9 जून को ‘राजस्व लोक अदालत’ का आयोजन

पुणे, मई (जिमाका)
राजस्व वादों की संख्या में कमी लाने तथा राजस्व वादों में दोनों पक्ष समझौता के लिए तैयार होने पर सुलह-समझौता के माध्यम से न्याय प्राप्त करने में आसानी के उद्देश्य से 9 जून को जिले में ‘राजस्व लोक अदालत’ का आयोजन किया गया है। यह जानकारी अतिरिक्त जिलाधिकारी सुहास मापारी ने दी है।

राजस्व प्रशासन में मंडल अधिकारी, तहसीलदार, उप-विभागीय अधिकारी और अतिरिक्त जिलाधिकारी की अर्ध-न्यायिक कार्यवाही में दायर होने के बाद कई बार राजस्व दावे विभिन्न कारणों से लंबित रह जाते हैं, इसलिए कई बार पक्षकारों को न्याय पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। फिर जब दावों पर निर्णय हो जाता है, यदि एक पक्ष संतुष्ट नहीं होता है, तो वे उच्च न्यायालय में पुनः प्रतिदावा दायर करते हैं। विशेषकर भूमि से संबंधित लंबित दावों में राजस्व दावों का अनुपात अधिक है तथा राजस्व दावों को बार-बार दायर करने के कारण राजस्व दावे वर्षों तक चलते रहते हैं। इसे सुलझाने के लिए यह लोक अदालत आयोजित की गई है।

विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत स्थापित लोक अदालत एक वैकल्पिक विवाद समाधान यंत्रणा है, जिसमें मुख्य रूप से सिविल दावों में दोनों पक्षों की सहमति से समझौते के माध्यम से बड़ी संख्या में दावों का निपटारा किया जाता है।

दोनों पक्षों के बीच समझौता करने तथा उक्त राजस्व दावों का स्थायी रूप से समाप्त किया जाना चाहिए, इस संबंध में सभी संबंधित पक्षों को राजस्व लोक अदालत के माध्यम से अवसर दिया जाएगा।

लंबे समय से चल रहे राजस्व दावों में समझौता करने से अर्ध-न्यायिक प्रणाली पर दबाव कुछ हद तक कम हो सकता है तथा पक्षों को संतुष्टि मिल सकती है। दावों का निपटारा कम समय में और सर्वसम्मति से परिणाम प्राप्त करने से समय की बहुत बचत होगी। इस प्रकार के दावों में फीस की कोई आवश्यकता नहीं है, इसलिए पक्षकारों पर वित्तीय बोझ भी कम हो जाएगा व यह सर्वसम्मति पर आधारित प्रणाली रहने से न्याय प्राप्त करना अपेक्षाकृत आसान और सुविधाजनक होगा। यह जानकारी भी श्री मापारी ने दी है।

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