, साहित्यिक राजीव तांबे, संवाद संस्था के संस्थापक संचालक सुनील महाजन, प्रसेनजीत फडणवीस आदि उपस्थित थे।
चंद्रकांत दादा पाटिल ने कहा कि हमारे अद्भुत इतिहास को उचित रूप से प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे हमारे मन में हीन भावना पैदा हो रही है। चूंकि बच्चों में जानकारी को ग्रहण करने की बहुत अच्छी क्षमता होती है, इसलिए इस इतिहास को बताने का एक बेहतरीन माध्यम है। दुनिया का पहला शब्दकोष भारत में बनाया गया, पहली शल्यक्रिया भारत में की गई और पहला विश्वविद्यालय भी यहीं स्थापित किया गया। बच्चों को इसे समझने में मदद करने के लिए छोटी-छोटी पुस्तकें तैयार की जानी चाहिए।
भारतीय खेल बच्चों को अधिक स्वस्थ बना रहे हैं तथा उनमें अधिक एकाग्रता पैदा कर रहे हैं। कोल्हापुर में खेलघर के मैदान की अवधारणा को क्रियान्वित किया जा रहा है। खेल के माध्यम से बुद्धि का विकास करने और पढ़ने की आदत डालने का प्रयास किया जाता है। इस पहल को लागू करने की पहल करने के लिए मंत्री श्री पाटिल ने श्री पांडे का अभिनंदन किया।
बाल पुस्तक मेले राज्यभर में जिलास्तर पर आयोजित किए जाएं : उदय सामंत
उदय सामंत ने कहा कि पुस्तक मेला एक बहुत ही अभिनव पहल है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम रचे जा रहे साहित्य के पीछे खड़े हों। हालाँकि, पुस्तक महोत्सव आयोजित करने के लिए पुणे शहर से बाहर भी जाना होगा। आशा है कि इस तरह के महोत्सव से बच्चों के लिए पुस्तक आंदोलन उभरेगा। पुणे में मराठी विरासत, सांस्कृतिक विरासत और शिक्षा का खजाना है और यहां मराठी भाषा में जो कुछ भी बनाया जाता है उसका प्रभाव पूरे महाराष्ट्र में पड़ता है, इसलिए ऐसे बाल पुस्तक मेले जिलास्तर पर आयोजित किए जाने चाहिए। इसके लिए पहल की जाएगी। पुणे पुस्तक महोत्सव को इसके समन्वय और योजना की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। यह उम्मीद श्री सामंत ने व्यक्त की।
माधुरी मिसाल ने कहा कि पुणे एक ऐसा शहर है जहां पढ़ने की संस्कृति और खाने की संस्कृति है। इस मेले में बच्चों के लिए खेल भी देखने को मिले। खेलकूद से एकाग्रता और शारीरिक क्षमता बढ़ती है। हमारे माता-पिता ने हममें पुस्तकों के प्रति गहरा प्रेम निर्माण किया।
पुणे में पुस्तकों के प्रति उत्साहपूर्ण प्रतिक्रिया मिल रही है। भले ही पढ़ने की संस्कृति कितनी भी आगे बढ़ गई हो और आज हम लैपटॉप, कंप्यूटर आदि पर किताबें पढ़ सकते हैं, लेकिन किताब को अपने हाथों में पकड़ना और उसे छूकर पढ़ने में एक बहुत ही अलग तरह का मज़ा है। यह कहते हुए श्रीमती मिसाल ने इस पहल को लागू करने के लिए श्री पांडे को धन्यवाद दिया।
मिलिंद मराठे ने कहा कि आने वाले वर्षों में पुणे के पुस्तक महोत्सव की सफलता के बाद नागपुर और मुंबई में भी पुस्तक महोत्सव आयोजित किए जाएंगे। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के माध्यम से पुस्तकालयों का जाल (नेटवर्किंग ऑफ लाइब्ररीज) निर्माण करना और सामुदायिक पुस्तकालयों की शुरुआत (इनिशिएशन ऑफ कम्युनिटी लायब्ररीज) के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। यह देश भर में सामुदायिक पुस्तकालयों का एक जाल बनाने और पढ़ने की संस्कृति को बढ़ाने का एक प्रयास होगा।
प्रास्ताविक में राजेश पांडे ने कहा कि आजकल पढ़ना कम हो गया है, ऐसा कहा जाता है। हालाँकि, पुणे पुस्तक महोत्सव को भारी प्रतिक्रिया मिली। इससे पुणे व महाराष्ट्र के साहित्य जगत और प्रकाशन जगत को काफी ऊर्जा मिली। दिल्ली में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के विश्व पुस्तक मेला प्रदर्शन को बच्चों की मिली प्रतिक्रिया को देखने के बाद पुणे में भी ऐसी पहल लागू करने का विचार आया, इसलिए यह पहल कार्यान्वित की जा रही है और संभवतः यह भारत में इस तरह की पहली बाल मेला पहल होगी।
प्रारंभ में, मंत्री श्री पाटिल ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। उन्होंने प्रदर्शनी में विभिन्न स्टालों पर जाकर उनका निरीक्षण किया तथा स्टालधारकों से बातचीत की। बच्चों को खेलते देख उन्होंने स्वयं भी खेल का थोड़ा आनंद लिया। राज्य मंत्री मिसाल ने लागोरी खेल का आनंद लिया।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में अभिभावक एवं बच्चे उपस्थित थे। बच्चों के चेहरे पर किताबें हाथ में लेने की खुशी साफ झलक रही थी। उन्होंने खेलकूद का पूरा लुत्फ उठाया।
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