31/07/2025

एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय का जी-प्लेस और क्रिस एयरो के साथ समझौता

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एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय का जी-प्लेस और क्रिस एयरो के साथ समझौता

लोनी कालभोर, अप्रैल (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
एमआईटी यूनिवर्सिटी ऑफ आर्ट, डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी (एमआईटी एडीटी), पुणे ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग की दिशा में एक बड़ी पहल करते हुए जापान की प्रतिष्ठित कंपनी जी-प्लेस कॉर्पोरेशन और पुणे की क्रिस एयरो सर्विसेज प्रा.लि. के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता किया है। यह समझौता पर्यावरण इंजीनियरिंग क्षेत्र में एक अभिनव परियोजना को लेकर किया गया है। इस परियोजना के अंतर्गत, जी-प्लेस द्वारा विकसित घरेलू मल्टी-रीसाइक्लर (डीएमआर) तकनीक जिसे ‘जहकासो’ के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय पर्यावरणीय परिस्थितियों में परीक्षण के लिए एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय के परिसर में स्थापित किया जाएगा।

विश्वविद्यालय के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. मंगेश कराड, प्रो-वाइस चांसलर डॉ. रामचन्द्र पुजेरी, डीन डॉ. सुदर्शन सनप और एमआईटी एसओईएस के निदेशक डॉ. वीरेंद्र शेटे उपस्थित थे। वहीं, क्रिस एयरो सर्विसेज की ओर से प्रबंध निदेशक श्री दीपक कपाड़िया, उनकी पत्नी और पुत्र श्री राज कपाड़िया ने भाग लिया।

छात्रों को वैश्विक प्रौद्योगिकी के साथ काम करने का मिलेगा अवसर
इस साझेदारी का मुख्य उद्देश्य डीएमआर प्रणाली के माध्यम से अपशिष्ट जल उपचार और कृषि उपयोग की संभावनाओं का परीक्षण करना है। यह प्रणाली बिना बिजली के काम करती है और घरेलू अपशिष्ट जल को उपयोगी पोषक जल में परिवर्तित करती है। इसके साथ ही, इससे उत्पन्न होनेवाले गाद को जैविक खाद में परिवर्तित किया जा सकता है।
इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. मंगेश कराड ने कहा, यह सिर्फ तकनीकी साझेदारी नहीं है, बल्कि स्वच्छ और सशक्त भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हमारे छात्रों को अब विश्वस्तरीय तकनीकों पर काम करने का अवसर मिलेगा।
क्रिस एयरो के प्रबंध निदेशक दीपक कपाड़िया ने कहा, यह सहयोग ‘प्रभाव के साथ नवाचार’ के हमारे दर्शन को दर्शाता है। हम इस तकनीक को भारत में लाने के लिए जी-प्लेस और एमआईटी एडीटी के साथ साझेदारी करके प्रसन्न हैं।

पर्यावरणीय नवाचार को मिलेगा बढ़ावा
पांच दशकों से पर्यावरण नवाचार के क्षेत्र में काम कर रही जी-प्लेस कॉर्पोरेशन इस परियोजना के माध्यम से भारत में विकेन्द्रीकृत अपशिष्ट जल प्रबंधन और जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह साझेदारी भारत में पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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